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संसद में महिला सांसद ने खुद दिखाई अपनी AI से बनी न्यूड फोटो, कर डाली बड़ी मांग, कहां का मामला, जानें

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कुछ सप्ताह पहले न्यूजीलैंड की महिला सांसद लॉरा मैक्लर ने संसद में अपनी AI से बनाई गई न्यूड तस्वीर दिखा कर बड़ी बहस खड़ी कर दी। उन्हें ऐसा AI द्वारा बनाई जाने वाली फर्जी तस्वीरो को लेकर सबको अगाह करने के लिए करना पड़ा। लॉरा ने संसद में बताया कि उन्होंने गूगल सर्च के जरिए मिले एक ऑनलाइन टूल का इस्तेमाल करके चंद मिनटों में डीपफेक तस्वीर बना ली। अपनी AI-जेनरेटेड तस्वीर दिखा कर लॉरा ने AI को नियंत्रण में रखने की मांग उठाई है।
संसद में लॉरा ने क्या कहा? image

यह घटना 14 मई की है जो कि इंटरनेट पर अब वायरल हो रही है। लॉरा ने AI से बनी अपनी न्यूड तस्वीर दिखाते हुए कहा “यह मेरी न्यूड फोटो है, लेकिन यह AI जेनरेटेड है। मुझे इस डीपफेक फोटो को तैयार करने में 5 मिनट भी नहीं लगे।” उनका मकसद लोगों को ये बताना था कि ऐसी फर्जी तस्वीरें बनाना कितना आसान है और ये कितना खतरनाक हो सकता हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह AI के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा “समस्या तकनीत में नहीं बल्कि उसके गलत इस्तेमाल में है। हमें इस समस्या का हल निकालना ही होगा।”


सांसद ने ऐसा क्यों किया? image

सांसद लॉरा मैक्लर ने अपनी AI-जेनरेटेड तस्वीर के जरिए डीपफेक को लेकर बड़ी बहस शुरू कर दी है। इसका असल न्यूजीलैंड पर ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा। बता दें कि फिलहाल न्यूजीलैंड में डीपफेक को नियंत्रण करने वाला कोई कानून नहीं है। लॉरा डीपफेक डिजिटल हार्म एंड एक्सप्लॉइटेशन कानून का समर्थन कर रही हैं, जो रिवेंज पोर्न और निजी रिकॉर्डिंग से जुड़े मौजूदा कानूनों को अपडेट करेगा। इस कानून के तहत बिना मर्जी के डीपफेक बनाना या शेयर करना कानूनन अपराध होगा। इस बारे में जानकारों का कहना है कि डीपफेक वीडियो या तस्वीरों की सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं होती हैं और इसे बिना मर्जी के ही बना कर वायरल किया जाता है। लॉरा के कदम से यह अब पूरी दुनिया में बहस का मुद्दा बन गया है कि कितनी आसानी से चंद मिनटों में किसी के भी डीपफेक बनाए जा सकते हैं। इसे लेकर लॉरा मैक्लर का कहना है कि “किसी का भी डीपफेक पोर्न बनाना साफ-साफ उत्पीड़न है और कानूनों को अपडेट करके इसे रोका जा सकता है।”


क्या है डीपफेक टेक्नोलॉजी image

डीपफेक टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जिसमें AI की मदद से किसी शख्स की आवाज, चेहरा या हाव-भाव को बदलकर नकली वीडियो, ऑडियो या फोटो तैयार किए जाते हैं। यह तकनीक इतनी उन्नत है कि इसमें असली और नकली की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, किसी नेता की नकली वीडियो बनाकर ऐसा दिखाया जा सकता है कि वह कुछ ऐसा कह रहा है, जो कि उसे नहीं कहना चाहिए। हालांकि असल में उस शख्स ने कभी ऐसा कुछ कहा ही नहीं होगा। यह टेक्नोलॉजी फिल्मों, मनोरंजन जगत के लिए लाई गई थी लेकिन अब इसका इस्तेमाल पोर्न इंडस्ट्री में धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं ही होती हैं।

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