बलरामपुर, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्रावण मास के पावन अवसर पर आज रविवार को हरियाली तीज का पर्व पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह तीज व्रत श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जिसमें सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व उनकी रक्षा के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की विशेष पूजा करती है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के पारंपरिक वस्त्र पहनती है, हाथों में मेहंदी रचाती हैं और झूले झूलती हैं। हरियाली तीज को शिव पार्वती के पुनर्मिलन का पर्व माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवी पार्वती को तपस्या के पश्चात भगवान शिव की अर्धांगिनी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
कुंवारी कन्याएं भी इस दिन योग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। महिलाएं समूह में पूजा पाठ, गीत संगीत और पारंपरिक रीति रिवाज के साथ यह पर्व मनाती है। यह दिन प्रकृति और नारी सौंदर्य के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है। श्रावण मास संपूर्ण रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति के लिए समर्पित है। यह पर्व अखंड सौभाग्य, वैवाहिक जीवन की खुशहाली और मनोकामना पूर्ति का प्रतीक है।
छत्तीसगढ़ में भी यह पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। वहीं बलरामपुर जिले के रामानुजगंज के पंडित ददन पाण्डेय ने आज रविवार काे चर्चा में बताया कि इस दिन रवि योग और शिवयोग का संयोग बन रहा है, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करें, फिर शिवलिंग और माता पार्वती को जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, फूल और 16 सिंगार की वस्तुएं अर्पित करें। हरियाली तीज की कथा सुने। अंत में शांति मंत्र एवं क्षमा मंत्र पढ़ें और शिव पार्वती की आरती करें। बाद में सुखी जीवन की कामना करते हुए महादेव और माता पार्वती का आशीर्वाद लें। पूजा के बाद प्रसाद बाटें और जरूरतमंदों को दान दें।
पंडित ददन पाण्डेय ने बताया कि, हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती है। ऐसे में सुबह ब्रहम मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ हरे रंग का वस्त्र पहने। घर को साफ करें और पूजा घर को फूलों से सजाए। एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर मिट्टी या धातु से बनी भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्तियां स्थापित कर पूजा करें। हरियाली तीज व्रत कथा पौराणिक कथा में भोलेनाथ कहते हैं कि पार्वती नारद मुनि एक बार तुम्हारे घर गए थे। घर जाने के बाद नारद मुनि ने आपके पिता से कहा कि, मैं विष्णु जी के भेजने पर यहां आया हूं। विष्णु जी स्वयं आपकी तेजस्वी कन्या पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की ये बात सुनकर पर्वत राज प्रसन्न हो गए। इसके बाद नारद मुनि की ये बात आपके पिताजी ने आपको बताई, आप इस प्रस्ताव से दुखी हुई। आपने रेत का शिवलिंग बनाकर तप किया। फिर आपकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मैंने आपको दर्शन दिए। इसके बाद आपकी मनोकामना पूरी करने का वचन देते हुए मैंने आपको पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया, तभी से लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी महिला सावन तीज पर व्रत करती है, उसके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।
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(Udaipur Kiran) / विष्णु पांडेय
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