Anant Chaturdashi का पर्व हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल 2025 में यह पर्व 6 सितंबर को है, और यह दिन भगवान गणेश के विसर्जन और भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए खास माना जाता है। यह त्योहार गणेश चतुर्थी के 10 दिनों के उत्सव का समापन भी करता है। आइए, इस पवित्र दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और गणेश विसर्जन की ताजा जानकारी को विस्तार से जानते हैं।
अनंत चतुर्दशी का महत्वअनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही, यह दिन गणेश चतुर्थी के बाद दसवें दिन गणेश विसर्जन के लिए भी महत्वपूर्ण है। भक्त इस दिन गणपति बप्पा को विदाई देते हैं और उनके अगले साल फिर आने की प्रार्थना करते हैं। यह पर्व भक्ति, उत्साह और श्रद्धा का अनूठा संगम है।
आज का शुभ मुहूर्तअनंत चतुर्दशी 2025 के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि 6 सितंबर को सुबह 6:08 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को सुबह 4:22 बजे समाप्त होगी। पूजा के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक है। गणेश विसर्जन के लिए भी यही समय शुभ माना जा रहा है। इस दौरान भक्त पूजा और विसर्जन की तैयारियां पूरी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि स्थानीय पंचांग के आधार पर मुहूर्त में थोड़ा बदलाव हो सकता है।
गणेश विसर्जन की तैयारी और विधिगणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी का सबसे भावनात्मक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त इस दिन गणपति बप्पा की मूर्ति को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करते हैं। विसर्जन से पहले मूर्ति की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें फूल, मिठाई, मोदक और दूर्वा अर्पित किए जाते हैं। भक्त “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के नारे लगाते हुए बप्पा को विदाई देते हैं। विसर्जन के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना भी जरूरी है। कई लोग अब पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों का उपयोग कर रहे हैं, जो पानी में आसानी से घुल जाती हैं।
अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा विधिइस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है। अनंत सूत्र (14 गांठों वाला धागा) को पूजा के बाद दाहिने हाथ में पुरुष और बाएं हाथ में महिलाएं बांधती हैं। पूजा में फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। व्रत के दौरान भक्त केवल फल, दूध या सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। पूजा के बाद अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा सुनी जाती है।
अनंत चतुर्दशी की व्रत कथापौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों को जब जुए में सब कुछ हारने के बाद वनवास भोगना पड़ा, तब भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों की सभी मुश्किलें दूर हुईं और उन्हें उनका खोया हुआ राजपाट वापस मिला। यह कथा भक्तों को प्रेरणा देती है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं।
उत्सव का उत्साह और पर्यावरण संरक्षणअनंत चतुर्दशी का उत्साह पूरे देश में देखने लायक होता है। खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में गणेश विसर्जन के जुलूस भव्य और रंगारंग होते हैं। ढोल-नगाड़ों के साथ भक्त बप्पा को विदाई देते हैं। लेकिन इस उत्सव में पर्यावरण का ध्यान रखना भी जरूरी है। कई संगठन अब पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियों को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि नदियां और जलाशय प्रदूषित न हों। भक्तों से अपील है कि वे मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करें और प्लास्टिक या हानिकारक रसायनों से बनी मूर्तियों से बचें।
निष्कर्षअनंत चतुर्दशी 2025 का यह पर्व भक्ति और पर्यावरण जागरूकता का संदेश लेकर आता है। इस दिन भगवान गणेश और विष्णु की पूजा के साथ-साथ हमें अपने पर्यावरण की रक्षा का भी संकल्प लेना चाहिए। शुभ मुहूर्त में पूजा और विसर्जन करें, व्रत कथा सुनें और बप्पा को अगले साल फिर आने की प्रार्थना करें। इस पर्व को अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर उत्साहपूर्वक मनाएं।
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