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नागरिक देवों भव: के सिद्धांत पर अधिकारी करें कार्य: राज्यपाल पटेल

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राज्यपाल से मिले प्रदेश कॉडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारी

भोपाल, 9 मई . राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से कहा है कि अतिथि देवों भव: के लोकाचार के समान नागरिक देवों भव: के सिद्धांत पर कार्य करने वाले अधिकारी के रूप में पहचान बनाएं. केवल प्रशासक के रूप में नहीं, विकसित भारत के वास्तुकार की तरह जिम्मेदारियों को समर्पण और करुणा के साथ पूरा करें.

राज्यपाल पटेल शुक्रवार काे आर.सी.व्ही.पी नरोन्हा प्रशासन अकादमी के प्रशिक्षु परिवीक्षाधीन भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे. राज्यपाल से भारतीय प्रशासनिक सेवा वर्ष 2024 के मध्यप्रदेश कॉडर के अधिकारियों ने राजभवन में सौजन्य भेंट की. इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव के.सी. गुप्ता मौजूद थे.

राज्यपाल पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश जनजातीय बहुल राज्य है. इसका विकास तभी संभव है, जब जनजातियों के कल्याण और विकास के प्रयासों में सहानुभूति और समानुभूति हो. उन्होंने कहा कि गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज हमारी जो नीतियाँ है, जो निर्णय हुए है और जो काम वह कर रहे है, वह अगले हजार वर्षों के भविष्य को आकार देने वाले हैं. समय की मांग है कि प्रशासनिक अधिकारी कार्य प्रक्रिया और नीति निर्माण आने वाले वर्षों के समग्र भारत के विकास के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुसार करें. भारत के समग्र विकास का मतलब यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गांव, कोई भी परिवार और कोई भी नागरिक विकास के पथ पर पीछे नहीं छूटे.

राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी को सेवक के भाव से कार्य करना चाहिए. व्यवहार और भाषा में विनम्रता और संवेदनशीलता जरूरी है. गरीबी, अभाव और अज्ञानता से जूझ रहे लोगों तक विकास को पहुँचाना प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व है. उन्होंने कहा कि वंचितों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. विकसित भारत अभियान के द्वारा पूरी सरकार उनके द्वार पर पहुँची थी. राज्यपाल के रूप में स्वयं उन्होंने 21 जिलों में भ्रमण किया था. उन्होंने कहा कि अधिकारी के रूप में आपको वंचितों के प्रति सहानुभूति और समानुभूति के साथ कार्य करना होगा, इसलिए सबसे पिछड़े क्षेत्र और व्यक्तियों तक पहुँचने को प्राथमिकता दे. उनके अभावों, अपेक्षाओं और आवश्यकता का अनुभव करें. उनको दूर करने का प्रयास करें. उन्होंने कहा कि कार्य के दौरान ऐसे पालक मिलेंगे जो स्कूल दूर होने के कारण बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे होंगे. उनकी समस्या के समाधान में आपका सहयोग बहुत जरूरी है. उनको अपने व्यवहार से बताए कि आप उनके सेवक है. राज्यपाल पटेल ने वंचित के घर पीने के लिए पानी मांगने का दृष्टांत सुनाया. अधिकारी ने वंचित वर्ग के घर पहुँच कर पीने का पानी मांगा. देर से पानी आने पर पीने से पहले विलंब का कारण पूछा, जब पता चला कि पानी का बर्तन मांग कर लाने के कारण विलंब हुआ है तो उन्होंने पानी नहीं पिया. कहा कि वह घर में उपलब्ध बर्तन में ही पानी पिएंगे. अधिकारी की इस चैतन्यता और व्यवहार ने उसके सामने बस्ती के वंचितों की स्थिति का पूरा खाका खींच दिया. साथ ही परिवार के साथ आत्मीयता के संबंध से वास्तविक स्थिति का फीडबैक भी प्राप्त कर लिया.

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/ नेहा पांडे

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