देश के कई राज्यों से राज्यपाल और राज्य सरकाराें के बीच टकराव की खबरें सामने आती रही हैं. राज्य सरकारें अक्सर राज्यपाल पर सरकारी कामकाजों में बेवजह हस्तक्षेप करने का आरोप लगाती हैं तो वहीं राज्यपाल इसे अपने संवैधानिक अधिकार बताते हैं. इसको लेकर राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुकी हैं. इस बीच केरल सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब केरल के सरकारी स्कूलों में छात्रों को राज्यपाल की शक्तियों के बारे में पढ़ाया जाएगा. केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शुक्रवार को इस संबंध में घोषणा की है. आइए जानते हैं कि केरल सरकार के इस फैसले की वजह क्या है.
‘स्कूल लोकतंत्र के मूल्य सीखने का स्थान’केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने शुक्रवार को इस संबंध में घोषणा की है. उन्होंने कहा कि जल्द ही स्कूली पाठ्यपुस्तकों में राज्य के राज्यपालों की संवैधानिक शक्तियों व कर्तव्यों के बारे में एक पाठ शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि स्कूल लोकतंत्र के मूल्यों को सीखने के लिए आदर्श स्थान होते हैं. इसलिए संशोधित पाठ्यपुस्तकों में विशेष रूप से छात्रों को शिक्षित करने के लिए राज्यपालों की संवैधानिक शक्तियों के बारे में एक पाठ शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम सुधारों का उद्देश्य संवैधानिक सिद्धांतों को बढ़ावा देना है और स्कूल यह समझने में बच्चों की मदद करते हैं कि लोकतंत्र कैसे काम करता है.
केरल सरकार ने इस विवाद के बाद लिया फैसलाअसल में केरल सरकार ने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में राज्यपाल की शक्तियों पर आधारित पाठ्यक्रम शामिल करने का फैसला तब लिया है, जब हाल में ही राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी राज्यपाल निवास में आयाेजित कार्यक्रम को बीच में छोड़कर चले गए थे. राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत माता की तस्वीर प्रदर्शित की गई थी. उन्होंने कथित पर राज्यपाल आवास में आयोजित कार्यक्रम को आरएसएस प्रायोजित कार्यक्रम बताते हुए इसका विरोध किया था.
केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी ने शुक्रवार को दिए बयान में कहा है कि हाल के दिनों में राज्यपाल की तरफ से अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करके निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने के प्रयास बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी स्पष्ट कर दिया है कि संविधान के तहत राज्यपाल की शक्तियां क्या हैं.
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