गोरखपुर, 22 अप्रैल . गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब की तरफ से मंगलवार को विश्व पृथ्वी दिवस पर ‘समाज, राष्ट्र एवं प्रकृति के संरक्षण में युवाओं की जवाबदेही विषयक संवादपरक विमर्श’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित शिव आध्यात्मिक पीठ त्रिवेणी धाम से आए आध्यात्मिक-सामाजिक चिंतक स्वामी प्रभाकर शिव ने कहा कि पृथ्वी की रक्षा सीधे तौर पर मानव कल्याण से जुड़ा है और मानव कल्याण के लिए जल, जीव और जंगल की रक्षा करनी होगी. जल, जीव और जंगल की रक्षा के माध्यम से पृथ्वी के संरक्षण की आज सबसे बड़ी जिम्मेदारी युवाओं के कंधे पर है.
कार्यक्रम में स्वामी प्रभाकर शिव ने कहा कि समय के बीते कालखंड के साथ धरती माता से हम लोग सबकुछ लेते गए लेकिन उनके संरक्षण के प्रति अपनी जवाबदेही को कहीं न कहीं भूलते गए. उन्होंने कहा कि जैसे हम अपने पाल्यों को बचपन से ही ज्ञान की अनेक बातें सिखाते हैं, वैसे ही पृथ्वी के प्रति सम्मान और इसके संरक्षण के लिए किए जा सकने वाले कार्यों के प्रति भी जागरूक करना होगा. उन्होंने कहा कि प्रकृति का संरक्षण करने के हमें खुद ही पहल करनी होगी अन्यथा प्रकृति जब अपने हिसाब से खुद को संरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ेगी तो उसका असर झेल पाना दुनिया के बड़े से बड़े देशों के लिए मुश्किल होगा. उन्होंने कोविड काल का उदाहरण देते हुए कहा कि यह आपदा का ऐसा दौर था जब सभी लोग किंकर्तव्यविमूढ़ स्थिति में थे. उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रति दोहक या शोषक की मानसिकता की बजाय पोषक की मानसिकता का भाव वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के मन में जगाना होगा.
उन्होंने कहा कि किसी भी समाज या राष्ट्र का युवा जवाबदेह बन जाएगा तो प्रकृति से जुड़ी सभी समस्याओं का काफी हद तक समाधान हो जाएगा. स्वामी प्रभाकर ने एक खुले सत्र में कई पत्रकारों के सवालों का सविस्तार जवाब दिया.
विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विश्वमित्र भट्ट ने कहा कि भारत की विचार परम्परा और संस्कृति में पृथ्वी को माता माना गया है. आज पृथ्वी पर जो भी संकट हैं ,उनका समाधान तभी संभव है जब धरती का ख्याल उसी भाव से रखा जाए जैसे अपनी मां का रखा जाता है. कार्यक्रम में स्वागत संबोधन गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के अध्यक्ष रीतेश मिश्र और आभार ज्ञापन उपाध्यक्ष भूपेंद्र द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष प्रिंस कुमार पांडेय, पुस्तकालय मंत्री विनय सिंह, कार्यकारिणी सदस्य राजीव पांडेय, वरिष्ठ पत्रकारगण नवनीत त्रिपाठी, धीरज श्रीवास्तव, विजय जायसवाल, ओंकार धर द्विवेदी, मुकेश पांडेय, अजीत यादव, राजेश पांडेय, रामगोपाल द्विवेदी, हरेंद्र धर दूबे, वेद प्रकाश पाठक, अरुण त्रिपाठी, मुकेश कुमार पांडेय, राजेश सोनकर, योगेश श्रीवास्तव, संतोष त्रिपाठी, हरिकेश सिंह, गुणाणंद ध्यानी, पुनीत पांडेय, आयुष द्विवेदी, संदीप तिवारी, विनय शर्मा, धनेश निषाद, राजेश पांडेय, मनोज त्रिपाठी, हरिहर पांडेय, अभिषेक पांडेय, पंकज कुमार, शिशिर श्रीवास्तव, मुकुंद पांडेय, रणंजय पांडेय, अरुण मिश्रा, मनोज तिवारी, प्रवीण कुशवाहा, अंकित श्रीवास्तव, लतीफ, अखिलेश पांडेय, राजू सैनी, रुद्र पाठक, विजय कुमार पांडेय, मनोज कुमार, जितेंद्र यादव, प्रिन्स तिवारी, नदीम सहित बड़ी संख्या में मीडियाकर्मियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी रही.
/ प्रिंस पाण्डेय
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