लखनऊ: विधायिकी और सांसदी के चुनाव में उतना उठापटक गांवों में नहीं होती है, जितना प्रधानी के चुनाव में होती है। अगले साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। इसको लेकर अभी से गांवों में चौपाल, बैठक और ठंड आते-आते अलाव के पास में बैठकी शुरू हो जाएगी। प्रधान पद के प्रत्याशी अभी से गांव में दादा-दादी, भैया-भौजी और बहन भाई समेत अन्य रिश्ते निकालकर हालचाल पूछ रहे हैं। रोज सुबह-शाम राम-राम, प्रणाम, दुआ सलाम हो रही है।
यूपी पंचायत चुनाव में अभी तक प्रधानों के आरक्षण के लिए सीटों का निर्धारण नहीं हुआ है। वहीं, प्रत्याशी नए फार्मूले के साथ अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। सामान्य, ओबीसी और एससी सीट सभी अपनी-अपनी जीत मजबूत करने में जुटे हुए हैं। वोटरों को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं सभी अपना विकल्प भी तलाश रहे हैं, अगर पिछला आरक्षण लागू होता है तो प्रत्याशी किसको बनाया जाएगा, सभी विकल्प पर विचार किया जा रहा है।
मौजूदा प्रधान और उनके प्रतिनिधि अपनी पुरानी गलतियों के लिए वोटरों के पास जाकर माफी मांग रहे हैं और प्रधान चुने जाने पर विकास का वादा भी कर रहे हैं। यूपी पंचायत चुनाव अप्रैल और मई में हो सकते हैं। वहीं, अगले वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण का मामला शासन में लंबित है। चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रस्ताव पंचायती राज निदेशालय से काफी पहले शासन को भेजा जा चुका है। हालांकि, शासन की ओर से अब तक आयोग के गठन को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। चर्चा है कि राज्य सरकार 2021 के चुनाव में तय आरक्षण के आधार पर ही 2026 का चुनाव करवाने की तैयारी में है।
यूपी पंचायत चुनाव में अभी तक प्रधानों के आरक्षण के लिए सीटों का निर्धारण नहीं हुआ है। वहीं, प्रत्याशी नए फार्मूले के साथ अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। सामान्य, ओबीसी और एससी सीट सभी अपनी-अपनी जीत मजबूत करने में जुटे हुए हैं। वोटरों को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यही नहीं सभी अपना विकल्प भी तलाश रहे हैं, अगर पिछला आरक्षण लागू होता है तो प्रत्याशी किसको बनाया जाएगा, सभी विकल्प पर विचार किया जा रहा है।
मौजूदा प्रधान और उनके प्रतिनिधि अपनी पुरानी गलतियों के लिए वोटरों के पास जाकर माफी मांग रहे हैं और प्रधान चुने जाने पर विकास का वादा भी कर रहे हैं। यूपी पंचायत चुनाव अप्रैल और मई में हो सकते हैं। वहीं, अगले वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण का मामला शासन में लंबित है। चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रस्ताव पंचायती राज निदेशालय से काफी पहले शासन को भेजा जा चुका है। हालांकि, शासन की ओर से अब तक आयोग के गठन को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। चर्चा है कि राज्य सरकार 2021 के चुनाव में तय आरक्षण के आधार पर ही 2026 का चुनाव करवाने की तैयारी में है।
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