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International Yoga Day 2025: 80 की उम्र में दौड़ते हैं युवाओं से तेज, तीन लीटर दूध पीने वाले शिव भगवान भाकर की कहानी बनी मिसाल

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राजस्थान के सरदारशहर तहसील के पिचकराई ताल गांव से आने वाले 80 वर्षीय शिव भगवान भाकर ने यह साबित कर दिया है कि उम्र महज एक संख्या है। योग के जरिए उन्होंने न केवल गंभीर बीमारियों को मात दी, बल्कि आज भी अपनी ऊर्जा, फिटनेस और जीवनशैली से युवाओं को पीछे छोड़ते हैं।

जब दुनिया उम्र बढ़ने के साथ रिटायरमेंट की बात करती है, तब शिव भगवान भाकर अपनी दिनचर्या से लोगों को चौंकाते हैं। हर दिन सुबह 4 बजे उठकर वह 3 किलोमीटर दौड़ते हैं, फिर 3 घंटे योग करते हैं और 2-3 लीटर दूध पीते हैं। कबड्डी जैसे खेलों में भी वह सक्रिय हैं और कई बार युवाओं को धूल चटा चुके हैं।

योग ने बदल दी जिंदगी

शिव भगवान की कहानी सिर्फ प्रेरणादायक ही नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बदलाव का उत्तम उदाहरण है। साल 2001 में जब उन्हें दो बार हार्ट अटैक आया, तो डॉक्टरों ने उन्हें सख्त परहेज की सलाह दी—ना घी, ना ज्यादा दूध। तीन महीने दवाओं के सहारे रहने के बावजूद राहत नहीं मिली। जब दवाएं बेअसर रहीं, तब उन्होंने योग को अपनाने का फैसला किया।

स्वामी रामदेव से प्रेरणा लेकर उन्होंने घर पर योग शुरू किया और 2007 में पतंजलि योगपीठ के एक शिविर में जाकर विधिवत प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। उन्होंने योग को जीवन का हिस्सा बना लिया और तब से अब तक बीमारियों से कोसों दूर हैं।

स्वास्थ्य का चमत्कारी सुधार

योग के असर से शिव भगवान को न केवल दिल की बीमारियों से राहत मिली, बल्कि आंखों के पुराने चश्मे से भी छुटकारा मिला। जहां 38 साल की उम्र से उन्हें नंबर का चश्मा लग चुका था, वहीं अब उनकी नजर बिना चश्मे के भी साफ है। आंखों की जलन और पानी गिरने की समस्या भी खत्म हो चुकी है।

वह अब किसी दवा पर निर्भर नहीं हैं और जीवन को पूरी तरह स्वस्थ रूप से जी रहे हैं। इतना ही नहीं, वह अपने खेतों में भी पूरे जोश से काम करते हैं और गायों से उन्हें गहरा लगाव है।

गांव में बने प्रेरणा स्रोत

शिव भगवान भाकर सिर्फ खुद ही योग नहीं करते, बल्कि आसपास के गांवों में जाकर युवाओं और बुजुर्गों को योग सिखाते हैं। वे बताते हैं कि योग मानसिक तनाव, शारीरिक बीमारियों और जीवन में आने वाले नकारात्मक विचारों से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है।

पतंजलि योगपीठ से जुड़े डॉक्टर सत्यनारायण झाझड़िया के अनुसार, शिव भगवान कई दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं और अक्सर युवाओं से आगे निकल जाते हैं। गांव में उनके जैसी फिटनेस को देखकर अब युवा भी योग की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

हर व्यक्ति के लिए संदेश

शिव भगवान का मानना है कि अगर हर व्यक्ति रोज कम से कम एक घंटा योग करे, तो उसे कभी किसी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ेगा। योग के माध्यम से उन्होंने न केवल खुद को स्वस्थ रखा बल्कि समाज को भी एक दिशा दी।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर शिव भगवान भाकर की यह प्रेरक कहानी यह बताने के लिए काफी है कि योग न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। जब एक 80 वर्षीय ग्रामीण बुजुर्ग इतनी सक्रिय और स्वास्थ्यपूर्ण जिंदगी जी सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?

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