उज्जैन, 20 जून (Udaipur Kiran) ।वर्षावास, जिसे चातुर्मास भी कहा जाता है, जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण चार महीने की अवधि है, जो आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू से होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। इस दौरान पूज्य साधु-साध्वी भगवंत एक ही स्थान पर रहकर ध्यान, पूजा-अर्चना और धार्मिक अध्ययन करते हैं।
दरअसल इस वर्ष, वर्षावास 10 जुलाई से शुरू हो रहा है। जैन समाज द्वारा वर्षावास चातुर्मास को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। अरविंदर नगर पाश्र्वनाथ मंदिर के कोषाध्यक्ष राकेश कोठारी ने बताया कि वर्षावास कार्यक्रम में प्रतिदिन प्रात: प्रवचन, दोपहर में धर्म चर्चा, शाम को प्रतिक्रमण, भजन तथा प्रश्नों के समाधान का लाभ धर्मावलंबियों को साधु-साध्वी के सानिध्य में प्राप्त होगा।
वहीं, इस संबंध में हीर विजय सूरीश्वर बड़ा उपाश्रय के सचिव राजेश पटनी ने बताया कि आचार्य जगतचंद सुरेश्वरी का चातुर्मास बड़ा उपाश्रय में होगा। वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के सुनील श्रीमाल ने बताया कि नमक मंडी स्थानक में साध्वी कीर्ति सुधा का चातुर्मास होगा। इसके अलावा भेरूगढ़ मणिभद्र तीर्थ अध्यक्ष सुभाष दुग्गड़ ने जानकारी दी कि भेरूगढ़ मणिभद्र तीर्थ पर आचार्य अशोक सागर महाराज का चातुर्मास होगा। अवंति पाश्र्वनाथ ट्रस्ट अध्यक्ष अशोक कोठारी ने बताया कि मंदिर में साध्वी डॉ. नीलांजना का चातुर्मास होगा। सुभाष नगर स्थानक में इंद्रेश मुनि का चातुर्मास होगा।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
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