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हिंदू धर्म में पैर छूने से बचने वाली परिस्थितियाँ

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पैर छूने की परंपरा और इसके महत्व

ज्योतिष टिप्स: हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में पैर छूना एक महत्वपूर्ण रिवाज है, जो सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रतीक है। यह परंपरा गुरु, माता-पिता और बड़ों के प्रति आदर व्यक्त करने का एक तरीका है। हालांकि, कुछ शास्त्रों में यह बताया गया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में या कुछ व्यक्तियों के पैर छूने से बचना चाहिए।


अशुद्ध अवस्था में

मनुस्मृति और गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से अशुद्ध है, तो उसके पैर छूने से बचना चाहिए। जैसे कि स्नान न करने वाले व्यक्ति या जन्म और मृत्यु के बाद की अशुद्धता में रहने वाले व्यक्ति के पैर नहीं छूने चाहिए। ऐसे व्यक्तियों के पैर छूने से नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है।


निंदनीय आचरण वाले व्यक्ति

मनुस्मृति और चाणक्य नीति के अनुसार, जो लोग अनैतिक कार्यों में लिप्त हैं, उनके प्रति सम्मान व्यक्त करना उचित नहीं है। ऐसे व्यक्तियों के पैर छूने से बचना चाहिए, क्योंकि उनका आशीर्वाद प्रभावी नहीं माना जाता। चाणक्य नीति में कहा गया है कि 'दुराचारी और पापी का सम्मान नहीं करना चाहिए।'


अज्ञानी या धर्म-विरोधी व्यक्ति

विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति धर्म और शास्त्रों का विरोध करता है या अज्ञानी है, उसके पैर छूने से कोई आध्यात्मिक लाभ नहीं होता। ऐसे व्यक्तियों का सम्मान करने से पहले उनकी योग्यता और आचरण की जांच करनी चाहिए।


पत्नी के पैर

हिंदू परंपराओं में, पति को पत्नी के पैर नहीं छूने चाहिए। यह परंपरा आज भी कई जगहों पर देखी जाती है। पत्नी के हाथों में शुक्र और पति के पैर में शनि का वास माना जाता है। जब पत्नी पति के पैर छूती है, तो घर में सुख-समृद्धि आती है।


मासिक धर्म की अवस्था में

गरुड़ पुराण और अन्य धर्मशास्त्रों के अनुसार, किसी भी स्त्री के पैर मासिक धर्म के समय नहीं छूने चाहिए। इस दौरान स्त्री को अशुद्ध माना जाता है, और इस अवस्था में आशीर्वाद लेने की प्रक्रिया को टाल देना चाहिए।


जानकारी का स्रोत

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है।


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