क्या आप भी हाल ही में थोड़ा लो महसूस कर रहे हैं? क्या मन बेचैन और तनाव से भरा लगता है? तो हो सकता है, आपकी दवा कोई गोली नहीं, बल्कि एक प्यारा सा गाना हो! संगीत एक ऐसा टूल है जो न सिर्फ मन को सुकून देता है, बल्कि हमारी भावनात्मक सेहत को भी संतुलित करता है।
अध्ययन (ref) से यह साबित हुआ है कि संगीत सुनना डिप्रेशन, एंग्जायटी और स्ट्रेस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। अलग-अलग मूड के लिए अलग-अलग प्रकार के म्यूजिक का असर हमारे ब्रेन के रसायनों पर पड़ता है, जिससे मूड अच्छा होता है। खासकर धीमे, मेलोडियस गाने हमारे दिल और दिमाग दोनों को शांत करते हैं।
चाहे आप अकेले हों, थके हुए हों, या फिर कुछ सोच-सोचकर परेशान हों—संगीत एक सच्चा साथी बन सकता है। यह आपकी भावनाओं को शब्द देता है, आपकी तन्हाई को सहारा देता है और आपके अंदर छिपे तनाव को बाहर निकालता है। तो अगली बार जब मन उदास हो, एक अच्छा सा गाना बजाइए और खुद को हल्का महसूस कीजिए।(Photo credit):Canva
जब शब्द कम पड़ जाएं, संगीत बोल उठता है
गीत की सबसे खास बात यह है कि यह बिना शब्दों के भी भावनाएं व्यक्त कर सकता है। जब आप किसी को अपनी स्थिति समझा नहीं पा रहे हों, तब एक गाना आपके मन की बात कह देता है। यह भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक बेहतरीन ज़रिया है। उदासी, प्यार, अकेलापन या खुशी—हर भावना का एक संगीत होता है जो आपको भावनात्मक राहत देता है।
तनाव और चिंता का नेचुरल इलाज

तेज़ भागती ज़िंदगी में जब हर तरफ दबाव हो, तो संगीत दिमाग को ठहराव देने का काम करता है। धीमा, क्लासिकल या सॉफ्ट म्यूजिक ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय करता है और कोर्टिसोल यानी तनाव हार्मोन को घटाता है। यह नेचुरल थेरेपी की तरह काम करता है, बिना किसी साइड इफेक्ट के।
नींद की परेशानी में भी कारगर है संगीत

अगर आपको रात में नींद नहीं आती, तो सॉफ्ट और रिलैक्सिंग म्यूजिक आपके लिए मददगार हो सकता है। शोध बताते हैं कि सोने से पहले 20-30 मिनट संगीत सुनने से नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। यह मस्तिष्क को शांत कर अनावश्यक विचारों को धीमा करता है, जिससे नींद आसानी से आती है।
म्यूजिक थेरेपी: डिप्रेशन और एंग्जायटी में सहारा
म्यूजिक थेरेपी अब मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मान्य इलाज के रूप में उभर रही है। कई मनोवैज्ञानिक और थेरेपिस्ट इसे अपने उपचार का हिस्सा बना चुके हैं। यह न सिर्फ मरीजों को भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस कराता है, बल्कि उनकी सोच और व्यवहार पर भी सकारात्मक असर डालता है।बेहतर मेंटल हेल्थ के लिए म्यूजिक थेरेपी एक बेहतरीन उपाय है।
कौन-सा म्यूजिक कब सुनें?
हर मूड के लिए संगीत का एक अलग रंग होता है। जब आप थके हों तो इंस्टरुमेंटल म्यूजिक सुनें, जब गुस्से में हों तो शांत क्लासिकल म्यूजिक लें। उदासी में पुरानी यादों वाले गाने राहत दे सकते हैं, वहीं मोटिवेशन चाहिए तो एनर्जेटिक बीट्स वाले गाने काम आते हैं। म्यूजिक को अपने मूड के अनुसार चुनना एक कला है।
खुद के साथ जुड़ने का तरीका भी है संगीत

जब आप अकेले हों और किसी से बात करने का मन न हो, तो संगीत आपका सबसे अच्छा साथी बन जाता है। यह न सिर्फ दूसरों से जोड़ता है, बल्कि आपको खुद के साथ भी जोड़ता है। गाने सुनते हुए आप खुद की भावनाओं को महसूस करते हैं और आत्ममंथन की स्थिति में आते हैं, जो मानसिक शांति की ओर एक कदम होता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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