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इस दोस्त मुस्लिम देश की मदद करने मिनटों में पहुंचा भारत; पाकिस्तान के दिल में लगी होगी आग, निभा रहा दुश्मनी

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नई दिल्लीः अफगानिस्तान में सोमवार को आए 6.3 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हो गए। इस त्रासदी के बाद भारत ने तुरंत मदद का हाथ बढ़ाते हुए प्रभावित परिवारों के लिए खाद्य सामग्री भेजी है। इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने अफगान समकक्ष आमिर खान मुत्तकी को मदद का आश्वासन दिया था। जयशंकर ने मुत्तकी को फोन किया और बल्ख, समांगन और बगलान प्रांतों में आए भूकंप में हुई जानमाल की हानि पर संवेदना व्यक्त की। वहीं पाकिस्तान इस संकट के समय भी अफगानिस्तान के साथ तकरार वाले में मूड में नजर आ रहा है।

भारत हमेशा पहले मदद पहुंचाने वाला देश रहासोमवार को जयशंकर ने कहा कि भूकंप प्रभावित समुदायों के लिए भारतीय राहत सामग्री भेजी जा रही है। दवाओं की और आपूर्ति जल्द ही पहुंच जाएगी। वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक्स (X) पर तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, 'अफगान लोगों के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुए भारत ने भूकंप से प्रभावित परिवारों के लिए खाद्य सामग्री भेजी है। भारत हमेशा पहले मदद पहुंचाने वाला देश रहा है।'



अक्सर भूकंप की चपेट में आ जा रहा अफगानिस्तानबता दें कि भूकंप का केंद्र उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ शहर के पास था, जहां सुबह करीब 2 बजे (भारतीय समयानुसार) झटके महसूस किए गए। ऐतिहासिक ‘ब्लू मस्जिद’ (Blue Mosque) को भी नुकसान पहुंचा है। यह आपदा तालिबान शासन के लिए एक और बड़ी चुनौती बनकर आई है, क्योंकि 2021 में सत्ता संभालने के बाद से अफगानिस्तान में कई घातक भूकंप आ चुके हैं और विदेशी सहायता में लगातार कमी आई है। दो महीने पहले, अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में आए एक भूकंप में 2,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।


अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष पर भी चर्चाऐसा माना जा रहा है कि भारत और अफगानिस्ता के विदेश मंत्रियों के बीच सोमवार को फोन पर हुई बातचीत में अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष पर भी चर्चा हुई। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष उस समय शुरू हुआ जब मुत्तकी पिछले महीने भारत की यात्रा पर थे। अफगानिस्तान की तरफ से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी जिसके बाद संघर्ष का दायरा बढ़ गया। कतर और तुर्किये की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद 19 अक्टूबर को दोनों पक्षों ने युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए।

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