अगर आप इस वीकेंड पर किसी शांत, प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थल की तलाश में हैं, तो राजस्थान का छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत शहर बांसवाड़ा (Banswara) आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है। राजस्थान को आमतौर पर रेगिस्तानी धरती के रूप में देखा जाता है, लेकिन बांसवाड़ा इसकी इस छवि को बिल्कुल बदल देता है। हरे-भरे जंगल, झीलें, पहाड़ और आदिवासी संस्कृति से भरा यह शहर प्रकृति प्रेमियों और संस्कृति जिज्ञासुओं के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।
क्यों खास है बांसवाड़ा?
राजस्थान के दक्षिणी सिरे पर बसा बांसवाड़ा शहर “झीलों का शहर” भी कहलाता है। यहां 100 से ज्यादा छोटी-बड़ी झीलें मौजूद हैं, जो पूरे शहर को हरियाली और ठंडक देती हैं। यह शहर न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में समृद्ध है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत भी काफी समृद्ध है।अगर आप किसी भीड़भाड़ से दूर, शांति भरी जगह पर कुछ दिन बिताना चाहते हैं, तो बांसवाड़ा एक आदर्श वीकेंड ट्रिप बन सकता है।
बांसवाड़ा में घूमने की प्रमुख जगहें
1. दीवेर और आनंद सागर झील
बांसवाड़ा की पहचान इसकी झीलों से है। आनंद सागर झील न केवल शहर को जीवन देती है, बल्कि इसके किनारे बैठकर सूर्यास्त देखना एक दिव्य अनुभव होता है। वहीं दीवेर झील का शांत जल और उसके चारों ओर फैली हरियाली पर्यटकों को मनमोहित कर देती है।
2. राज मंदिर (राजमहल)
बांसवाड़ा का राजमहल एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो प्राचीन वास्तुकला और शाही वैभव का प्रतीक है। महल से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है।
3. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
यह मंदिर बांसवाड़ा का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है। त्रिपुरा सुंदरी देवी को समर्पित यह मंदिर हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। मान्यता है कि यहां मां दुर्गा की मूर्ति स्वयंभू है।
4. मंगलगढ़ का किला
इतिहास प्रेमियों के लिए बांसवाड़ा में मंगलगढ़ किला एक आकर्षण का केंद्र है। यह किला अपने प्राचीन खंडहर और ऐतिहासिक रहस्यों के लिए जाना जाता है।
5. अरथुना मंदिर परिसर
10वीं शताब्दी में बने अरथुना मंदिर प्राचीन स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण हैं। यहां की मूर्तियां और खंडहर इतिहास के पन्नों को जीवंत कर देते हैं।
प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग
बांसवाड़ा को “छोटा कश्मीर” भी कहा जाता है। यहां के जलप्रपात, हरियाली, पहाड़ और झीलें पर्यटकों को किसी हिल स्टेशन जैसा अनुभव कराती हैं। मानसून के मौसम में यह शहर और भी सुंदर हो जाता है। झरनों का कलकल संगीत और झीलों का शांत जल मन को सुकून देता है।
लोक संस्कृति और बाजार
बांसवाड़ा की आदिवासी संस्कृति इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। यहां के लोकनृत्य, वेशभूषा और हस्तशिल्प चीजें यहां की संस्कृति को जीवंत बनाए रखती हैं। अगर आप यहां की लोककला और हस्तशिल्प के शौकीन हैं, तो यहां के बाजारों से आप आदिवासी आभूषण, मिट्टी के बर्तन और पारंपरिक कपड़े जरूर खरीद सकते हैं।
क्या खाएं बांसवाड़ा में?
बांसवाड़ा में राजस्थानी और आदिवासी भोजन दोनों की झलक मिलती है। दाल-बाटी-चूरमा, गट्टे की सब्जी, और बाजरे की रोटी जैसे पारंपरिक व्यंजन तो मिलते ही हैं, साथ ही कुछ स्थानीय व्यंजन जैसे जावर की रोटी और कड़ी का स्वाद भी अवश्य लें।
कैसे पहुंचे बांसवाड़ा?
सड़क मार्ग: बांसवाड़ा राजस्थान के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। उदयपुर से यह लगभग 160 किमी की दूरी पर है।
रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन रतलाम (मध्यप्रदेश) या डूंगरपुर हो सकता है।
हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर (डबोक एयरपोर्ट) है, जहां से बांसवाड़ा तक टैक्सी या बस द्वारा पहुंचा जा सकता है।
अगर आप वीकेंड पर किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं जो शांत, सुंदर और भीड़भाड़ से दूर हो — तो बांसवाड़ा आपके लिए परफेक्ट ट्रिप डेस्टिनेशन है। यहां की झीलें, मंदिर, पहाड़, और ऐतिहासिक स्थल मन को प्रसन्न कर देते हैं। यह शहर न केवल आंखों को सुकून देता है, बल्कि आत्मा को भी छू जाता है।तो इस वीकेंड, भीड़ से हटकर एक सुकूनभरे अनुभव के लिए निकल पड़िए राजस्थान के बांसवाड़ा की ओर, जहां हर मोड़ पर आपको प्रकृति, संस्कृति और अध्यात्म के रंग बिखरे हुए मिलेंगे।
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