इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सरकार ने औपचारिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। इसके लिए मई 2025 में भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान ट्रंप के निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप और निर्णायक नेतृत्व का हवाला दिया गया है। पाकिस्तान ने ट्रंप को दो परमाणु संपन्न राष्ट्रों के बीच संभावित विनाशकारी संघर्ष को रोकने का श्रेय दिया है। पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर इस फैसले की जानकारी दी गई है। बयान में इस्लामाबाद ने ट्रंप की तारीफ की और कहा कि उनके हस्तक्षेप के कारण भारत और पाकिस्तान में युद्धविराम हुआ। इसके पहले अमेरिका दौरे पर पहुंचे पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार की पैरवी की थी।
ट्रंप को युद्धविराम का क्रेडिट
बयान में कहा गया, राष्ट्रपति ट्रंप ने महत्वपूर्ण समय पर इस्लामाबाद और नई दिल्ली दोनों को शामिल करके शानदार रणनीतिक दूरदर्शिता और शानदार राजनीति का परिचय दिया। 'उनके प्रयासों से युद्धविराम हुआ, जिससे एक भयावह संघर्ष टल गया।' इसमें आगे कहा गया कि संकट की शुरुआत 'अकारण और गैरकानूनी भारतीय आक्रमण' से हुई, जिसने पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन किया।
भारत और पाकिस्तान सैन्य संघर्ष
22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई की सुबह को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी मिसाइल और ड्रोन हमले किए जिससे संघर्ष तेज हो गया। पाकिस्तान ने जवाब में ऑपरेशन बुनयान-उन-मरसूस शुरू किया, जिसे नपी-तुली और सटीक सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में बताया गया। पाकिस्तान ने दावा किया कि यह ट्रंप की बैक चैनल कूटनीति थी, जिसने स्थिति को कम करने और शांति बहाल करने में मदद की।
दोनों पक्षों के बीच 10 मई को संघर्ष रोकने पर सहमति बनी थी। इसके बाद से ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि उनके प्रयासों से संघर्षविराम हुआ था। हालांकि, भारत ने बार-बार इसे खारिज किया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा था कि पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष रोकने के अनुरोध के बाद भारतीय सेना ने इस पर चर्चा शुरू की थी। इसके लिए किसी तीसरे देश ने मध्यस्थता नहीं की और न ही भारत इस तरह की मध्यस्थता को स्वीकार करेगा।
ट्रंप को युद्धविराम का क्रेडिट
बयान में कहा गया, राष्ट्रपति ट्रंप ने महत्वपूर्ण समय पर इस्लामाबाद और नई दिल्ली दोनों को शामिल करके शानदार रणनीतिक दूरदर्शिता और शानदार राजनीति का परिचय दिया। 'उनके प्रयासों से युद्धविराम हुआ, जिससे एक भयावह संघर्ष टल गया।' इसमें आगे कहा गया कि संकट की शुरुआत 'अकारण और गैरकानूनी भारतीय आक्रमण' से हुई, जिसने पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन किया।
भारत और पाकिस्तान सैन्य संघर्ष
22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 7 मई की सुबह को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी मिसाइल और ड्रोन हमले किए जिससे संघर्ष तेज हो गया। पाकिस्तान ने जवाब में ऑपरेशन बुनयान-उन-मरसूस शुरू किया, जिसे नपी-तुली और सटीक सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में बताया गया। पाकिस्तान ने दावा किया कि यह ट्रंप की बैक चैनल कूटनीति थी, जिसने स्थिति को कम करने और शांति बहाल करने में मदद की।
दोनों पक्षों के बीच 10 मई को संघर्ष रोकने पर सहमति बनी थी। इसके बाद से ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि उनके प्रयासों से संघर्षविराम हुआ था। हालांकि, भारत ने बार-बार इसे खारिज किया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा था कि पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष रोकने के अनुरोध के बाद भारतीय सेना ने इस पर चर्चा शुरू की थी। इसके लिए किसी तीसरे देश ने मध्यस्थता नहीं की और न ही भारत इस तरह की मध्यस्थता को स्वीकार करेगा।
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