नई दिल्ली: भारत की तीनों सेनाएं अभी पाकिस्तान से सटी गुजरात और राजस्थान की पश्चिमी सीमाओं पर   त्रिशूल युद्धाभ्यास में जुटी हैं। पाकिस्तानी फौज में इतने विशाल युद्धाभ्यास को लेकर इस कदर दहशत मची है कि उसने पूरे पाकिस्तान को हवाई उड़ानों के लिए प्रतिबंधित घोषित कर रखा है। जबकि, भारत ने बाकायदा अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहते उसके लिए पूर्व चेतावनी भी जारी कर दी थी। 30 अक्टूबर से शुरू हुआ त्रिशूल युद्धाभ्यास 10 नवंबर को खत्म हो रहा है और उसके अगले ही दिन तीनों सेनाएं उत्तर-पूर्वी सीमा पर    चाइना बॉर्डर ( LAC ) के पास अरुणाचल प्रदेश में एक विशाल युद्धाभ्यास शुरू करेगी, जिसका नाम ' पूर्वी प्रचंड प्रहार ' रखा गया है।   
   
पहाड़ पर दिखेगी नौ सेना की ताकत
भारतीय सशस्त्र सेना अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों में 11 नवंबर से 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' शुरू कर रही है, जो 15 नवंबर तक चलेगा। इस इलाके को रक्षा क्षेत्र में दुनिया के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है, जहां भारत और चीन (तिब्बत) की सीमाएं जुड़ती हैं और जो अनेकों बार विवादों की वजह बना है। इस युद्धाभ्यास का मकसद भारतीय सशस्त्र सेनाओं के सैन्य अभियानों के लिए तैयारियों का आकलन करना है। इस अभियान में भारतीय नौ सेना की मौजूदगी सामरिक रणनीति में बहुत बड़ा बदलाव दिखाता है कि अब यह सिर्फ समुद्र तक ही सीमित नहीं है। यह समुद्र से बहुत दूर, दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों पर होने वाली जंग में भी मदद कर रहे हैं। यह मल्टी-डोमेन रेडीनेस की ओर बहुत बड़ा कदम है।
   
पूर्वी प्रचंड प्रहार युद्धाभ्यास क्या है
पूर्वी प्रचंड प्रहार भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास है, जो अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में किया जाएगा। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा से मात्र 30 किलोमीटर दूर एक फॉर्वर्ड एरिया है। सीएनएन-न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके बारे में डिफेंस पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने एक बयान में कहा है,'इस युद्धाभ्यास के मुख्य आकर्षण स्पेशल फोर्स, अनमैन्ड प्लेटफॉर्म (बिना पायलट वाले विमान-ड्रोन), प्रिसिजन सिस्टम और एक साथ तालमेल से काम करने वाले कंट्रोल रूम होंगे। ये सब मिलकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में असली जैसी परिस्थितियों में एकजुटता के साथ ऑपरेशन को अंजाम देंगे।'
   
'थिएटर कमांड' वाला प्लान क्या है
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक यह युद्धाभ्यास भारतीय सशस्त्र सेना की ' थिएटर कमांड' वाली महत्वाकांक्षी योजना को परखने के लिए किया जा रहा है। यह एक ऐसी दीर्घकालिक योजना है जिसका मकसद थल सेना, नौ सेना और वायु सेना को एक साथ मिलाकर पूर्ण तालमेल वाला एक बहुत ही मजबूत सैन्य ढांचा तैयार करना है। 'थिएटर कमांड' के विचार को आजमाने के लिए खास तौर पर इस दुर्गम इलाके को चुना गया है, जहां कई बार चीन के साथ संघर्ष की स्थिति पैदा हो चुकी है।
   
दोनों मोर्चों पर एकसाथ निपटने की तैयारी
इस तरह की कवायद पहली बार नहीं हो रही है। 'भाला प्रहार' (2023) और 'पूर्वी प्रहार' (2024) जैसे संयुक्त युद्धाभ्यासों की यह एक अगली कड़ी है। ये युद्धाभ्यास भारत को एक पूरी तरह से एकीकृत थिएटर कमांड संरचना की ओर आगे बढ़ा रहे हैं। इस बार के युद्धाभ्यास में खास ये है कि इसमें तकनीक आधारित युद्ध पर ज्यादा फोकस किया जाएगा, जिसमें ड्रोन से लड़ाई, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सर्विलांस और सैटेलाइट से जुड़े संवाद की जुगलबंदी शामिल होगी। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिमी सीमा के तुरंत बाद उत्तर-पूर्वी सीमा पर इस तरह के युद्धाभ्यास का संकेत स्पष्ट है कि भारत अब दोनों फ्रंट पर एक साथ जंग के लिए तैयार रहना चाहता है।
   
  
पहाड़ पर दिखेगी नौ सेना की ताकत
भारतीय सशस्त्र सेना अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों में 11 नवंबर से 'पूर्वी प्रचंड प्रहार' शुरू कर रही है, जो 15 नवंबर तक चलेगा। इस इलाके को रक्षा क्षेत्र में दुनिया के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है, जहां भारत और चीन (तिब्बत) की सीमाएं जुड़ती हैं और जो अनेकों बार विवादों की वजह बना है। इस युद्धाभ्यास का मकसद भारतीय सशस्त्र सेनाओं के सैन्य अभियानों के लिए तैयारियों का आकलन करना है। इस अभियान में भारतीय नौ सेना की मौजूदगी सामरिक रणनीति में बहुत बड़ा बदलाव दिखाता है कि अब यह सिर्फ समुद्र तक ही सीमित नहीं है। यह समुद्र से बहुत दूर, दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों पर होने वाली जंग में भी मदद कर रहे हैं। यह मल्टी-डोमेन रेडीनेस की ओर बहुत बड़ा कदम है।
पूर्वी प्रचंड प्रहार युद्धाभ्यास क्या है
पूर्वी प्रचंड प्रहार भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास है, जो अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में किया जाएगा। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा से मात्र 30 किलोमीटर दूर एक फॉर्वर्ड एरिया है। सीएनएन-न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके बारे में डिफेंस पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने एक बयान में कहा है,'इस युद्धाभ्यास के मुख्य आकर्षण स्पेशल फोर्स, अनमैन्ड प्लेटफॉर्म (बिना पायलट वाले विमान-ड्रोन), प्रिसिजन सिस्टम और एक साथ तालमेल से काम करने वाले कंट्रोल रूम होंगे। ये सब मिलकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में असली जैसी परिस्थितियों में एकजुटता के साथ ऑपरेशन को अंजाम देंगे।'
'थिएटर कमांड' वाला प्लान क्या है
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक यह युद्धाभ्यास भारतीय सशस्त्र सेना की ' थिएटर कमांड' वाली महत्वाकांक्षी योजना को परखने के लिए किया जा रहा है। यह एक ऐसी दीर्घकालिक योजना है जिसका मकसद थल सेना, नौ सेना और वायु सेना को एक साथ मिलाकर पूर्ण तालमेल वाला एक बहुत ही मजबूत सैन्य ढांचा तैयार करना है। 'थिएटर कमांड' के विचार को आजमाने के लिए खास तौर पर इस दुर्गम इलाके को चुना गया है, जहां कई बार चीन के साथ संघर्ष की स्थिति पैदा हो चुकी है।
दोनों मोर्चों पर एकसाथ निपटने की तैयारी
इस तरह की कवायद पहली बार नहीं हो रही है। 'भाला प्रहार' (2023) और 'पूर्वी प्रहार' (2024) जैसे संयुक्त युद्धाभ्यासों की यह एक अगली कड़ी है। ये युद्धाभ्यास भारत को एक पूरी तरह से एकीकृत थिएटर कमांड संरचना की ओर आगे बढ़ा रहे हैं। इस बार के युद्धाभ्यास में खास ये है कि इसमें तकनीक आधारित युद्ध पर ज्यादा फोकस किया जाएगा, जिसमें ड्रोन से लड़ाई, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सर्विलांस और सैटेलाइट से जुड़े संवाद की जुगलबंदी शामिल होगी। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिमी सीमा के तुरंत बाद उत्तर-पूर्वी सीमा पर इस तरह के युद्धाभ्यास का संकेत स्पष्ट है कि भारत अब दोनों फ्रंट पर एक साथ जंग के लिए तैयार रहना चाहता है।
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