जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर में नाबालिग से रेप के मामले में सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से भी हल्की राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत 9 जुलाई तक बढ़ा दी है। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने भी उन्हें 7 जुलाई तक राहत दी थी। 2013 के रेप केस में दोषी पाए जाने के बाद आसाराम उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। फिलहाल, वे मेडिकल ग्राउंड पर जेल से बाहर हैं। कोर्ट ने आसाराम की जमानत अवधि बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। उनकी जमानत 30 जून को खत्म होने वाली थी। आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से यह राहत जस्टिस दिनेश मेहता और विनीत माथुर की कोर्ट ने दी है। कोर्ट ने आसाराम के वकीलों की दलीलों और दस्तावेजी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई हुई थी।
दो मामलों में दोषी
बता दें कि आसाराम को जोधपुर और गुजरात की गांधीनगर कोर्ट में रेप केस में दोषी माना गया था। जोधपुर के मणाई आश्रम में रेप के मामले में आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह गुजरात के गांधीनगर में एक महिला ने केस दर्ज करवाया था। दोनों मामले में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
गुजरात केस में जानें क्या तल रहा
गुजरात हाईकोर्ट में आसाराम के वकील ने कहा कि उन्हें नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) से प्रमाण-पत्र मिलना बाकी है। इस प्रमाण-पत्र में आसाराम की उम्र 70 साल से ऊपर और टर्मिनल बीमारी की पुष्टि होनी है। वकील ने यह भी कहा कि पिछली बार जमानत आदेश के बाद उन्हें जमानत प्रक्रिया में 10 दिन लग गए थे, इसलिए उन्हें कम समय मिला। इधर, विरोधी पक्ष के वकील ने इस बात पर सवाल उठाया कि आसाराम इलाज के नाम पर एक से दूसरे हॉस्पिटल जा रहे हैं। इससे संदेह होता है कि वे किसी भी तरह जेल से बाहर रहना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जोधपुर में भी अच्छे आयुर्वेदिक हॉस्पिटल और एम्स मौजूद हैं, जहां उनका इलाज हो सकता है।
11 साल बाद आसाराम की हुई बेटे से मुलाकात
गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्थायी जमानत को बार-बार बढ़ाना एक अंतहीन प्रक्रिया नहीं बननी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि अस्थायी जमानत को बार-बार बढ़ाना एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाती है, जिसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने संकेत दिया कि अगली सुनवाई में फैसला हो सकता है। इसका मतलब है कि अगली सुनवाई में आसाराम की जमानत पर अंतिम फैसला आ सकता है। यह साफ हो जाएगा कि आसाराम जेल में रहेंगे या बाहर। बता दें कि आसाराम का बेटा नारायण साईं को बीते दिनों गुजरात कोर्ट से राहत मिली थी। नारायण साईं को गुजरात कोर्ट से 5 दिन की जमानत मिली थी, जिसके बाद 11 साल बाद नारायण साईं से आसाराम से मिला था।
दो मामलों में दोषी
बता दें कि आसाराम को जोधपुर और गुजरात की गांधीनगर कोर्ट में रेप केस में दोषी माना गया था। जोधपुर के मणाई आश्रम में रेप के मामले में आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह गुजरात के गांधीनगर में एक महिला ने केस दर्ज करवाया था। दोनों मामले में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
गुजरात केस में जानें क्या तल रहा
गुजरात हाईकोर्ट में आसाराम के वकील ने कहा कि उन्हें नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) से प्रमाण-पत्र मिलना बाकी है। इस प्रमाण-पत्र में आसाराम की उम्र 70 साल से ऊपर और टर्मिनल बीमारी की पुष्टि होनी है। वकील ने यह भी कहा कि पिछली बार जमानत आदेश के बाद उन्हें जमानत प्रक्रिया में 10 दिन लग गए थे, इसलिए उन्हें कम समय मिला। इधर, विरोधी पक्ष के वकील ने इस बात पर सवाल उठाया कि आसाराम इलाज के नाम पर एक से दूसरे हॉस्पिटल जा रहे हैं। इससे संदेह होता है कि वे किसी भी तरह जेल से बाहर रहना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जोधपुर में भी अच्छे आयुर्वेदिक हॉस्पिटल और एम्स मौजूद हैं, जहां उनका इलाज हो सकता है।
11 साल बाद आसाराम की हुई बेटे से मुलाकात
गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्थायी जमानत को बार-बार बढ़ाना एक अंतहीन प्रक्रिया नहीं बननी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि अस्थायी जमानत को बार-बार बढ़ाना एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाती है, जिसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने संकेत दिया कि अगली सुनवाई में फैसला हो सकता है। इसका मतलब है कि अगली सुनवाई में आसाराम की जमानत पर अंतिम फैसला आ सकता है। यह साफ हो जाएगा कि आसाराम जेल में रहेंगे या बाहर। बता दें कि आसाराम का बेटा नारायण साईं को बीते दिनों गुजरात कोर्ट से राहत मिली थी। नारायण साईं को गुजरात कोर्ट से 5 दिन की जमानत मिली थी, जिसके बाद 11 साल बाद नारायण साईं से आसाराम से मिला था।
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