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नवरात्रि में लोगों को क्यों करना च्चाहिये देवी स्तोत्रं का पाठ ? वीडियो में दिव्य लाभ जानकर आप भी शुरू कर देंगे जाप

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शारदीय नवरात्रि का पर्व भारत में विशेष रूप से उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह न केवल माता दुर्गा की उपासना का समय है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से मुक्ति पाने का भी अवसर माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस पवित्र नौ दिन के दौरान माता के विभिन्न रूपों की पूजा और स्तोत्र पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार की विपत्तियाँ और संकट दूर होते हैं।

विशेष रूप से नवरात्रि में देवी दुर्गा के स्तोत्रों का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। देवी दुर्गा, जिन्हें शक्ति और सुरक्षा की प्रतीक माना जाता है, अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय, दुख और मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करती हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि “या देवी सर्वभूतेषु” स्तोत्र का नियमित पाठ करने से जीवन में नकारात्मकताओं का नाश होता है और स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति का वातावरण बनता है।

नवरात्रि के दौरान पाठ किए जाने वाले प्रमुख स्तोत्रों में दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और कालीाष्टक स्तोत्र शामिल हैं। दुर्गा सप्तशती को 700 श्लोकों वाला ग्रंथ माना जाता है, जिसमें देवी के विभिन्न रूपों का वर्णन और उनकी महिमा का विस्तृत विवरण मिलता है। इसे पढ़ने से न केवल मानसिक और आत्मिक शक्ति में वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से निपटने की क्षमता भी बढ़ती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नवरात्रि के पवित्र समय में स्तोत्र पाठ का प्रभाव सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। यह समय सूर्य और चंद्रमा की अनुकूल स्थिति, नक्षत्रों और पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में होने के कारण अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। जब भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ माता के स्तोत्रों का पाठ करता है, तो उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है और जीवन में विपत्तियाँ स्वतः दूर होती हैं।

नवरात्रि के दौरान स्तोत्र पाठ के साथ-साथ नियमित पूजा और ध्यान का महत्व भी अत्यधिक है। प्रातःकाल स्वच्छ वातावरण में दीपक जलाकर, धूप और फूल अर्पित करते हुए माता का ध्यान करना चाहिए। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही, स्तोत्र पाठ से आत्मिक शक्ति में वृद्धि होती है और जीवन की नकारात्मक परिस्थितियों का प्रभाव कम होता है।

धार्मिक आचार्यों का मानना है कि नवरात्रि में स्तोत्र पाठ न केवल व्यक्तिगत जीवन को लाभ पहुँचाता है, बल्कि परिवार और समाज में भी सकारात्मकता का संचार करता है। माता के स्तोत्रों का पाठ करने से व्यक्ति की भौतिक और मानसिक समस्याएँ कम होती हैं, व्यवसायिक और शैक्षणिक जीवन में सफलता मिलती है और पारिवारिक वातावरण सुखमय बनता है।

अतः नवरात्रि में माता दुर्गा के स्तोत्रों का पाठ करना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से निपटने का एक प्रभावी उपाय भी है। यह आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, जो मानसिक संतुलन, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाता है। इन नौ दिनों के दौरान नियमित रूप से स्तोत्र पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विपत्तियाँ और संकट स्वतः दूर हो जाते हैं।

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