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बांके बिहारी मंदिर को लेकर जारी अध्यादेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में नहीं हुई सुनवाई

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-प्रदेश सरकार की तरफ से बताया गया कि विधानसभा में एक्ट पारित हो गया, राज्यपाल की सहमति बाकी है -श्री बांके बिहारी व दो अन्य ने हाईकोर्ट में दी है चुनौती

प्रयागराज, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 मई 2025 को जारी अध्यादेश को श्री बांके बिहारी व दो अन्य की तरफ से याचिका दाखिल कर इस आर्डिनेंस को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि सरकार इस अध्यादेश से श्री बांके बिहारी मंदिर पर अपरोक्ष रूप से कब्जा करना चाह रही है।

वहीं, प्रदेश सरकार की तरफ से उच्च न्यायालय में बताया गया कि विधानसभा में एक्ट पारित हो गया है। अब केवल राज्यपाल की स्वीकृति शेष है। कहा गया कि अब अध्यादेश का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। याचिकाकर्ताओं की तरफ से उनके वकीलों ने कहा कि वे एक्ट की प्रति प्राप्त होने पर उसे याचिका में संशोधन अर्जी दाखिल कर इसे चुनौती देंगे।

बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने अध्यादेश अथवा एक्ट को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने की छूट दी है। इस कारण एक और याचिका दाखिल की गई है। यह आदेश हाईकोर्ट के जस्टिस अरिंदम सिन्हा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पारित किया।याचिका दाखिल कर सरकार की मंदिर को लेकर मंशा पर आशंका जताई गई है। याचिका में इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है कि बांके बिहारी मंदिर पर सरकार की नीयत ठीक नहीं है। कहा गया है कि बांके बिहारी जी का मंदिर उनके सेवायतों का निजी मंदिर है। मंदिर पर उनका अधिकार है। सेवायत अपने-अपने निर्धारित समय पर भगवान की सेवा करते हैं। सिविल कोर्ट का फैसला भी उनके पक्ष में है।

याचिका में अध्यादेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है। कहा गया है कि सरकार इस अध्यादेश को लाकर मंदिर में अपना नियंत्रण रखना चाह रही है। उनके अधिकारी इस आर्डिनेंस के मार्फत अपना नियंत्रण स्थापित करना चाह रहे हैं। कहा गया है कि सरकार द्वारा लाया गया यह अध्यादेश असंवैधानिक है। याचिका में अध्यादेश को असंवैधानिक करार कर इसे निरस्त करने की मांग की गई है।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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