सुकमा: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले से एक प्रेरणादायक पहल सामने आई है। यहां सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन ने कुख्यात नक्सली नेता हिडमा के गांव पुर्वती में गुरुकुल की स्थापना की है। यह शिक्षा का केंद्र बनने के साथ ही उम्मीद और बदलाव की एक नई कहानी भी लिख रहा है। इस गुरुकुल में करीब 60 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। यह स्कूल पूरी तरह निःशुल्क है।
बच्चों की फ्री में एजुकेशन
सीआरपीएफ की ओर से बच्चों को ड्रेस, किताबें, टीचर्स की सैलरी और मॉडर्न प्लेग्राउंड की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सीआरपीएफ के जवान केवल सुरक्षा देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे बच्चों की शिक्षा और संस्कारों के मार्गदर्शक भी बन गए हैं। यह पहल नक्सल प्रभावित इलाके में शिक्षा के माध्यम से विकास और शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
शिक्षक की सैलरी देते हैं जवान
सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन के सेकेंड इन कमांड हामिद खान ने बताया कि आसपास के कई गांवों से बच्चे पढ़ने के लिए इस गुरुकुल में आते हैं। वर्तमान में करीब 60 बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सीआरपीएफ की ओर से शिक्षक की व्यवस्था की गई है और उनका वेतन भी हम ही देते हैं। लगभग एक साल से यह गुरुकुल चल रहा है और बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने आगे कहा कि बच्चे अब नियमित रूप से पढ़ाई में रुचि दिखा रहे हैं और माता-पिता भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उत्साहित हैं। करीब एक साल से इस गुरुकुल का संचालन हो रहा है और लगातार बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। बच्चे बेहतर तरीके से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गुरुकुल की इस पहल से न सिर्फ पुर्वती जैसे नक्सल प्रभावित गांवों में शिक्षा का प्रसार हो रहा है, बल्कि यह कदम आत्मसमर्पण और मुख्यधारा में लौटने की सोच को भी मजबूत कर रहा है।
खूंखार नक्सली का गांव है
पूर्वती सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड का हार्डकोर नक्सली गांव है। इसी गांव से नक्सलियों का बड़ा लीडर हिडमा निकला है। इसके साथ खूंखार नक्सली देवा भी यहीं का रहने वाला है। इस गांव में सुरक्षाबल के जवानों ने कैंप की भी स्थापना की है।
बच्चों की फ्री में एजुकेशन
सीआरपीएफ की ओर से बच्चों को ड्रेस, किताबें, टीचर्स की सैलरी और मॉडर्न प्लेग्राउंड की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सीआरपीएफ के जवान केवल सुरक्षा देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे बच्चों की शिक्षा और संस्कारों के मार्गदर्शक भी बन गए हैं। यह पहल नक्सल प्रभावित इलाके में शिक्षा के माध्यम से विकास और शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
शिक्षक की सैलरी देते हैं जवान
सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन के सेकेंड इन कमांड हामिद खान ने बताया कि आसपास के कई गांवों से बच्चे पढ़ने के लिए इस गुरुकुल में आते हैं। वर्तमान में करीब 60 बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सीआरपीएफ की ओर से शिक्षक की व्यवस्था की गई है और उनका वेतन भी हम ही देते हैं। लगभग एक साल से यह गुरुकुल चल रहा है और बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने आगे कहा कि बच्चे अब नियमित रूप से पढ़ाई में रुचि दिखा रहे हैं और माता-पिता भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए उत्साहित हैं। करीब एक साल से इस गुरुकुल का संचालन हो रहा है और लगातार बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। बच्चे बेहतर तरीके से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गुरुकुल की इस पहल से न सिर्फ पुर्वती जैसे नक्सल प्रभावित गांवों में शिक्षा का प्रसार हो रहा है, बल्कि यह कदम आत्मसमर्पण और मुख्यधारा में लौटने की सोच को भी मजबूत कर रहा है।
खूंखार नक्सली का गांव है
पूर्वती सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड का हार्डकोर नक्सली गांव है। इसी गांव से नक्सलियों का बड़ा लीडर हिडमा निकला है। इसके साथ खूंखार नक्सली देवा भी यहीं का रहने वाला है। इस गांव में सुरक्षाबल के जवानों ने कैंप की भी स्थापना की है।
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