नई दिल्ली: इमरजेंसी केयर में समय का हर पल कीमती होता है। अपोलो हॉस्पिटल्स के डॉक्टरों की टीम ने एक विदेशी नागरिक को आए अचानक कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्पताल की रैपिड रिस्पॉन्स टीम ने मात्र 12 मिनट के सीपीआर और तत्काल थ्रोम्बोलाइटिक इलाज के जरिए उसकी जान बचा ली। लंग्स में ब्लड का थक्का (मैसिव पल्मोनरी एम्बोलिज्म) जानलेवा साबित हो सकता था। लेकिन समय रहते लिए गए निर्णय और बेहतर टीम तालमेल ने यह मेडिकल मिरेकल संभव हो पाया।
विदेशी नागरिक दिल्ली दौरे पर थे
दरअसल, विदेशी नागरिक दिल्ली दौरे पर थे और केवल कमर दर्द की जांच के लिए यहां रुके थे। होटल में अचानक वह बेहोश होकर गिर गए। इमरजेंसी कॉल पर अपोलो की रैपिड रिस्पॉन्स टीम पहुंची। मरीज अचेत था, लेकिन सांस ले रहा था। तुरंत प्राइमरी केयर देने के बाद उन्हें अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया।
मरीज को सफलतापूर्वक रिवाइव किया गया
इमरजेंसी विभाग में पहुंचते ही मरीज को कार्डियक अरेस्ट आया। यहां से स्थिति और गंभीर हो गई, लेकिन इमरजेंसी विभाग की प्रमुख डॉ. प्रियदर्शिनी पाल के नेतृत्व में सीनियर हार्ट एक्सपर्ट डॉ. सुनील मोदी और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला की टीम ने तुरंत एडवांस्ड कार्डियक लाइफ सपोर्ट (ACLS) शुरू किया। पूरे 12 मिनट तक लगातार CPR, इमरजेंसी दवाओं और मॉनिटरिंग की मदद से मरीज को सफलतापूर्वक रिवाइव किया गया।
मरीज को पल्मोनरी एम्बोलिज्म था
बता दें कि इलाज के अगले चरण में की गई जांचों से पता चला कि मरीज को पल्मोनरी एम्बोलिज्म था। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लंग्स की धमनी में खून का थक्का जम जाता है। बिना किसी स्पष्ट ट्रॉमा के डॉक्टरों ने इसे ही संभावित कारण माना और तत्काल थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी (clot-dissolving treatment) शुरू कर दी। अगले 24 घंटे में मरीज की हालत स्थिर हो गई, होश आ गया और उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया। अब वह सामान्य वॉर्ड में बिना किसी सपोर्ट के स्वस्थ हो रहा है।
डॉ. प्रियदर्शिनी ने क्या कहा
डॉ. प्रियदर्शिनी पाल ने इस मामले को लेकर कहा कि यह केस बताता है कि तुरंत निर्णय और सही क्लिनिकल अनुभव मिलकर किस तरह जान बचा सकते हैं। मरीज के लक्षण गंभीर नहीं लग रहे थे। लेकिन टीम ने पल्मोनरी एम्बोलिज्म की संभावना को तुरंत पहचाना और थ्रोम्बोलिसिस शुरू किया। यही उनकी जान बचाने में निर्णायक रहा। यह हमारी इमरजेंसी टीम की तैयारी, अनुभव और तालमेल की मिसाल है। डॉक्टर ने कहा कि यह घटना मेडिकल फील्ड के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है कि अगर सही समय पर सटीक इलाज मिले, तो चमत्कार वाकई होते है और जान बच सकती है।
विदेशी नागरिक दिल्ली दौरे पर थे
दरअसल, विदेशी नागरिक दिल्ली दौरे पर थे और केवल कमर दर्द की जांच के लिए यहां रुके थे। होटल में अचानक वह बेहोश होकर गिर गए। इमरजेंसी कॉल पर अपोलो की रैपिड रिस्पॉन्स टीम पहुंची। मरीज अचेत था, लेकिन सांस ले रहा था। तुरंत प्राइमरी केयर देने के बाद उन्हें अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया।
मरीज को सफलतापूर्वक रिवाइव किया गया
इमरजेंसी विभाग में पहुंचते ही मरीज को कार्डियक अरेस्ट आया। यहां से स्थिति और गंभीर हो गई, लेकिन इमरजेंसी विभाग की प्रमुख डॉ. प्रियदर्शिनी पाल के नेतृत्व में सीनियर हार्ट एक्सपर्ट डॉ. सुनील मोदी और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला की टीम ने तुरंत एडवांस्ड कार्डियक लाइफ सपोर्ट (ACLS) शुरू किया। पूरे 12 मिनट तक लगातार CPR, इमरजेंसी दवाओं और मॉनिटरिंग की मदद से मरीज को सफलतापूर्वक रिवाइव किया गया।
मरीज को पल्मोनरी एम्बोलिज्म था
बता दें कि इलाज के अगले चरण में की गई जांचों से पता चला कि मरीज को पल्मोनरी एम्बोलिज्म था। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लंग्स की धमनी में खून का थक्का जम जाता है। बिना किसी स्पष्ट ट्रॉमा के डॉक्टरों ने इसे ही संभावित कारण माना और तत्काल थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी (clot-dissolving treatment) शुरू कर दी। अगले 24 घंटे में मरीज की हालत स्थिर हो गई, होश आ गया और उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया। अब वह सामान्य वॉर्ड में बिना किसी सपोर्ट के स्वस्थ हो रहा है।
डॉ. प्रियदर्शिनी ने क्या कहा
डॉ. प्रियदर्शिनी पाल ने इस मामले को लेकर कहा कि यह केस बताता है कि तुरंत निर्णय और सही क्लिनिकल अनुभव मिलकर किस तरह जान बचा सकते हैं। मरीज के लक्षण गंभीर नहीं लग रहे थे। लेकिन टीम ने पल्मोनरी एम्बोलिज्म की संभावना को तुरंत पहचाना और थ्रोम्बोलिसिस शुरू किया। यही उनकी जान बचाने में निर्णायक रहा। यह हमारी इमरजेंसी टीम की तैयारी, अनुभव और तालमेल की मिसाल है। डॉक्टर ने कहा कि यह घटना मेडिकल फील्ड के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है कि अगर सही समय पर सटीक इलाज मिले, तो चमत्कार वाकई होते है और जान बच सकती है।
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