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एंबुलेंस का बिल लगाकर GST क्लेम! 100 करोड़ के घोटाले में ताबड़तोड़ छापा, कमिश्नर समेत 5 कस्टम अफसर आरोपी

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पटना/रांची: 100 करोड़ रुपए के जीएसटी घोटाले को लेकर बिहार और झारखंड में सात जगहों पर सीबीआई की छापेमारी। ये घोटाला कथित तौर पर फर्जी निर्यात बिल के जरिए जीएसटी का दावा करके अंजाम दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस घोटाले में पटना के अतिरिक्त जीएसटी आयुक्त समेत पांच सीमा शुल्क अधिकारी मुख्य आरोपी हैं। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने पटना में दो स्थानों, पूर्णिया में दो, जमशेदपुर, नालंदा और मुंगेर में एक-एक स्थान पर छापेमारी की, जिसमें सोने की सात छड़ें बरामद हुईं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 100 ग्राम है। मतलब, 700 ग्राम सोना बरामद हुआ।





जीएसटी बिल पर 100 करोड़ का घोटालाछापेमारी को लेकर अधिकारियों ने बताया कि घोटाले का खुलासा तब हुआ जब 2022-23 के दौरान जयनगर, भीमनगर और भिट्टामोर में भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (एलसीएस) पर नेपाल को टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के निर्यात में असामान्य वृद्धि देखी गई। सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, इसमें करीब 30 निर्यातक नामजद किए गए हैं, जिन पर जीएसटी कार्यालय से कर रिफंड प्राप्त करने के लिए तीन एलसीएस से टाइल्स और ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स का फर्जी निर्यात दिखाने का आरोप है।





कई बड़े अधिकारियों से मिलीभगतआरोप है कि चार सीमा शुल्क अधीक्षकों, जयनगर में नीरज कुमार, मनमोहन शर्मा, भीमनगर में तरुण कुमार सिन्हा और राजीव रंजन सिन्हा ने रिश्वत के बदले फर्जी निर्यात दावों के आधार पर टैक्स रिफंड हासिल करने के लिए अतिरिक्त आयुक्त रणविजय कुमार के साथ मिलीभगत की। सभी अधिकारियों के साथ-साथ 30 संदिग्ध निर्यातकों और कोलकाता स्थित क्लियरिंग एजेंट गंगा सिंह को भी प्राथमिकी में आरोपी नामजद किया गया है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि 10 लाख रुपए से कम राशि के फर्जी निर्यात बिल बनाए गए, जो कि किसी सीमा शुल्क अधीक्षक की ओर से मंजूर की जाने वाली अधिकतम राशि है।





एंबुलेंस का नंबर लगाकर फर्जी बिलसीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि इन अधीक्षकों ने 800 करोड़ रुपए के फर्जी निर्यात दिखाए, जिसमें 28 प्रतिशत और 18 प्रतिशत जीएसटी शुल्क वाले सामान शामिल थे, जो उच्च जीएसटी स्लैब में से दो हैं। इसके अनुसार इससे उन्हें लगभग 100 करोड़ रुपए का रिफंड का दावा करने में मदद मिली। जांच में ये भी पता चला कि कंपनी अपने पंजीकृत पते से काम नहीं कर रही थीं। धोखाधड़ी के तहत, संदिग्धों ने वाहनों- दोपहिया वाहन, बस और यहां तक कि एम्बुलेंस के 4161 ई-वे बिल प्रस्तुत किए। लेकिन शुरुआती जांच से पता चला कि बिल में उल्लिखित कोई भी वाहन एसएसबी के डेटाबेस से मेल नहीं खाता था, जो भारत-नेपाल सीमा की रक्षा करने वाला बल है। सीबीआई ने कहा कि निर्यात में असामान्य वृद्धि को कथित तौर पर रणविजय कुमार ने नजरअंदाज किया।

इनपुट- भाषा
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