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भीषण जंग के बीच ईरान ने मानी भारत की बात, 10 हजार भारतीयों को बाहर निकालने की दी इजाजत

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तेहरान में बिगड़ते हालात के बीच भारत के लिए एक राहत की खबर सामने आई है। ईरान ने सोमवार को भारत सरकार के अनुरोध पर अपने थल सीमा मार्गों से भारतीय नागरिकों की निकासी की अनुमति दे दी है। इस फैसले से ईरान में फंसे लगभग 10,000 भारतीय छात्रों के स्वदेश लौटने का रास्ता खुल गया है। इन छात्रों में बड़ी संख्या में जम्मू-कश्मीर के युवा शामिल हैं, जो ईरान के विभिन्न मेडिकल विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं।

हवाई सीमा बंद, अब थल मार्ग से निकासी संभव

तेहरान और तेल अवीव के बीच जारी तनाव के चलते ईरान ने अपने वायुक्षेत्र को पूरी तरह बंद कर दिया है। इसके कारण भारत सरकार के लिए हवाई मार्ग से छात्रों को निकालना संभव नहीं था। लेकिन अब ईरान ने साफ किया है कि भारतीय छात्र अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान की थल सीमाओं के जरिए बाहर जा सकते हैं। भारत सरकार इस विकल्प पर विचार कर रही है और जल्द ही इन सीमाओं के जरिये एक सुरक्षित निकासी अभियान शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।

भारतीय दूतावास की सतर्क निगरानी

तेहरान स्थित भारतीय दूतावास लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है। दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि ईरान में रह रहे छात्रों से संपर्क स्थापित किया गया है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। दूतावास ने आगे कहा, “कुछ मामलों में छात्रों को तेहरान के भीतर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। अन्य संभावित विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। जैसे ही कोई नई जानकारी उपलब्ध होगी, सभी को सूचित किया जाएगा।”

छात्र भय के माहौल में

तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के अंतरराष्ट्रीय छात्र छात्रावास के पास रविवार रात एक हमला हुआ, जिसमें दो कश्मीरी छात्र घायल हो गए। हालांकि राहत की बात यह रही कि दोनों छात्रों की स्थिति स्थिर है और उन्हें यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा रेमसर स्थानांतरित कर सुरक्षित रखा गया है। ईरान में फंसे छात्रों ने भारत सरकार से अपील की है कि हालात के बिगड़ने से पहले उनकी सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की जाए। शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी तेहरान में पढ़ रही जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा निवासी 22 वर्षीय एमबीबीएस छात्रा इम्तिसाल मोहिदीन ने समाचार एजेंसी ANI से फोन पर बातचीत में अपने डर और असुरक्षा का वर्णन किया। उन्होंने कहा, “शुक्रवार को सुबह 2:30 बजे तेज धमाके की आवाज सुनकर हम सभी बेसमेंट में भागे। तब से अब तक हम सो नहीं पाए हैं। हर रात धमाकों की आवाज सुनाई देती है। एक धमाका तो हमारे अपार्टमेंट से महज 5 किलोमीटर दूर हुआ। हम तीन दिनों से बिना नींद के इसी डर के माहौल में हैं।”

जम्मू-कश्मीर में बढ़ती चिंता

ईरान में हालात के मद्देनज़र जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (JKPCC) ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से इन छात्रों को जल्द सुरक्षित निकालने का आग्रह किया है। JKPC अध्यक्ष तारिक हामिद करा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “@DrSJaishankar से निवेदन है कि ईरान में पढ़ाई कर रहे जम्मू-कश्मीर के छात्रों को तेजी से निकाला जाए। उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए।” वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने भी छात्रों से संपर्क साधने की अपील की है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “ईरान में फंसे कश्मीरी छात्र भारतीय दूतावास के नंबर +98 9128109115 और +98 9128109109 पर कॉल या व्हाट्सएप संदेश भेजें। यदि संपर्क न हो तो @jkpdp या @YouthJKPDP को टैग करें।”

भारत सरकार कर रही है निकासी की योजना

भारतीय विदेश मंत्रालय इस पूरी स्थिति पर गंभीरता से विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार इस बात की संभावना तलाश रही है कि इन थल मार्गों के जरिये छात्रों को पड़ोसी देशों तक पहुंचाया जाए, जहां से उन्हें सुरक्षित रूप से भारत लाया जा सके। भारतीय दूतावास लगातार स्थानीय प्रशासन, ईरानी अधिकारियों और BSF के संपर्क में है, ताकि निकासी के हर पहलू को सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया जा सके।

छात्रों के परिजनों में चिंता

इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे अधिक चिंता का माहौल भारत में, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के उन परिवारों में है जिनके बच्चे ईरान में फंसे हैं। माता-पिता हर पल अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कई परिजनों ने मीडिया के माध्यम से भी सरकार से निवेदन किया है कि जल्द से जल्द बच्चों की वापसी कराई जाए। एक छात्र के पिता ने कहा, “हम तीन दिनों से सो नहीं पाए हैं। हर घंटे दूतावास की वेबसाइट और समाचार चैनल्स देख रहे हैं कि कोई नई सूचना मिले। सरकार से निवेदन है कि हमारे बच्चों को सही सलामत वापस लाया जाए।”

ईरान में फंसे भारतीयों की संख्या

जानकारी के अनुसार ईरान में वर्तमान समय में 10,000 से अधिक भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें अधिकांश छात्र हैं। इनमें से भी एक बड़ी संख्या मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं की है, जो तेहरान, इस्फहान, मशहद और अन्य बड़े शहरों की यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से बहुत से छात्र जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली और केरल जैसे राज्यों से हैं। भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन सभी क्षेत्रों के छात्रों के साथ संपर्क बना रहे और निकासी प्रक्रिया उनके लिए भी प्रभावी हो।

भविष्य के लिए सबक

इस घटना से यह बात भी स्पष्ट होती है कि विदेश में पढ़ने जाने वाले छात्रों के लिए संकट प्रबंधन और आपातकालीन योजना कितनी आवश्यक है। कई छात्रों ने ANI से बातचीत में बताया कि इस अप्रत्याशित स्थिति के लिए वे मानसिक रूप से तैयार नहीं थे। न तो पर्याप्त आपातकालीन किट उनके पास थी, न ही तत्काल निकासी की कोई स्पष्ट जानकारी। सरकार और विश्वविद्यालयों के लिए यह समय है कि वे भविष्य में विदेशों में पढ़ने जा रहे छात्रों को इस तरह के आपातकालीन प्रशिक्षण और जागरूकता दें, ताकि वे किसी भी संकट से निपटने में सक्षम हों। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया भर में चिंता की लहर दौड़ा दी है। भारत के लिए यह राहत की बात है कि ईरान ने थल सीमाओं से निकासी का विकल्प दिया है, लेकिन चुनौतियां अब भी कम नहीं हैं। सीमा पार करना, पड़ोसी देशों में सुरक्षित प्रवेश पाना और वहां से भारत तक वापसी सुनिश्चित करना – यह सब एक जटिल प्रक्रिया है। भारतीय दूतावास, विदेश मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय से ही इस संकट का समाधान संभव है। आशा है कि जल्द ही सभी भारतीय छात्र सुरक्षित स्वदेश लौटेंगे और उनके परिवारों की चिंता समाप्त होगी। भारत सरकार की सक्रियता और तत्परता इस कठिन घड़ी में उसकी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को साबित कर रही है। आने वाले दिनों में इस मिशन की सफलता पर पूरे देश की निगाहें रहेंगी।

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