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चीन से KJ-500 सर्विलांस एयरक्राफ्ट खरीदेगा पाकिस्तान, लाहौर से दिल्ली का एक्सरे! भारत ने मार गिराया था दो AEW&C, कितना खतरा?

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बीजिंग/इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने पुष्टि की है कि वो चीन से KJ-500 सर्विलांस एयरक्राफ्ट खरीदने वाला है। पाकिस्तान ने चीनी सर्विलांस एयरक्राफ्ट को उस वक्त खरीदने का फैसला किया है, जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने उसके तीन में से दो SAAB AEW&C सर्विलांस एयरक्राफ्ट को मार गिराया था। भारतीय एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने 314 किलोमीटर की दूरी से एक SAAB AEW&C को मारकर रिकॉर्ड बनाया था। जिसके बाद पाकिस्तान की सर्विलांस क्षमता 70 प्रतिशत से ज्यादा खत्म हो गई है। लेकिन अब पाकिस्तान की तरफ से चीनी KJ-500 AEW&C (Airborne Early Warning and Control) विमान के अधिग्रहण की पुष्टि भारत के लिए एक नई रणनीतिक चुनौती खड़ी कर सकता है। चीन का दावा है कि यह विमान सिर्फ एक निगरानी प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि एक 'फ्लाइंग कमांड सेंटर' है, जिससे पाकिस्तान को भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन की पहले से ही जानकारियां हासिल हो जाएंगी।



KJ-500 एक अत्याधुनिक एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम है, जिसे चीन के शांक्सी एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने डेवलप किया है। यह एयरक्राफ्ट Y-9 ट्रांसपोर्ट प्लेटफॉर्म पर आधारित है और इसमें एक स्थायी AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार लगाया गया है, जो 360 डिग्री कवरेज देता है। यह रडार प्रणाली 470 किलोमीटर या उससे ज्यादा की दूरी पर उड़ रहे फाइटर जेट्स का पता लगाने में सक्षम है। अगर चीन का दावा सही है तो इसका मतलब होगा कि पाकिस्तान अब भारतीय एयरस्पेस के भीतर गहराई तक झांक सकता है, वह भी बिना सीमा लांघे। एक KJ-500 यदि लाहौर के पास उड़ रहा हो तो वह नई दिल्ली तक के हवाई गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है।



AEW&C प्लेटफॉर्म हवाई युद्ध के लिए काफी अहम

डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रत्येक KJ-500 एयरक्राफ्ट की कीमत करीब 300 मिलियन डॉलर है। इसकी कीमत अमरिकी बोइंग की तरह से बनाए गये सर्विलांस एयरक्राफ्ट से काफी कम है। चीन दावा करता है कि ये आसमान में करीब 12 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है और ये 5700 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम है। पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस विमान को अरब सागर से हिमालयी सीमाओं तक विवादित हवाई गलियारों पर लगातार स्थितिजन्य जागरूकता बनाए रखने की क्षमता मिलती है। दरअसल, AEW&C प्लेटफॉर्म सिर्फ देखने भर तक सीमित नहीं होता। इसका असली सामरिक मूल्य तब दिखता है जब यह फाइटर जेट्स, ड्रोन्स, मिसाइल बैटरियों और ग्राउंड कंट्रोल सेंटर के साथ नेटवर्क के जरिए जुड़ता है। KJ-500 पाकिस्तान को रीयल टाइम डेटा प्रोसेसिंग और कमांड एंड कंट्रोल की सुविधा देगा, जिससे उसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी।



इसके अलावा भारतीय सेना पहले ही साफ कर चुकी है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को पूरी मदद दी थी। वहीं KJ-500 का पाकिस्तान को ट्रांसफर करने का मकसद ये है कि चीन और पाकिस्तान के बीच रक्षा संबंध अब भारत के लिए खतरनाक हो चुका है। चीनी JF-17, J-10C, HQ-9 और अब KJ-500.. यह सब मिलकर एक 'नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर' का आधार बना रहे हैं। हालांकि भारत के लिए पाकिस्तान और चीन का गठबंधन परेशान करने वाला जरूर है, लेकिन भारत काफी तेजी से अपनी डिफेंस स्ट्रैटजी को टू फ्रंट वॉर के लिए तैयार कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर से साबित हो गया है कि आगामी युद्ध में भी चीन और पाकिस्तान एक साथ लड़ेंगे, इसलिए भारत की तैयारी भी काफी तेजी से चल रही है।



चीन-पाकिस्तान के खिलाफ भारत की तैयारियां

  • AEW&C Mark II प्रोजेक्ट- DRDO और HAL मिलकर एयरबस-A321 पर आधारित एक नए AEW&C प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं। इसमें विशाल रेंज वाला AESA रडार लगाया जाएगा, जिसकी कवरेज और क्षमता KJ-500 के मुकाबले ज्यादा होने की संभावना है।
  • EW स्क्वाड्रन- भारतीय वायुसेना अब समर्पित इलेक्ट्रॉनिक अटैक स्क्वाड्रनों पर काम कर रही है, ताकि दुश्मन के AEW&C प्लेटफॉर्म को जैम किया जा सके या उसकी रडार क्षमता को ब्लॉक किया जा सके।
  • HARMs और Anti-AEW&C मिसाइलें - भारतीय वायुसेना अब अगली पीढ़ी की एयर-टू-एयर मिसाइलों में निवेश कर रही है, जो AEW&C जैसे हाई-वैल्यू टारगेट को मार गिराने के लिए डिजाइन की गई हों।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि KJ-500 शुरूआती समय में भले ही भारतीय वायुसेना को परेशान कर सकता है, लेकिन ज्यादा समय तक नहीं। क्योंकि भारत ने डिफेंस सेक्टर में भारी भरकम निवेश किया है और अपनी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली को काफी ज्यादा मजबूत करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। भारत के रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 3 जुलाई 2025 को 10,000 करोड़ रुपये की ISTAR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन और रिकनैसेंस) परियोजना के लिए ‘स्वीकृति की आवश्यकता’ (Acceptance of Necessity) को मंजूरी दे दी है। यह फैसला भारत के 1.05 लाख करोड़ रुपये के डिफेंस मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसके तहत वायुसेना को तीन अत्याधुनिक ISTAR विमान मिलेंगे। इन विमानों की खासियत यह होगी कि इनमें विश्वस्तरीय विमानन प्लेटफॉर्म के साथ स्वदेशी टेक्नोलॉजी, सेंसर और DRDO की तरफ से विकसित किए गये इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को इसमें इंटीग्रेट किया जाएगा। लिहाजा भारत, पाकिस्तान के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से अपनी रक्षा तैयारिया कर रहा है और चीन-पाकिस्तान का गठबंधन चिंताजनक जरूर है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है।

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