धारः जिले के निसरपुर जनपद पंचायत क्षेत्र के लोहारी गांव में मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया। यहां एक बुजुर्ग विधवा महिला गोराबाई अपने परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है। विधवा बुजुर्ग अपनी विधवा बहू राधाबाई और तीन मासूम बच्चों के साथ 10 महीनों से ऐसी स्थिति में रह रही है।
दरअसल, महिला का पुराना कच्चा मकान ढह गया था। इसके बाद से ही वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पाने की आस में पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रही थी। लेकिन जॉब कार्ड में तकनीकी गलती के चलते उसे योजना का लाभ नहीं मिल सका।
बबूल के पेड़ के नीचे रह रहा परिवार
पीड़ित गोरा बाई ने बताया कि बारिश के दौरान तिरपाल ओढ़कर रहना पड़ता है। बिजली की चमक और तेज बारिश में बच्चे डर के मारे सहम जाते हैं। महिला ने बताया कि कई बार स्थानीय प्रशासन, पटवारी और चौकीदार को शिकायत की, यहां तक कि भोपाल तक गुहार लगाई, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
बुजुर्ग को क्यों नहीं मिला पीएम आवास
इस मामले में सामने आई प्रशासनिक लापरवाही पर सरपंच अमर सिंह वास्केल का कहना है कि गोरा बाई का परिवार पहले संयुक्त था। उसके बड़े बेटे को पहले ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिल चुका है। बाद में जब परिवार अलग हुआ, तब बहू राधाबाई के जॉब कार्ड में गड़बड़ी के कारण उनका आवेदन आगे नहीं बढ़ पाया। हालांकि सूची में नाम स्वीकृत है, लेकिन प्रक्रिया अधूरी रह गई।
अधिकारियों ने दिए अस्थायी निवास के निर्देश
जिले के सीनियर अधिकारी इस मामले को लेकर अब सक्रिय हो गए हैं। जिला पंचायत सीईओ अभिषेक चौधरी ने निसरपुर जनपद के सीईओ कंचन वास्केल को निर्देश दिए हैं। उन्होंने परिवार को अस्थायी तौर पर पंचायत भवन के खाली कमरे या किसी अन्य शासकीय भवन में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जब तक जॉब कार्ड की गड़बड़ी दूर नहीं होती। साथ ही स्थायी आवास की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक मानवीय आधार पर परिवार को सुरक्षित आश्रय मिलना चाहिए।
दरअसल, महिला का पुराना कच्चा मकान ढह गया था। इसके बाद से ही वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पाने की आस में पंचायत कार्यालय के चक्कर काट रही थी। लेकिन जॉब कार्ड में तकनीकी गलती के चलते उसे योजना का लाभ नहीं मिल सका।
बबूल के पेड़ के नीचे रह रहा परिवार
पीड़ित गोरा बाई ने बताया कि बारिश के दौरान तिरपाल ओढ़कर रहना पड़ता है। बिजली की चमक और तेज बारिश में बच्चे डर के मारे सहम जाते हैं। महिला ने बताया कि कई बार स्थानीय प्रशासन, पटवारी और चौकीदार को शिकायत की, यहां तक कि भोपाल तक गुहार लगाई, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
बुजुर्ग को क्यों नहीं मिला पीएम आवास
इस मामले में सामने आई प्रशासनिक लापरवाही पर सरपंच अमर सिंह वास्केल का कहना है कि गोरा बाई का परिवार पहले संयुक्त था। उसके बड़े बेटे को पहले ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिल चुका है। बाद में जब परिवार अलग हुआ, तब बहू राधाबाई के जॉब कार्ड में गड़बड़ी के कारण उनका आवेदन आगे नहीं बढ़ पाया। हालांकि सूची में नाम स्वीकृत है, लेकिन प्रक्रिया अधूरी रह गई।
अधिकारियों ने दिए अस्थायी निवास के निर्देश
जिले के सीनियर अधिकारी इस मामले को लेकर अब सक्रिय हो गए हैं। जिला पंचायत सीईओ अभिषेक चौधरी ने निसरपुर जनपद के सीईओ कंचन वास्केल को निर्देश दिए हैं। उन्होंने परिवार को अस्थायी तौर पर पंचायत भवन के खाली कमरे या किसी अन्य शासकीय भवन में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जब तक जॉब कार्ड की गड़बड़ी दूर नहीं होती। साथ ही स्थायी आवास की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक मानवीय आधार पर परिवार को सुरक्षित आश्रय मिलना चाहिए।
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