अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा (USF) के रिसर्चर एक ऐसी तकनीक बना रहे हैं, जो आपदा के समय लोगों की जान बचा सकती है। यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोट का इस्तेमाल करती है। इसकी मदद से आपातकाल में बिना आवाज या शब्दों के संदेश भेजे जा सकते हैं। USF के बेलिनी कॉलेज ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबरसिक्योरिटी और कंप्यूटिंग में छात्र और प्रोफेसर मिलकर एक खास तकनीक पर काम कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम 'यूनिफाइड ऑगमेंटेड रियलिटी' है। यह काम रेयर (रियलिटी, ऑटोनॉमी, और रोबोट एक्सपीरियंस) लैब में हो रहा है। इसका मकसद आपदा के समय बचाव दल को रास्ता दिखाना या जरूरी जानकारी देना है।
कैसे जरूरी है ये तकनीक?फॉक्स 13 की रिपोर्ट बताती है कि इस प्रोजेक्ट को प्रोफेसर डॉ. झाओ हान लीड कर रहे हैं। उनका कहना है कि आपदा के समय अक्सर शोर, मलबा या सिग्नल की कमी के कारण बातचीत करना मुश्किल हो जाता है। अगर आप जोर से चिल्लाएं, तब भी लोग सुन नहीं पाते। वायरलेस सिग्नल भी काम नहीं करते। इसलिए उनकी टीम ने रोबोट को विजुअल सिग्नल दिखाने के लिए तैयार किया है।
ऐसे काम करता है रोबोटरेयर लैब में चार रोबोट पर काम हो रहा है, जिनमें एक ड्रोन भी शामिल है। ये रोबोट जमीन को स्कैन करते हैं, लाइट और बनावट को समझते हैं और फिर जरूरी संदेश प्रोजेक्ट करते हैं। एक रोबोट, जिसका नाम 'बीएन बीएन' है, जो 45 डिग्री के एंगल पर चल सकता है और मुश्किल जगहों पर पहुंच सकता है। यह रोबोट खतरनाक इलाकों में जाकर बचाव दल को जानकारी दे सकता है।
'तकनीक को बाजार में लाने की तैयारी'इस प्रोजेक्ट को 411,000 डॉलर की फंडिंग नेशनल साइंस फाउंडेशन से मिली है। टीम का लक्ष्य इस तकनीक को बाजार में लाना है, ताकि बचाव कार्य तेज और सुरक्षित हो सकें। इस बनाने में भूमिका निभाने वाले स्टूडेंट बाओ दिन्ह कहते हैं कि यह काम बहुत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि दुनिया में लोगों की मदद करने वाला आविष्कार हो सकता है। बता दें कि हर साल इमरजेंसी की स्थिति में बहुत सारे लोगों की तो इसलिए मौत हो जाती है, क्योंकि वे सिग्नल नहीं दे पाते।
कैसे जरूरी है ये तकनीक?फॉक्स 13 की रिपोर्ट बताती है कि इस प्रोजेक्ट को प्रोफेसर डॉ. झाओ हान लीड कर रहे हैं। उनका कहना है कि आपदा के समय अक्सर शोर, मलबा या सिग्नल की कमी के कारण बातचीत करना मुश्किल हो जाता है। अगर आप जोर से चिल्लाएं, तब भी लोग सुन नहीं पाते। वायरलेस सिग्नल भी काम नहीं करते। इसलिए उनकी टीम ने रोबोट को विजुअल सिग्नल दिखाने के लिए तैयार किया है।
ऐसे काम करता है रोबोटरेयर लैब में चार रोबोट पर काम हो रहा है, जिनमें एक ड्रोन भी शामिल है। ये रोबोट जमीन को स्कैन करते हैं, लाइट और बनावट को समझते हैं और फिर जरूरी संदेश प्रोजेक्ट करते हैं। एक रोबोट, जिसका नाम 'बीएन बीएन' है, जो 45 डिग्री के एंगल पर चल सकता है और मुश्किल जगहों पर पहुंच सकता है। यह रोबोट खतरनाक इलाकों में जाकर बचाव दल को जानकारी दे सकता है।
'तकनीक को बाजार में लाने की तैयारी'इस प्रोजेक्ट को 411,000 डॉलर की फंडिंग नेशनल साइंस फाउंडेशन से मिली है। टीम का लक्ष्य इस तकनीक को बाजार में लाना है, ताकि बचाव कार्य तेज और सुरक्षित हो सकें। इस बनाने में भूमिका निभाने वाले स्टूडेंट बाओ दिन्ह कहते हैं कि यह काम बहुत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि दुनिया में लोगों की मदद करने वाला आविष्कार हो सकता है। बता दें कि हर साल इमरजेंसी की स्थिति में बहुत सारे लोगों की तो इसलिए मौत हो जाती है, क्योंकि वे सिग्नल नहीं दे पाते।
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