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आरएसएस के शताब्दी वर्ष में काशी की पहली शाखा धनधानेश्वर में पथ संचलन, विजयदशमी उत्सव

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वाराणसी, 01 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में गुरुवार को काशी की ऐतिहासिक धनधानेश्वर शाखा में भव्य विजयदशमी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यक्रम सायं 4 बजे ब्रह्मा घाट स्थित दत्तात्रेय मंदिर प्रांगण में होगा, जिसमें पथ संचलन, शस्त्र पूजन, शारीरिक प्रदर्शन और बौद्धिक सत्र जैसे विविध आयाम शामिल होंगे. काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश उत्सव में प्रमुख वक्ता होंगे. शाखा से जुड़े स्वयंसेवक संतोष सोलापुरकर ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक अवसर पर स्वयंसेवकों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है.

1931 में हुई थी धनधानेश्वर शाखा की स्थापना

धनधानेश्वर शाखा उत्तर भारत की पहली शाखा मानी जाती है, जिसकी नींव स्वयं संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने 13 मार्च 1931 को रखी थी. बताया जाता है कि वीर सावरकर के बड़े भाई बाबूराव सावरकर चिकित्सा के लिए काशी आए थे और स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर शाखा स्थापित करने का विचार रखा. इस पर डॉ हेडगेवार को आमंत्रित किया गया और उन्होंने काशी आकर अमृत भवन के निकट स्थित धनधानेश्वर मंदिर परिसर में दैनिक शाखा की शुरुआत की. शाखा का नाम मंदिर के नाम पर ही धनधानेश्वर शाखा रखा गया. वर्ष 1962 तक शाखा वहीं लगती रही, बाद में स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ने पर इसे गंगा तट स्थित ब्रह्मा घाट पर स्थानांतरित किया गया.

संघ के शीर्ष पदाधिकारियों ने की है सहभागिता

धनधानेश्वर शाखा में संघ के लगभग सभी शीर्ष पदाधिकारियों की उपस्थिति रही है. इनमें संस्थापक डॉ. हेडगेवार, द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर, भाऊराव देवरस, माधव राव देशमुख, यादवराव देशमुख, और वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जैसी विभूतियाँ शामिल हैं. शाखा बीते 94 वर्षों से काशी की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना का केंद्र बनी हुई है, जहाँ निरंतर स्वयंसेवकों में राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सामाजिक समरसता के संस्कार रोपे जा रहे हैं.

शताब्दी वर्ष: आत्मचिंतन और नव संकल्प का अवसर

संघ के शताब्दी वर्ष को “भारत की सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक समरसता और संगठन शक्ति का उत्कर्ष” बताते हुए सोलापुरकर ने कहा कि यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन और नव संकल्प का अवसर है.

काशी की गलियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्षो के कदम ताल की गूंज

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 पूरे होने पर गुरूवार को देश के साथ—साथ काशी की गलियों में स्वयंसेवकों के कदम ताल गूजेंगे. वाराणसी महानगर के सभी प्रमुख मार्गों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक अपनी अपनी शाखाओं से पथ संचलन निकालकर देश की एकता, अनुशासन और संस्कार से आज की नयी पीढ़ी को परिचित करायेंगे. पूर्ण गणवेश में देश के एक सजग प्रहरी की भांति महानगर के स्वयंसेवक विजयादशमी उत्सव का आयोजन करेंगे. शताब्दी वर्ष का यह कार्यक्रम काशी प्रान्त के सभी मण्डलों एवं बस्तियों में सम्पन्न होगा. आज से संघ शताब्दी वर्ष के उद्घाटन होने के पश्चात पूरे एक वर्ष तक संघ द्वारा विभिन्न कार्यक्रम समाज के सहयोग से संचालित होंगे.

विजयादशमी के दिन ही हुई थी राष्ट्र के सेवा और समर्पण के यज्ञ की शुरुआत

विश्व संवाद केंद्र, काशी के प्रभारी डॉ अम्बरीष राय ने बताया कि आज से ठीक 100 वर्ष पहले सन् 1925 को विजयादशमी पर्व पर ही संकल्प, सेवा और समर्पण के एक यज्ञ की शुरुआत हुई थी. राष्ट्र के प्रति समर्पित इस यज्ञ में अनेकों तपस्वियों ने अपनी आहुति दी. जिसके परिणाम स्वरूप आज एक बहुत बड़ा वटवृक्ष विश्व के सामने तैयार है. इस वटवृक्ष का नाम है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. यह वटवृक्ष आज अपने 100 वर्ष पूरे कर चुका है और इसकी शाखाओं का विस्तार देश भर में हो चुका है.

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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