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Vishnupad Temple Gaya : आंखों में आंसू, हाथ में पिंड ,जब मां सुषमा स्वराज के लिए बेटी बांसुरी ने गया में किया श्राद्ध

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News India Live, Digital Desk: Vishnupad Temple Gaya : पितृपक्ष का समय जब आता है, तो बिहार की धरती गया जी का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह वह मौका होता है जब देश और दुनिया भर से लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने यहां पहुंचते हैं। इस साल भी यह परंपरा जारी है, लेकिन इस बार गया जी में कुछ ऐसे चेहरे दिखे, जिन्होंने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। इनमें दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज से लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और महाभारत के 'दुर्योधन' यानी पुनीत इस्सर तक शामिल थे।मां को याद कर भावुक हुईं बांसुरी स्वराजदिल्ली की सांसद और दिवंगत विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भी अपनी मां और पूर्वजों का श्राद्ध करने गया जी पहुंचीं। उन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ फल्गु नदी के देवघाट पर तर्पण और पिंडदान किया। इस दौरान मां को याद करते हुए वह काफी भावुक नजर आईं। उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। गयापाल पुरोहितों ने उनके लिए पूजा संपन्न कराई। बांसुरी का इस तरह अपनी मां के लिए परंपराओं का निर्वहन करना लोगों के दिलों को छू गया।लालू प्रसाद यादव ने भी किया पिंडदानबिहार की राजनीति के दिग्गज और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने गया पहुंचे। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद, वे खुद इस महत्वपूर्ण अनुष्ठान का हिस्सा बने। उन्होंने विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु नदी के तट पर अपने पितरों के लिए पिंडदान किया। लालू यादव का इस तरह धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होना हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है, और इस बार भी उनकी मौजूदगी ने खूब सुर्खियां बटोरीं।'दुर्योधन' भी पहुंचे पूर्वजों की मुक्ति की कामना लिएमहाभारत सीरियल में दुर्योधन का किरदार निभाकर घर-घर में पहचान बनाने वाले मशहूर अभिनेता पुनीत इस्सर भी गया जी पहुंचे। उन्होंने भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। अक्सर पर्दे पर मजबूत किरदारों में दिखने वाले पुनीत इस्सर का यह भक्तिमय रूप उनके प्रशंसकों के लिए एक अलग अनुभव था। उन्होंने कहा कि गया जी आकर उन्हें आत्मिक शांति का अनुभव हो रहा है।क्यों खास है गया जी का पिंडदान?मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यही वजह है कि हर साल पितृपक्ष के 15 दिनों में यहां लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। आम हो या खास, हर कोई यहां एक ही कामना लेकर आता है - अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाना। इस साल इन बड़े चेहरों का यहां पहुंचना इस परंपरा की गहरी जड़ों और महत्व को और भी मजबूत करता है।
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