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युवाओं की मेंटल हेल्थ क्यों हो रही खराब, क्या हैं शुरुआती लक्षण?

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मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य हमारे विचारों, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करता है. यह हमारे स्ट्रेस को संभालने, दूसरों से जुड़ने और फैसले लेने की क्षमता को दर्शाता है. आज के समय में युवाओं की मेंटल हेल्थ तेजी से बिगड़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर 7 में से 1 युवा किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है. भारत में 15-24 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 14% युवा डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस से प्रभावित हैं. मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने से डिप्रेशन, एंग्जायटी डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर, स्लीप डिसऑर्डर और यहां तक कि आत्महत्या के विचार जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. समय रहते इसके संकेतों को पहचानना और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है.

गाजियाबाद जिला MMG हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग में डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं कि युवाओं की मानसिक स्थिति पर कई सामाजिक, व्यक्तिगत और तकनीकी बदलाव असर डाल रहे हैं. सबसे बड़ा कारण है पढ़ाई और करियर को लेकर बढ़ता दबाव. कॉम्पिटीशन बढ़ने से स्ट्रेस और परफॉर्मेंस प्रेशर अधिक हो गया है. दूसरा, सोशल मीडिया ने तुलना की आदत को बढ़ावा दिया है, जहां लोग दूसरों की लाइफ देखकर खुद को कम आंकने लगते हैं. तीसरा, परिवार और दोस्तों के साथ संवाद की कमी से अकेलापन बढ़ रहा है. रिलेशनशिप प्रॉब्लम्स, असफलता का डर, नींद की कमी और नशे जैसी आदतें भी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती हैं. COVID-19 के बाद से ऑनलाइन लाइफस्टाइल ने युवाओं को शारीरिक एक्टिविटी से दूर कर दिया, जिससे मानसिक ऊर्जा कमजोर हुई है. इन सभी कारणों से युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है.

क्या हैं शुरुआती लक्षण?

डॉ. एके विश्वकर्मा ने बताया कि मेंटल हेल्थ बिगड़ने के शुरुआती लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं. सबसे पहले, व्यक्ति का मूड बार-बार बदलने लगता है जैसे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा या उदासी महसूस होना. दूसरा, काम या पढ़ाई में रुचि कम होना, ध्यान भटकना और प्रोडक्टिविटी गिरना शुरू हो जाता है. तीसरा, नींद और भूख में बदलाव, कभी ज्यादा सोना या बिल्कुल न सो पाना, बहुत कम या ज्यादा खाना.

चौथा, व्यक्ति दोस्तों और परिवार से दूरी बनाने लगता है, अकेले रहना पसंद करने लगता है. पांचवां, बार-बार बेचैनी, डर या घबराहट महसूस होना, जो एंग्जायटी का संकेत हो सकता है. छठा, आत्मविश्वास में कमी, खुद को बेकार समझना और नेगेटिव विचारों का बढ़ना. कुछ युवाओं में शारीरिक लक्षण जैसे सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द भी दिखते हैं. अगर ये संकेत कुछ हफ्तों तक बने रहें, तो यह मानसिक स्वास्थ्य समस्या की शुरुआत हो सकती है और समय रहते मदद लेना जरूरी होता है.

कैसे करें बचाव

पर्याप्त नींद और नियमित दिनचर्या बनाए रखें.

सोशल मीडिया का सीमित और पॉजिटिव उपयोग करें.

भरोसेमंद लोगों से खुलकर बातें करें.

नियमित व्यायाम और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें.

तनाव महसूस होने पर प्रोफेशनल हेल्प लेने से न हिचकें.

पढ़ाई और करियर के साथ मानसिक आराम के लिए भी समय निकालें.

नशे या अस्वस्थ आदतों से दूर रहें.

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