पटना: जुर्म के साझीदार जब एक-दूसरे का साथ छोड़ते हैं तो खून के प्यासे हो जाते हैं। चंदन मिश्रा और शेरू सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पटना के मशहूर पारस अस्पताल का कमरा नंबर 209 इसका गवाह बन गया। इसका वीडियो दुनिया ने देखी। दूसरी मंजिल पर मरीजों के लिए बने वीवीआईपी कमरे में एक साथ पिस्टल में गोलियां लोड करते पांच लोग दाखिल हुए और फिर काम तमाम करके ही बाहर निकले। पहले से गर्म बिहार का सियासी माहौल उबलने लगा। जिसे गोलियां मारी गई हैं वो बक्सर का खूंखार अपराधी चंदन मिश्रा था। अपने माथे पर दर्जनों हत्याओं के आरोप के साथ सजायाफ्ता भी था।
'आरा का शेरुआ है जो मर्डर करवाया'चंदन और शेरू की दोस्ती की मिसालें दी जाती थी। दोनों साथ-साथ जुर्म को अंजाम देते थे। मामला जब खटका तो ऐसा कि एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। इनकी दोस्ती अब दुश्मनी में बदल गई थी। इस बात का अंदाजा सांसद पप्पू यादव की बातों से भी लगाया जा सकता है। पप्पू यादव ने कहा, 'एक ठो आरा का शेरुआ है जो मर्डर करवाया। हमको फोन करवाया है, पप्पू यादव को कह दीजिए इस मर्डर में हाथ ना डालें।' पप्पू यादव ने आगे बताया कि कानून के कारण वो चुप हैं नहीं तो उनका साम्राज्य मिटाते देर नहीं लगेगी। इसी दरम्यान उन्होंने किसी सुबोध नाम के शख्स का नाम लिया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि गोपाल खेमका को एक नेता ने जमीन की वजह से मर्डर कराया। वैशाली जिले के गोरौल थाना क्षेत्र अंतर्गत पीरापुर गांव में पप्पू यादव ने ये बयान दिया।
क्रिकेट, दोस्ती और क्राइम की ट्रेनिंगबताया जाता है कि क्रिकेट खेलने के दौरान शेरू और चंदन की दोस्ती हुई। बिहार के बक्सर जिले के सिमरी गांव का शेरू सिंह रहने वाला है। शेरू का असली नाम ओंकार नाथ सिंह है। सिमरी के बगल के गांव सोनबरसा का चंदन मिश्रा रहने वाला था। दोनों का शौक क्रिकेट रहा। क्रिकेट खेलने के दौरान ही दोनों की दोस्ती भी हुई। समय के साथ दोस्ती गाढ़ी होती चली गई। साल 2009 में क्रिकेट खेलते के दौरान अनिल सिंह नाम के एक शख्स से इनका विवाद हो गया। शेरू और चंदन पर हत्या के आरोप लगे। नाबालिग होने के चलते दोनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया।
शेरू-चंदन गैंग का बक्सर-आरा में आतंकनाबालिग होने के चलते दोनों ही जल्दी रिहा हो गए, मगर बाहर आते-आते क्रिमिनल की ट्रेनिंग पूरी कर चुके थे। अब इनको क्राइम में मजा आने लगा था। इन्होंने अपना एक गैंग बनाया। रंगदारी वसूलने लगे। जब पैसे आने लगे तो नए-नए शौक बढ़ गए। नए-नए हथियार आने लगे। बक्सर के साथ-साथ आरा में भी धमक बढ़ गई। आलम ये रहा कि साल 2011 में इस गैंग ने 6 मर्डर कर डाले। मार्च 2011 में मोहम्मद नौशाद की हत्या, अप्रैल 2011 में भरत राय का मर्डर, मई 2011 में जेल के क्लर्क हैदर अली की हत्या, जुलाई 2011 में शिवजी खरवार और मोहम्मद निजामुद्दीन का मर्डर और अगस्त 2011 में चूना व्यापारी राजेंद्र केसरी की हत्या शामिल है।
तारीख बताकर मर्डर करता था चंदनचूना कारोबारी राजेंद्र केसरी की हत्या 21 अगस्त 2011 को हुई थी। राजेंद्र केसरी ने रंगदारी देने से इंकार कर दिया था। राजेंद्र केसरी की हत्या से एक दिन पहले इसका ऐलान किया गया था। 20 अगस्त को चंदन ने कह दिया था कि राजेंद्र केसरी को कल मारूंगा और चंदन ने ऐसा कर भी दिया। चंदन और शेरू ने मिलकर वारदात को अंजाम दिया। मगर, पाप का घड़ा भर चुका था, इस मर्डर के बाद दोनों दोस्तों के बीच पैसे को लेकर खटपट हो गई। दोनों ने अलग-अलग गैंग बना लिया। राजेंद्र केसरी मर्डर केस में शेरू और चंदन गिरफ्तारी कोलकाता से हुई। बक्सर में इनकी कोर्ट में पेशी हुई। भागलपुर और पटना के बेऊर जेल शिफ्ट किया गया। बताया जाता है कि जेल से ही दोनों अपने-अपने गैंग को ऑपरेट करते रहे। राजेंद्र केसरी हत्याकांड में शेरू को फांसी और चंदन को उम्रकैद की सजा हुई।
पारस में बवासीर का इलाज करा रहा था चंदनइनकी जुर्म की दास्तान यहीं नहीं रूकी, चंदन को जब जज उम्रकैद की सजा सुना रहे थे तो उसने कोर्ट में मौजूद पुलिस वाले का हथियार छीनकर उसे गोली मार दी। कोर्ट में हत्या करने के बाद वो फरार हो गया। बाद में आरा पुलिस ने गिरफ्तार कर फिर से जेल भेजा। शेरू की फांसी की सजा भी हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दी। शेरू सिंह अब भी जेल में है। चंदन मिश्रा भी जेल में ही था। इलाज के लिए पेरोल पर जेल से बाहर आया था। उसे पाइल्स (बवासीर) था, जिसका ऑपरेशन पटना के पारस अस्पताल में हुआ था। 18 जुलाई उसकी पेरोल की आखिरी तारीख थी, उससे एक दिन पहले ही उसकी अस्पताल में हत्या हो गई। आरा के तनिष्क शोरूम में 25 करोड़ रुपए की डकैती मामले में भी शेरू गैंग का नाम आया था, मामले की जांच अब भी चल रहा है। अब पटना के वीवीआईपी अस्पताल में घुसकर मर्डर ने पुलिस पर कई सवाल खड़ा कर दिए हैं।
'आरा का शेरुआ है जो मर्डर करवाया'चंदन और शेरू की दोस्ती की मिसालें दी जाती थी। दोनों साथ-साथ जुर्म को अंजाम देते थे। मामला जब खटका तो ऐसा कि एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। इनकी दोस्ती अब दुश्मनी में बदल गई थी। इस बात का अंदाजा सांसद पप्पू यादव की बातों से भी लगाया जा सकता है। पप्पू यादव ने कहा, 'एक ठो आरा का शेरुआ है जो मर्डर करवाया। हमको फोन करवाया है, पप्पू यादव को कह दीजिए इस मर्डर में हाथ ना डालें।' पप्पू यादव ने आगे बताया कि कानून के कारण वो चुप हैं नहीं तो उनका साम्राज्य मिटाते देर नहीं लगेगी। इसी दरम्यान उन्होंने किसी सुबोध नाम के शख्स का नाम लिया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि गोपाल खेमका को एक नेता ने जमीन की वजह से मर्डर कराया। वैशाली जिले के गोरौल थाना क्षेत्र अंतर्गत पीरापुर गांव में पप्पू यादव ने ये बयान दिया।
क्रिकेट, दोस्ती और क्राइम की ट्रेनिंगबताया जाता है कि क्रिकेट खेलने के दौरान शेरू और चंदन की दोस्ती हुई। बिहार के बक्सर जिले के सिमरी गांव का शेरू सिंह रहने वाला है। शेरू का असली नाम ओंकार नाथ सिंह है। सिमरी के बगल के गांव सोनबरसा का चंदन मिश्रा रहने वाला था। दोनों का शौक क्रिकेट रहा। क्रिकेट खेलने के दौरान ही दोनों की दोस्ती भी हुई। समय के साथ दोस्ती गाढ़ी होती चली गई। साल 2009 में क्रिकेट खेलते के दौरान अनिल सिंह नाम के एक शख्स से इनका विवाद हो गया। शेरू और चंदन पर हत्या के आरोप लगे। नाबालिग होने के चलते दोनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया।
शेरू-चंदन गैंग का बक्सर-आरा में आतंकनाबालिग होने के चलते दोनों ही जल्दी रिहा हो गए, मगर बाहर आते-आते क्रिमिनल की ट्रेनिंग पूरी कर चुके थे। अब इनको क्राइम में मजा आने लगा था। इन्होंने अपना एक गैंग बनाया। रंगदारी वसूलने लगे। जब पैसे आने लगे तो नए-नए शौक बढ़ गए। नए-नए हथियार आने लगे। बक्सर के साथ-साथ आरा में भी धमक बढ़ गई। आलम ये रहा कि साल 2011 में इस गैंग ने 6 मर्डर कर डाले। मार्च 2011 में मोहम्मद नौशाद की हत्या, अप्रैल 2011 में भरत राय का मर्डर, मई 2011 में जेल के क्लर्क हैदर अली की हत्या, जुलाई 2011 में शिवजी खरवार और मोहम्मद निजामुद्दीन का मर्डर और अगस्त 2011 में चूना व्यापारी राजेंद्र केसरी की हत्या शामिल है।
तारीख बताकर मर्डर करता था चंदनचूना कारोबारी राजेंद्र केसरी की हत्या 21 अगस्त 2011 को हुई थी। राजेंद्र केसरी ने रंगदारी देने से इंकार कर दिया था। राजेंद्र केसरी की हत्या से एक दिन पहले इसका ऐलान किया गया था। 20 अगस्त को चंदन ने कह दिया था कि राजेंद्र केसरी को कल मारूंगा और चंदन ने ऐसा कर भी दिया। चंदन और शेरू ने मिलकर वारदात को अंजाम दिया। मगर, पाप का घड़ा भर चुका था, इस मर्डर के बाद दोनों दोस्तों के बीच पैसे को लेकर खटपट हो गई। दोनों ने अलग-अलग गैंग बना लिया। राजेंद्र केसरी मर्डर केस में शेरू और चंदन गिरफ्तारी कोलकाता से हुई। बक्सर में इनकी कोर्ट में पेशी हुई। भागलपुर और पटना के बेऊर जेल शिफ्ट किया गया। बताया जाता है कि जेल से ही दोनों अपने-अपने गैंग को ऑपरेट करते रहे। राजेंद्र केसरी हत्याकांड में शेरू को फांसी और चंदन को उम्रकैद की सजा हुई।
पारस में बवासीर का इलाज करा रहा था चंदनइनकी जुर्म की दास्तान यहीं नहीं रूकी, चंदन को जब जज उम्रकैद की सजा सुना रहे थे तो उसने कोर्ट में मौजूद पुलिस वाले का हथियार छीनकर उसे गोली मार दी। कोर्ट में हत्या करने के बाद वो फरार हो गया। बाद में आरा पुलिस ने गिरफ्तार कर फिर से जेल भेजा। शेरू की फांसी की सजा भी हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दी। शेरू सिंह अब भी जेल में है। चंदन मिश्रा भी जेल में ही था। इलाज के लिए पेरोल पर जेल से बाहर आया था। उसे पाइल्स (बवासीर) था, जिसका ऑपरेशन पटना के पारस अस्पताल में हुआ था। 18 जुलाई उसकी पेरोल की आखिरी तारीख थी, उससे एक दिन पहले ही उसकी अस्पताल में हत्या हो गई। आरा के तनिष्क शोरूम में 25 करोड़ रुपए की डकैती मामले में भी शेरू गैंग का नाम आया था, मामले की जांच अब भी चल रहा है। अब पटना के वीवीआईपी अस्पताल में घुसकर मर्डर ने पुलिस पर कई सवाल खड़ा कर दिए हैं।
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