अलास्का: डोनाल्ड ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ के बाद भी भारत और अमेरिका के बीच का रिश्ता ना सिर्फ बचा हुआ है, बल्कि आग बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना के जवान अमेरिकी सेना के साथ दो हफ्ते के युद्धाभ्यास के लिए अलास्का गए हैं, जो दोनों देशों के बीच एक स्थिर रणनीतिक संबंध का संकेत देता है। इससे पता चलता है कि ट्रंप भले ही दिल्ली को परेशान कर रहे हों, लेकिन अमेरिकी सेना भारत के महत्व को समझ रही है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन वाली भारतीय सेना की एक टुकड़ी 1 से 14 सितंबर के बीच अलास्का के फोर्ट वेनराइट में भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास युद्ध अभ्यास 2025 में भाग ले रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सैन्य टुकड़ी अमेरिका की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की आर्कटिक वॉल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट 'बॉबकैट्स' के सैनिकों के साथ युद्धाभ्यास करेगी। दो हफ्तों तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में सैनिक हेलीकॉप्टर आधारित अभियानों, निगरानी संसाधनों और मानवरहित हवाई सिस्टम के उपयोग, रॉक क्राफ्ट, पर्वतीय युद्ध, हताहतों को निकालने, युद्ध चिकित्सा सहायता और तोपखाने, विमानन एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के इंटीग्रेटेड इस्तेमाल सहित कई प्रकार के सामरिक अभ्यासों को अंजाम दिया जाएगा।
भारत और अमेरिकी सैनिकों में युद्धाभ्यास
रिपोर्ट के मुताबिक युद्धाभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं के एक्सपर्ट मानवरहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) और काउंटर-यूएएस अभियानों, कम्युनिकेशन वारफेयर, संचार और रसद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर एक साथ युद्धाभ्यास करेंगे। यह अभ्यास संयुक्त रूप से नियोजित और क्रियान्वित सामरिक युद्धाभ्यासों के साथ समाप्त होगा, जिसमें लाइव-फायर अभ्यास से लेकर उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध को अंजाम दिए जाएंगे। इसके बाद द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास का 21वां संस्करण अमेरिकी पनडुब्बी सहायता जहाज यूएसएस फ्रैंक केबल के चेन्नई दौरे के कुछ दिनों बाद आयोजित किया गया है।
दो वर्षों में अमेरिकी सहायता जहाज की यह दूसरी यात्रा थी, जिसमें भारतीय पनडुब्बी आईएनएस सिंधुविजय ने यूएसएस फ्रैंक केबल के साथ मिलकर पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगी और साझेदार पनडुब्बियों के रखरखाव और मरम्मत की पनडुब्बी टेंडर की क्षमता का प्रदर्शन किया था। फ्रैंक केबल, अमेरिकी नौसेना के सबसे बड़े अग्रिम तैनात बेड़े, सातवें बेड़े का समर्थन कर रहे हैं, जो एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के उद्देश्य से सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सैन्य टुकड़ी अमेरिका की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की आर्कटिक वॉल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट 'बॉबकैट्स' के सैनिकों के साथ युद्धाभ्यास करेगी। दो हफ्तों तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में सैनिक हेलीकॉप्टर आधारित अभियानों, निगरानी संसाधनों और मानवरहित हवाई सिस्टम के उपयोग, रॉक क्राफ्ट, पर्वतीय युद्ध, हताहतों को निकालने, युद्ध चिकित्सा सहायता और तोपखाने, विमानन एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के इंटीग्रेटेड इस्तेमाल सहित कई प्रकार के सामरिक अभ्यासों को अंजाम दिया जाएगा।
भारत और अमेरिकी सैनिकों में युद्धाभ्यास
रिपोर्ट के मुताबिक युद्धाभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं के एक्सपर्ट मानवरहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) और काउंटर-यूएएस अभियानों, कम्युनिकेशन वारफेयर, संचार और रसद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर एक साथ युद्धाभ्यास करेंगे। यह अभ्यास संयुक्त रूप से नियोजित और क्रियान्वित सामरिक युद्धाभ्यासों के साथ समाप्त होगा, जिसमें लाइव-फायर अभ्यास से लेकर उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध को अंजाम दिए जाएंगे। इसके बाद द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास का 21वां संस्करण अमेरिकी पनडुब्बी सहायता जहाज यूएसएस फ्रैंक केबल के चेन्नई दौरे के कुछ दिनों बाद आयोजित किया गया है।
दो वर्षों में अमेरिकी सहायता जहाज की यह दूसरी यात्रा थी, जिसमें भारतीय पनडुब्बी आईएनएस सिंधुविजय ने यूएसएस फ्रैंक केबल के साथ मिलकर पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगी और साझेदार पनडुब्बियों के रखरखाव और मरम्मत की पनडुब्बी टेंडर की क्षमता का प्रदर्शन किया था। फ्रैंक केबल, अमेरिकी नौसेना के सबसे बड़े अग्रिम तैनात बेड़े, सातवें बेड़े का समर्थन कर रहे हैं, जो एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के उद्देश्य से सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
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