भोपाल, 30 सितम्बर (Udaipur Kiran News) . Madhya Pradesh के Chief Minister डॉ मोहन यादव ने कहा कि किसानों की समृद्धि के लिए हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए प्रदेश के राजगढ़ जिले की ‘मोहनपुरा-कुंडालिया सिंचाई परियोजना’ क्षेत्र की समृद्घि और किसानों की खुशहाली का आधार बन रही है. इस अनूठी परियोजना से जहां हर खेत में पानी पहुंच रहा है, वहीं उद्योगों को पानी मिलने और पेयजल की उपलब्धता ने नए निवेश के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं. इससे आम-जीवन सुखमय हो रहा है.
प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क पर आधारित विश्व की अनूठी परियोजना
Chief Minister ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह परियोजना प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क प्रणाली पर आधारित विश्व की अनूठी सिंचाई परियोजना है, जो Madhya Pradesh में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘पर ड्रॉप, मोर क्रॉप’ की अवधारणा को पूरा कर रही है. न केवल भारत के विभिन्न राज्यों से अपितु विदेशों के प्रतिनिधि दल भी आकर इसका अध्ययन कर रहे हैं. परियोजना को जल-संसाधन प्रबंधन के लिए भारत सरकार का प्रतिष्ठित ‘सीबीआईपी’ पुरस्कार भी मिल चुका है.
प्रधानमंत्री की ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ की अवधारणा हुई फलीभूत
जनसम्पर्क अधिकारी पंकज मित्तल ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पर ड्रॉप, मोर क्रॉप’ की अवधारणा दी. उनकी इस अवधारणा पर कार्य करते हुए हमारे इंजीनियर्स ने सिंचाई की अति आधुनिक तकनीकी प्रेशराइज्ड पाइप नेटवर्क पर काम करना प्रारंभ किया और उसका सुपरिणाम है ‘मोहनपुरा कुंडलिया सिंचाई परियोजना’. इस सिंचाई परियोजना के माध्यम से न केवल 80% पानी बांध से किसानों के खेतों तक पहुंचता है, अपितु ऊंचे खेतों पर भी पानी आसानी से पहुंच जाता है. इसमें लगा ‘स्काडा’ (SCADA) आधारित ऑटोमेशन यह तय करता है कि फसलों की आवश्यकता के अनुसार किस क्षेत्र में कितना पानी पहुंचाना है. यह विश्व की अपनी तरह की अनूठी परियोजना है और आधुनिक युग की आवश्यकता भी, जब पानी की एक-एक बूंद का उपयोग आवश्यक है.
उन्होंने बताया कि नेवज नदी पर मोहनपुरा बांध और कालीसिंध नदी पर कुंडालिया बांध बनाकर शुरू की गई इस परियोजना से भूमिगत पाइप से सीधे खेत तक दबाव के साथ पहुंचाती है और ऊंचाई वाले खेत में भी पानी आसानी से पहुंचता है. इसके सेंसर और ऑटोमेशन से पानी का वितरण नियंत्रित होता है. यह क्रांतिकारी सोच थी, जिसने सूखाग्रस्त राजगढ़ जिले की किस्मत बदल दी.
परियोजना के अंतर्गत 26 हजार किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन बिछाई गई है, इतनी लंबी प्रेशराइज्ड पाइप लाइन भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में एक मिसाल है. इसे जोड़ने के लिए 20 बड़े पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जो पानी को दबाव के साथ पाइप लाइन में भेजते हैं और पानी ऊंचे-नीचे खेतों तक आसानी से पहुंचता है. हर आउटलैट से लगभग एक से सवा हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है. ‘स्काडा’ आधारित ऑटोमेशन सिस्टम द्वारा पूरी प्रणाली को कंप्यूटर और सेंसर्स से जोड़ा गया है, जिससे कंट्रोल रूम से तय किया जा सकता है कि किस क्षेत्र को कितना पानी पहुंचाना है. केन्द्रीकृत पंपिंग प्रणाली से हर साल लगभग 69 मिलियन यूनिट बिजली की बचत होती है. इसकी एक और विशेषता यह है कि इसमें ‘ला-रा’ नैटवर्क का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें लगभग 1.5 लाख सेंसर्स और कंट्रोलर एक साथ जोड़े गए हैं, जो सौर ऊर्जा से चलते हैं. पंपिंग स्टेशर्न में लगे ‘वैरिएबल फ्रीकवैन्सी ड्राइव्ज’ फसलों की जरूरत और मौसम के अनुसार पानी का दबाव और मात्रा तय करते हैं. यह अत्यधिक आधुनिक सिंचाई प्रणाली आज पूरे विश्व के लिए पानी के इष्टतम उपयोग का अनूठा उदाहरण बन गई है.
(Udaipur Kiran) तोमर
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