नारनाैल, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को जिला में प्रभावी ढंग से लागू करना और बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। हरियाणा में इस कानून को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए सरकार ने बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2020 लागू किया है ।
अतिरिक्त उपायुक्त सुशील कुमार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बाल विवाह रोकने के लिए गठित जिला स्तरीय कमेटी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जिला के सभी विभागों के अधिकारी लगातार इस संबंध में विभिन्न स्तर पर जागरूकता अभियान जारी रखें।
उन्होंने निर्देश दिए कि जहां भी बाल विवाह की सूचना मिले तो उस पर स्वतः संज्ञान लेकर बाल विवाह को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए। इसमें पुलिस और बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए कार्रवाई करें।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह के दुष्प्रभावों और इसके खिलाफ बने कानूनों के बारे में ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में जागरूकता अभियान जारी रखा जाए। इसमें स्कूलों, पंचायतों और स्थानीय संस्थाओं में कार्यक्रम आयोजित करें । इसके अलावा उन्होंने बताया कि बाल विवाह के संबंध में टोल फ्री नंबर 1098 का प्रचार करें। एडीसी ने निर्देश दिए कि बाल विवाह के पीड़ितों और उनके परिवारों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और पैनल वकीलों की सहायता लें। उन्होंने बताया कि बाल विवाह से बचाए गए बच्चों की देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास सुनिश्चित करना, उनके सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना भी इसी कमेटी का कार्य है।
इस मौके पर जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी सरिता शर्मा ने साल भर चलने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला। इस बैठक में सीएमओ डा अशोक कुमार, डीएसपी भारत भूषण, जिला कार्यक्रम अधिकारी संगीता यादव, डीडीपीओ हरिप्रकाश बंसल, जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित शर्मा व जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी सरिता शर्मा आदि मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / श्याम सुंदर शुक्ला