राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगमों को राज्य के शहरों की सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि नगर निगम को एक सप्ताह के भीतर विस्तृत कार्ययोजना (डिटेल्ड प्लान) बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी। इस योजना में ठोस कचरे (Solid Waste) और निर्माण मलबे (Construction Debris) के संग्रहण और निपटान की ठोस रणनीति शामिल होनी चाहिए।
याचिका पर सुनवाईयह आदेश जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस संगीता शर्मा की खंडपीठ ने मंगलवार को दिया। पीठ महेश गहलोत द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया था कि नगर निगम द्वारा सफाई व्यवस्था को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे, जिसके कारण शहरों में गंदगी और प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है।
कोर्ट का स्पष्ट संदेशसुनवाई के दौरान खंडपीठ ने नगर निगम की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की। अदालत ने कहा कि स्वच्छता केवल दिखावे या औपचारिकता तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह ठोस कचरे और निर्माण मलबे के संग्रहण एवं निस्तारण के लिए व्यवस्थित और दीर्घकालिक रणनीति तैयार करे। कोर्ट ने साफ कहा कि शहर की स्वच्छता व्यवस्था में सुधार करना प्रशासन का दायित्व है, जिसे किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
एक सप्ताह की समयसीमाखंडपीठ ने नगर निगम को एक सप्ताह का समय देते हुए निर्देश दिया कि वह विस्तृत प्लान तैयार करके कोर्ट को सौंपे। इस प्लान में कचरे के डोर-टू-डोर कलेक्शन, अलग-अलग कचरे का पृथक्करण, परिवहन व्यवस्था, वैज्ञानिक निस्तारण और रीसाइक्लिंग की व्यवस्था का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। साथ ही, निर्माण स्थलों से निकलने वाले मलबे को एकत्र करने और उसका उचित निपटान सुनिश्चित करने की भी रणनीति बतानी होगी।
बढ़ती गंदगी से जनता परेशानराजधानी जयपुर समेत राज्य के अन्य बड़े शहरों में सफाई व्यवस्था लंबे समय से सवालों के घेरे में है। जगह-जगह कचरे के ढेर, नालियों की सफाई में लापरवाही और निर्माण मलबे के अनियंत्रित ढेर नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि गंदगी से न सिर्फ शहर की सुंदरता प्रभावित हो रही है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर असर पड़ रहा है।
कोर्ट की सख्ती का असरविशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट का यह आदेश नगर निगम के लिए एक सख्त चेतावनी है। यदि निगम समयसीमा में ठोस और कारगर प्लान प्रस्तुत करने में विफल रहा, तो अदालत भविष्य में और कठोर कदम उठा सकती है। इससे नगर निगम पर जवाबदेही तय होगी और सफाई व्यवस्था में सुधार की उम्मीद बढ़ेगी।
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