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महिला मैराथन की अग्रदूत नीना कुशसिक का निधन, 86 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

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बोस्टन, 17 जून (Udaipur Kiran) । महिला धावकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली बोस्टन मैराथन की पहली आधिकारिक महिला विजेता नीना कुशसिक का निधन हो गया है। वह 86 वर्ष की थीं। न्यूयॉर्क के हंटिंगटन स्टेशन स्थित ए.एल. जैकबसेन अंतिम संस्कार गृह के अनुसार नीना कुशसिक का निधन रविवार को अल्ज़ाइमर रोग से लंबे संघर्ष के बाद श्वसन विफलता के कारण हुआ।

बोस्टन एथलेटिक एसोसिएशन (बीएए) ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “नीना सिर्फ़ एक अग्रदूत या महिला धावकों की पैरोकार नहीं थीं, बल्कि खेल जगत की एक प्रतिष्ठित हस्ती थीं। उनके चेहरे की मुस्कान, हंसी और स्नेह को हम हमेशा याद रखेंगे।”

बोस्टन मैराथन में 1972 में पहली बार महिलाओं को आधिकारिक रूप से भाग लेने की अनुमति दी गई, तब नीना कुशसिक ने वह दौड़ जीतकर इतिहास रच दिया। इसके बाद उन्होंने हजारों महिलाओं को प्रेरित किया कि वे भी अपने लक्ष्यों और फिनिश लाइन तक पहुंच सकती हैं।

नीना ने 16 साल की उम्र में हाई स्कूल पास किया था, और न्यूयॉर्क के एक नियम को बदलवाकर 18 वर्ष की उम्र में नर्स की लाइसेंस प्राप्त की थी, जबकि उस समय न्यूनतम उम्र 21 वर्ष थी। उन्होंने स्केटिंग, रोलर स्केटिंग और साइक्लिंग जैसे खेलों में राज्य स्तर की चैंपियनशिप जीतीं और फिर साइकिल टूट जाने के कारण दौड़ की दुनिया में कदम रखा।

1968 से 1971 के बीच उन्होंने चार बार बोस्टन मैराथन में भाग लिया, जब महिलाओं को औपचारिक अनुमति नहीं थी। इन्हें अब ‘पायनियर एरा’ के रूप में जाना जाता है। फिर 1972 में उन्होंने पहली आधिकारिक महिला दौड़ जीती।

1970 में वे न्यूयॉर्क मैराथन में भाग लेने वाली पहली महिला बनीं। 1972 में ‘सिक्स हू सैट’ आंदोलन में वे शामिल थीं, जिसमें छह महिलाओं ने 10 मिनट तक दौड़ शुरू नहीं की थी, जिससे एमेच्योर एथलेटिक यूनियन के उस नियम का विरोध किया गया था जिसमें महिलाओं की दौड़ को पुरुषों से अलग करने की बात थी। उसी वर्ष उन्होंने यह दौड़ भी जीती और अगले साल फिर से खिताब अपने नाम किया।

नीना बाद में AAU और USA ट्रैक एंड फील्ड की समितियों में शामिल हुईं और महिला दौड़ के लिए नियम बनाने में अहम भूमिका निभाई। प्रसिद्ध धाविका कैथरीन स्विट्ज़र ने उन्हें “हमारी सबसे महान नेताओं में से एक” बताया।

स्विट्ज़र ने कहा, “नीना न केवल एक शानदार धाविका थीं बल्कि उन्होंने वर्षों तक नियम बदलने, शोध प्रस्तुत करने और यह साबित करने में योगदान दिया कि महिलाएं लंबी दूरी की दौड़ में पूरी तरह सक्षम हैं।”

अपने जीवन में नीना कुशसिक ने 80 से अधिक मैराथन में भाग लिया। उन्होंने 1977 में 50-मील दौड़ का अमेरिकी रिकॉर्ड बनाया और 1979 से 1981 तक लगातार तीन वर्षों तक एम्पायर स्टेट बिल्डिंग रन-अप जीता।

उन्हें 1999 में लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था। नीना कुशसिक का योगदान केवल महिला दौड़ को मान्यता दिलाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने एक प्रेरणा बनकर लाखों महिलाओं को अपने सपनों की ओर दौड़ लगाने का हौसला दिया।

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(Udaipur Kiran) दुबे

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