प्रयागराज, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म से उपजे अनचाहे गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यह आदेश डाक्टरों की टीम की जांच रिपोर्ट पर दिया है। कहा है कि नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति अर्जी पर निर्णय में देरी से पीड़िता के जीवन को खतरा होता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने दिया। बागपत के थाना सिंघावली अहीर थाना क्षेत्र निवासी 17 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता की मां ने याचिका दायर कर अनचाहे गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने 22 अगस्त 2025 को मुख्य चिकित्सा अधिकारी बागपत को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था। मेडिकल बोर्ड ने 23 अगस्त 2025 को पीड़िता की जांच की और अपनी रिपोर्ट में कहा कि भ्रूण की आयु 21 सप्ताह है ऐसे में अगर गर्भावस्था जारी रहती है तो यह पीड़िता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी। पीड़िता और उसके माता-पिता दोनों ने गर्भपात की प्रक्रिया के लिए सहमति दी है और पीड़िता पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है।
कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और पीड़िता की सहमति के आधार पर गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दे दी है। साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी बागपत और मेरठ को निर्देश दिया गया है कि वे लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ के डॉक्टरों की एक टीम का गठन करें और तीन दिनों के भीतर गर्भपात की प्रक्रिया पूरी करें। साथ ही भ्रूण को फोरेंसिक जांच के लिए संरक्षित किया जाए। मेरठ के जिलाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे पीड़िता और उसके परिवार के चिकित्सा और अन्य खर्चों का वहन करेंगे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 2 सितम्बर को तय की है और रिपोर्ट मांगी है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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