भारत में जब मोबाइल फोन, स्मार्टफोन नए-नए बिकने शुरू हुए थे, तब लोग दुकानों पर जाकर अपनी पसंद का सेट खरीदते थे। कई बार दुकानदार भी किसी सिलेक्टेड फाेन को लेने के लिए प्रोत्साहित करता था। फिर आईं ई-कॉमर्स कंपनियां। शुरुआत में स्नैपडील और फ्लिपकार्ट ने मार्केट बनाया। एमेजॉन भी आई और उसके बाद फोन कंपनियों को लगा कि अब तो ऑनलाइन ही डिवाइस बिक जाएगी। लेकिन कहते हैं कि समय का पहिया जरूर घूमता है। फोन कंपनियां अब उस कहावत के साथ कि लौट के बुद्धु घर को आए, वापस ऑफलाइन चैनलों पर अपना फोकस बढ़ा रही हैं यानी दुकानदारों के जरिए स्मार्टफोन बेचने में जुट गई हैं। लेकिन इस ह्रदय परिवर्तन की वजह क्या है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन ब्रैंड्स का मकसद छोटे शहरों में अपने प्रीमियम हैंडसेट की बिक्री को बढ़ाना है, क्योंकि इन शहरों में फाइनेंसिंग के ऑप्शन आसानी से मिल रहे हैं।
ऑनलाइन शिपमेंट में गिरावट जारीरिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल महीने में ऑनलाइन रिटेलरों को होने वाली शिपमेंट में लगातार सातवें महीने गिरावट देखी गई। यानी अब फोन कंपनियां अपनी डिवाइसेज को ऑनलाइन सेल के लिए कम भेज रही हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑनलाइन फोकस्ड ब्रैंड्स ने भी अपना ध्यान ऑफलाइन की तरफ बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में आईडीसी इंडिया की रिसर्च मैनेजर उपासना जोशी के हवाले से बताया गया है कि ऑनलाइन चैनल की शिपमेंट में लगातार दूसरे महीने दो अंकों की गिरावट आई है। अप्रैल में यह गिरावट 20 फीसदी से भी ज्यादा रही। वहीं, ऑफलाइन चैनलों में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
अब आ रही छोटे शहरों की यादकोविड के दौर में तमाम रिटेलर्स ने कई फोन कंपनियों को लेकर सवाल उठाए थे। आरोप लगाया था कि वो अपने लेटेस्ट स्मार्टफोन को पहले ऑनलाइन उपलब्ध करवा रही हैं। हालांकि वीवो और ट्रांसियन होल्डिंग जैसी कंपनियों ने अपनी ऑफलाइन मौजूदगी को बरकरार रखा और ऑफलाइन रिटेलर्स व दुकानदारों को ठीकठाक मार्जिन भी दिया। ट्रांसियन होल्डिंग, टेक्नो, आईटेल जैसे ब्रैंड की देखरेख करती है। वहीं, दूसरी ओर शाओमी और पोको जैसे ब्रैंड काफी हद तक ऑनलाइन में सिमट गए थे। अब कंपनियों को ऑफलाइन चैनल्स और छोटे शहरों की याद आ रही है।
ऑफलाइन पर लोगों का भरोसा बरकराररिपोर्ट में मोटोराेला का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि कंपनी ने इस साल की पहली तिमाही में ऑनलाइन चैनलों पर शिपमेंट को घटाकर 64 फीसदी कर दिया है, जो एक साल पहले 82 फीसदी था। वनप्लस का ऑनलाइन वॉल्यूम 85 फीसदी से कम होकर 71 फीसदी हुआ है। शाओमी भी अब अपना फोकस ऑफलाइन मार्केट की तरफ लगा रही है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों का बिहेवियर चेंज धीमा है यानी वह अभी भी ऑफलाइन पर ही भरोसा करते हैं।
ऑनलाइन शिपमेंट में गिरावट जारीरिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल महीने में ऑनलाइन रिटेलरों को होने वाली शिपमेंट में लगातार सातवें महीने गिरावट देखी गई। यानी अब फोन कंपनियां अपनी डिवाइसेज को ऑनलाइन सेल के लिए कम भेज रही हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑनलाइन फोकस्ड ब्रैंड्स ने भी अपना ध्यान ऑफलाइन की तरफ बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में आईडीसी इंडिया की रिसर्च मैनेजर उपासना जोशी के हवाले से बताया गया है कि ऑनलाइन चैनल की शिपमेंट में लगातार दूसरे महीने दो अंकों की गिरावट आई है। अप्रैल में यह गिरावट 20 फीसदी से भी ज्यादा रही। वहीं, ऑफलाइन चैनलों में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
अब आ रही छोटे शहरों की यादकोविड के दौर में तमाम रिटेलर्स ने कई फोन कंपनियों को लेकर सवाल उठाए थे। आरोप लगाया था कि वो अपने लेटेस्ट स्मार्टफोन को पहले ऑनलाइन उपलब्ध करवा रही हैं। हालांकि वीवो और ट्रांसियन होल्डिंग जैसी कंपनियों ने अपनी ऑफलाइन मौजूदगी को बरकरार रखा और ऑफलाइन रिटेलर्स व दुकानदारों को ठीकठाक मार्जिन भी दिया। ट्रांसियन होल्डिंग, टेक्नो, आईटेल जैसे ब्रैंड की देखरेख करती है। वहीं, दूसरी ओर शाओमी और पोको जैसे ब्रैंड काफी हद तक ऑनलाइन में सिमट गए थे। अब कंपनियों को ऑफलाइन चैनल्स और छोटे शहरों की याद आ रही है।
ऑफलाइन पर लोगों का भरोसा बरकराररिपोर्ट में मोटोराेला का उदाहरण देते हुए बताया गया है कि कंपनी ने इस साल की पहली तिमाही में ऑनलाइन चैनलों पर शिपमेंट को घटाकर 64 फीसदी कर दिया है, जो एक साल पहले 82 फीसदी था। वनप्लस का ऑनलाइन वॉल्यूम 85 फीसदी से कम होकर 71 फीसदी हुआ है। शाओमी भी अब अपना फोकस ऑफलाइन मार्केट की तरफ लगा रही है। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में लोगों का बिहेवियर चेंज धीमा है यानी वह अभी भी ऑफलाइन पर ही भरोसा करते हैं।
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