उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया। जिरसमी गांव के 38 वर्षीय यतेंद्र सिंह ने मंगलवार रात फंदे से लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मोबाइल गेमिंग की लत और उससे उपजे कर्ज के बोझ ने उन्हें इस हद तक तोड़ दिया कि उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठा लिया। उनकी कहानी न केवल दुखद है, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि कैसे तकनीक की लत जिंदगियों को बर्बाद कर सकती है।
मोबाइल गेमिंग की लत ने बर्बाद की जिंदगीयतेंद्र सिंह एक मेहनती व्यक्ति थे, जो अपनी कार को टैक्सी के रूप में चलाकर और आरओ व आटा चक्की के छोटे-मोटे व्यवसाय से अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान जब उनका काम-धंधा ठप हो गया, तब उनकी जिंदगी में मोबाइल गेमिंग ने प्रवेश किया। शुरुआत में यह एक समय काटने का जरिया था, लेकिन धीरे-धीरे यह उनकी लत बन गई। इस लत ने उनकी जिंदगी को इस कदर जकड़ लिया कि उन्होंने अपनी 80 लाख रुपये की संपत्ति को गंवा दिया। परिवार के बार-बार समझाने के बावजूद यतेंद्र इस दलदल से निकल नहीं पाए।
कर्ज का बोझ और साहूकारों का दबावसंपत्ति गंवाने के बाद भी यतेंद्र की गेमिंग की लत कम नहीं हुई। अपनी जरूरतों को पूरा करने और गेमिंग में और पैसा लगाने के लिए उन्होंने साहूकारों से करीब 30 लाख रुपये का कर्ज ले लिया। उनके भाई चंद्रकेतु के अनुसार, साहूकार आए दिन घर पर आकर पैसे की मांग करते और गाली-गलौज के साथ धमकियां देते। इस मानसिक दबाव ने यतेंद्र को पूरी तरह तोड़ दिया। उनकी मासिक आय केवल 15 हजार रुपये थी, जबकि कर्ज की मासिक देनदारी 1.30 लाख रुपये थी। इस असंभव बोझ को वह सहन नहीं कर पाए।
परिवार का दर्द और समाज के लिए सबकमंगलवार रात जब यतेंद्र ने अंगोछे से फंदा बनाकर अपनी जान दी, तो परिवार ने उन्हें तुरंत मेडिकल कॉलेज ले जाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी पत्नी और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। चंद्रकेतु का कहना है कि साहूकारों की धमकियों और लगातार अपमान ने उनके भाई को इस कदर परेशान कर दिया कि उन्होंने यह रास्ता चुना। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि मोबाइल गेमिंग की लत और अनियंत्रित कर्ज कितना खतरनाक हो सकता है।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांचसीओ सिटी अमित कुमार राय ने बताया कि पुलिस को सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची और शव का पंचनामा कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद मौत का सटीक कारण स्पष्ट होगा। यदि परिजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत मिलती है, तो साहूकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। इस मामले ने स्थानीय समुदाय में सनसनी फैला दी है और लोग अब इस तरह की लत और कर्ज के दुष्परिणामों पर खुलकर बात कर रहे हैं।
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