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राहुल गांधी की 'आदिवासी विरोधी' टिप्पणी बनी विवाद का कारण: कांग्रेस के इतिहास पर उठे सवाल

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झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को ‘आदिवासी विरोधी’ बताकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. 19 अक्टूबर को रांची में संविधान सम्मान सम्मेलन के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि BJP आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहकर उनके इतिहास और अधिकारों को नजरअंदाज करती है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में आदिवासियों के बारे में बहुत कम लिखा गया है.

हालांकि, इस बयान के बाद राहुल गांधी खुद ही आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं. BJP ने राहुल गांधी के बयान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जिस शिक्षा व्यवस्था की बात वह कर रहे हैं, वह कांग्रेस के शासनकाल में ही बनाई गई थी. भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने भगवान बिरसा मुंडा से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक, सभी प्रमुख आदिवासी नेताओं को नजरअंदाज किया है.

राहुल गांधी का बयान और BJP का पलटवार

राहुल गांधी का बयान कि आदिवासियों के इतिहास और उनके जीवन जीने के तरीके के बारे में शिक्षा व्यवस्था में केवल 10-15 लाइनें ही मिलती हैं, भाजपा ने इसे कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल किया है. भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में ही आदिवासियों को शिक्षा व्यवस्था में उचित स्थान नहीं दिया गया. मरांडी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने अपने स्कूल में देखा कि आदिवासियों का इतिहास किताबों में कहीं नहीं था और यह अन्याय कांग्रेस के शासनकाल में ही हुआ था.

भगवान बिरसा मुंडा और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नजरअंदाज करने का आरोप

भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान आदिवासी नेता को हमेशा नजरअंदाज किया. कांग्रेस के दशकों के शासन में भगवान बिरसा मुंडा को कभी वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अन्याय को खत्म किया और भगवान बिरसा मुंडा के गांव का दौरा कर उन्हें सम्मानित किया. साल 2025 को भगवान बिरसा मुंडा की विरासत और उनके स्वतंत्रता संग्राम के समर्पण के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे उनके बलिदान को हर भारतीय तक पहुंचाया जा सके.

राहुल गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा ने उन्हें राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाया था. हालांकि, भाजपा ने कांग्रेस को याद दिलाया कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस ने द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार खड़ा किया था. इस पर सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने कांग्रेस की आलोचना की.

झारखंड और आदिवासी आंदोलन के कुचले जाने का आरोप

राहुल गांधी के बयान के बाद झारखंड में भी कई नेता कांग्रेस के खिलाफ खुलकर बोले. आदिवासी नेता चंपाई सोरेन ने कहा कि कांग्रेस ने झारखंड आंदोलन को कुचल दिया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में आदिवासियों को बार-बार नजरअंदाज किया गया और उनका महत्व खत्म कर दिया गया. सोरेन के अनुसार, कांग्रेस कभी भी झारखंड के आदिवासियों की सच्ची शुभचिंतक नहीं रही.

हेमंत सोरेन और कांग्रेस पर आरोप

कांग्रेस के सहयोगी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने आदिवासियों की जमीन हड़पने में मदद की. वहीं, कर्नाटक में भी कांग्रेस सरकार पर आदिवासियों के करोड़ों रुपये लूटने का आरोप है. कांग्रेस पर आरोप है कि कर्नाटक में महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के फंड को लोकसभा चुनाव में खर्च किया गया. इसके अलावा, झारखंड में आदिवासियों की घटती संख्या को लेकर भी कांग्रेस और हेमंत सोरेन सरकार की आलोचना हो रही है.

निष्कर्ष

राहुल गांधी के आदिवासी विरोधी बयान ने कांग्रेस के इतिहास को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है. भाजपा ने कांग्रेस पर आदिवासियों को दशकों तक नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है. राहुल गांधी का यह बयान उनके लिए राजनीतिक रूप से भारी पड़ सकता है, खासकर झारखंड जैसे राज्यों में, जहां आदिवासी वोटों का बहुत महत्व है. कांग्रेस के लिए यह समय आत्मनिरीक्षण का हो सकता है कि उनके शासनकाल में आदिवासियों के लिए क्या-क्या किया गया और क्या रह गया.

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