गुवाहाटी, 22 अक्टूबर . भारतीय रेल अपने मिशन मोड में विश्व का सबसे बड़ा ग्रीन रेलवे बनने की दिशा में अग्रसर है. नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने और 100 प्रतिशत विद्युतीकरण प्राप्त करने के अपने लक्ष्य के हिस्से के रूप में, पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) अपने क्षेत्राधिकार के अविद्युतीकृत ब्रॉड-गेज मार्गों के विद्युतीकरण कार्यों को गति दे रहा है. अब तक, पूसीरे ने 2708.52 आरकेएम (रूट किमी) का विद्युतीकरण हासिल कर लिया है, जो इस नेटवर्क के कुल 4260.52 आरकेएम का 64 प्रतिशत है.
पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने आज बताया है कि आठ पूर्वोत्तर राज्यों में, अब तक 1524.71 आरकेएम विद्युतीकृत हो चुका है. पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुल विद्युतीकृत मार्गों में से असम में 1353.231 आरकेएम, मणिपुर में 2.81 आरकेएम, मेघालय में 9.58 आरकेएम, नगालैंड में 6.00 आरकेएम और त्रिपुरा में 151.59 आरकेएम विद्युतीकृत किए जा चुके हैं. इसके अलावा, पूसीरे के क्षेत्राधिकार के अधीन बिहार में 318.869 आरकेएम और पश्चिम बंगाल में 864.94 आरकेएम विद्युतीकृत अब तक पूरा हो चुका है.
विद्युतीकरण कार्य इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (इरकॉन), रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) और पूसीरे/निर्माण द्वारा जोन के विभिन्न सेक्शनों में चरणबद्ध तरीके से निष्पादित किए जा रहे हैं.
विद्युतीकरण से पूसीरे पर ट्रेनों की गतिशीलता में काफी सुधार होगा और पूर्वोत्तर राज्यों में रेल नेटवर्क मजबूत होगा तथा परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल, तेज एवं ऊर्जा-कुशल माध्यम प्रदान करेगा. प्रदूषण में कमी के अलावा आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता भी कम होगी, जिससे बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी. इससे निर्बाध परिवहन में सुविधा मिलने के साथ-साथ ट्रेनों की औसत गति भी बढ़ेगी, जिसके परिणामस्वरूप ट्रेनों की आवाजाही समय पर होगी और कर्षण परिवर्तन के कारण लगने वाले समय की भी बचत होगी.
/ अरविन्द राय
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