नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (IAF) 800 मीडियम रेंज स्वार्म अनमैन्ड म्यूनिशन सिस्टम (SUMS) खरीदने की योजना पर काम कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार झुंड वाले ये ड्रोन 350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर तक दुश्मन के ठिकानों को पूरी सटीकता के साथ निशाना बना सकते हैं। लोइटरिंग म्यूनिशन वाले ये ड्रोन दुश्मनों के ठिकाने ढूंढते हैं, उनकी पहचान करते हैं और फिर उनपर पूरी सटीकता के साथ हमला करके उन्हें पूरी तरह से तबाह कर देते हैं।
एक बार में 20 ड्रोन भेज सकता है ये सिस्टम
ट्रिब्यून इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक मीडियम रेंज स्वार्म अनमैन्ड म्यूनिशन सिस्टम (SUMS) एक बार में कम से कम 20 ड्रोनों के झुंड को एक बाद एक तैनात कर सकते हैं। यह 350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर तय किए क्षेत्र में कम से कम आधे घंटे तक हवा में मंडरा सकते हैं, टारगेट की पहचान करते हैं और फिर इसपर पूरी ताकत से हमला कर सकते हैं। यह रुके हुए और चलते हुए दोनों ही टारगेट को पहचानने में सक्षम हैं।
दुश्मनों के लिए बहुत ही घातक हैं ये झुंड ड्रोन
25 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय को मिले रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल्स के अनुसार, ये ड्रोन दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को जाम कर देंगे, रडार को चकमा देंगे और भारतीय वायु सेना को यह विकल्प मुहैया करवाएंगे कि वह चंद घंटों में दुश्मन के कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम को निशाना बना सकें। वायु सेना को ऐसे फिक्स्ड-विंग ड्रोन चाहिए, जो जेट इंजन के साथ-साथ बैटरी से भी चल सकें। ये ड्रोन 30 किलो तक के हथियार ले जा सकते हैं। ये जरूरी सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक जैमर , कम्युनिकेशन सिस्टम और नेविगेशन उपकरणों से भी लैस होंगे।
-20°सी से लेकर 50°सी में भी उड़ान
ये ड्रोन समुद्र तल से लेकर 16,000 फीट तक की ऊंचाई पर प्रभावी तरीके से काम करेंगे। ये ड्रोन खराब सड़कों और जहाज के डेक से भी लॉन्च किए जा सकेंगे और इन्हें वहां से रिकवर भी किया जा सकेगा। ये ड्रोन -20°सी से लेकर 50°सी तक के तापमान में भी पूरे भरोसे के साथ काम कर सकेंगे।
मॉडर्न वॉरफेयर में बढ़ी ड्रोन की अहमियत
ड्रोन ने आधुनिक युग में युद्ध के मैदानों को बदल दिया है। यह हमला करने, निगरानी करने के साथ ही सामान ढोने के भी काम आ रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर और अन्य देशों के बीच चल रही जंग में इसकी कामयाबी को देखने के बाद भारतीय सेना के प्रत्येक अंगों ने ड्रोन को अपना लिया है। इसे किफायती और जवानों के जोखिम कम करने वाले उपकरण के रूप में देखा जाने लगा है।
एक बार में 20 ड्रोन भेज सकता है ये सिस्टम
ट्रिब्यून इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक मीडियम रेंज स्वार्म अनमैन्ड म्यूनिशन सिस्टम (SUMS) एक बार में कम से कम 20 ड्रोनों के झुंड को एक बाद एक तैनात कर सकते हैं। यह 350 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर तय किए क्षेत्र में कम से कम आधे घंटे तक हवा में मंडरा सकते हैं, टारगेट की पहचान करते हैं और फिर इसपर पूरी ताकत से हमला कर सकते हैं। यह रुके हुए और चलते हुए दोनों ही टारगेट को पहचानने में सक्षम हैं।
दुश्मनों के लिए बहुत ही घातक हैं ये झुंड ड्रोन
25 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय को मिले रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल्स के अनुसार, ये ड्रोन दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को जाम कर देंगे, रडार को चकमा देंगे और भारतीय वायु सेना को यह विकल्प मुहैया करवाएंगे कि वह चंद घंटों में दुश्मन के कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम को निशाना बना सकें। वायु सेना को ऐसे फिक्स्ड-विंग ड्रोन चाहिए, जो जेट इंजन के साथ-साथ बैटरी से भी चल सकें। ये ड्रोन 30 किलो तक के हथियार ले जा सकते हैं। ये जरूरी सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक जैमर , कम्युनिकेशन सिस्टम और नेविगेशन उपकरणों से भी लैस होंगे।
-20°सी से लेकर 50°सी में भी उड़ान
ये ड्रोन समुद्र तल से लेकर 16,000 फीट तक की ऊंचाई पर प्रभावी तरीके से काम करेंगे। ये ड्रोन खराब सड़कों और जहाज के डेक से भी लॉन्च किए जा सकेंगे और इन्हें वहां से रिकवर भी किया जा सकेगा। ये ड्रोन -20°सी से लेकर 50°सी तक के तापमान में भी पूरे भरोसे के साथ काम कर सकेंगे।
मॉडर्न वॉरफेयर में बढ़ी ड्रोन की अहमियत
ड्रोन ने आधुनिक युग में युद्ध के मैदानों को बदल दिया है। यह हमला करने, निगरानी करने के साथ ही सामान ढोने के भी काम आ रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर और अन्य देशों के बीच चल रही जंग में इसकी कामयाबी को देखने के बाद भारतीय सेना के प्रत्येक अंगों ने ड्रोन को अपना लिया है। इसे किफायती और जवानों के जोखिम कम करने वाले उपकरण के रूप में देखा जाने लगा है।
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