नई दिल्ली, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया है कि पूर्व प्रधानमंत्रियों, पूर्व लोकसभा अध्यक्षों और पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को आजीवन सरकारी आवास देने के लिए विधायी प्रावधान किया जाए।
प्रधानमंत्री को संबोधित एक पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं एआईबीए के चेयरमैन डॉ. आदीश सी. अग्रवाल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ को सेवानिवृत्ति के बाद उपयुक्त आवास न मिल पाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट जज (संशोधन) नियम, 2022 के तहत सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को छह महीने तक दिल्ली में किराया-मुक्त आवास का प्रावधान है, फिर भी डॉ. चंद्रचूड़ दिल्ली में उपयुक्त निजी आवास पाने में असफल रहे और उन्होंने अधिकृत सरकारी आवास की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया।
सरकार ने सद्भावना के साथ यह विस्तार स्वीकृत किया, लेकिन इसका प्रभाव यह हुआ कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को आधिकारिक सीजेआई बंगले में प्रवेश में विलंब हुआ। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई को कार्यभार संभाले एक महीने से अधिक हो चुका है, वे अभी तक अधिकृत आवास में प्रवेश नहीं कर सके हैं।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं एक व्यवस्थित और गरिमामयी समाधान की आवश्यकता को दर्शाती हैं। पत्र में कहा गया है, जैसा कि भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के मामले में होता है, वैसे ही लोकतंत्र के तीनों स्तंभों- विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के उच्चतम स्तर पर सेवा देने वालों को आजीवन सरकारी आवास मिलना चाहिए।
पत्र में पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के कार्यकाल का हवाला देते हुए बताया गया है कि अनेक न्यायाधीश बहुत कम अवधि के लिए पद पर रहे, कुछ तो केवल 29 या 36 दिनों के लिए, जो कि वरिष्ठता आधारित नियुक्ति प्रणाली का परिणाम है। अल्पकालिक कार्यकाल के बावजूद इन न्यायाधीशों पर संविधान की रक्षा का अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व होता है।
पत्र में यह भी इंगित किया गया है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे पदों की तय अवधि होती है, जबकि मुख्य न्यायाधीशों का कार्यकाल अनिश्चित और सीमित होता है, इसलिए सेवानिवृत्ति के बाद स्थायित्व और गरिमा सुनिश्चित करने की एक प्रभावी व्यवस्था आवश्यक है।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
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