गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब हर महिला खुद के लुक और सेहत को लेकर ज्यादा सजग हो जाती है। इस दौरान कई महिलाएं सोचती हैं कि क्या वे अपनी सामान्य ब्यूटी रूटीन जारी रख सकती हैं,जैसे कि हेयर रीबॉन्डिंग, स्ट्रेटनिंग या कलरिंग। खासकर जब बालों का टेक्सचर बिगड़ जाए या घुंघराले बाल परेशान करें, तो रीबॉन्डिंग का ख्याल आना स्वाभाविक है।
IVF - एलांटिस हेल्थकेयर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर मनन गुप्ता के अनुसार प्रेग्नेंसी में हर कदम सावधानी से उठाना होता है क्योंकि जो भी रासायनिक प्रक्रिया आप अपनी त्वचा या बालों पर अपनाती हैं, उसका असर आपके शरीर के साथ-साथ आपके गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ सकता है।
यही कारण है कि कई डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान हेयर ट्रीटमेंट से बचने की सलाह देते हैं। (Photo credit):Canva
रीबॉन्डिंग में क्या केमिकल्स इस्तेमाल होते हैं

रीबॉन्डिंग एक केमिकल हेयर ट्रीटमेंट है जिसमें बालों के नैचुरल बंधन को तोड़कर उन्हें सीधा किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से फॉर्मलडिहाइड जैसे हार्श केमिकल्स होते हैं जो बालों की बनावट को स्थायी रूप से बदलते हैं। हालांकि ये ट्रीटमेंट बालों को सुंदर बनाता है, लेकिन इसका प्रभाव सिर की त्वचा और सांसों के जरिए शरीर में जा सकता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान रिस्की हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में क्यों हो सकता है ट्रीटमेंट जोखिम भरा
प्रेग्नेंसी में शरीर की स्किन और बाल अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इस समय हार्मोनल बदलावों के कारण किसी भी केमिकल पर एलर्जी की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप सैलून में केमिकल युक्त ट्रीटमेंट करवाती हैं, तो वह आपके शरीर में अवशोषित होकर भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। यही कारण है कि डॉक्टर इस दौरान ऐसे ट्रीटमेंट से बचने की सलाह देते हैं।
शुरुआती तीन महीने सबसे संवेदनशील क्यों होते हैं
गर्भावस्था के पहले तीन महीने यानी पहला ट्राइमेस्टर सबसे नाजुक समय होता है क्योंकि इसी दौरान बच्चे के मुख्य अंगों का विकास होता है। इस समय किसी भी तरह के केमिकल एक्सपोजर, स्ट्रॉन्ग गंध या टॉक्सिक पदार्थ गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए इस चरण में किसी भी प्रकार का हेयर ट्रीटमेंट टालना ही बेहतर होता है।
डॉक्टरों की राय क्या कहती है
अधिकतर डॉक्टर और डर्मेटोलॉजिस्ट इस बात पर सहमत हैं कि प्रेग्नेंसी में रीबॉन्डिंग, हेयर कलरिंग या अन्य हेयर ट्रीटमेंट से दूरी बनाई जानी चाहिए। खासकर यदि आप हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी में हैं या पहले से किसी प्रकार की स्किन एलर्जी का अनुभव कर चुकी हैं, तो ये प्रक्रिया और भी खतरनाक हो सकती है। डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई भी निर्णय न लें।
अगर करवाना ही हो तो किन सावधानियों का रखें ध्यान

यदि आपको बालों की हालत बेहद खराब लग रही है और रीबॉन्डिंग करवाना बहुत जरूरी है, तो कुछ सावधानियां जरूर बरतें—जैसे कि अच्छा वेंटीलेशन वाला सैलून चुनें, अमोनिया और फॉर्मलडिहाइड-फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें, और पूरे ट्राइमेस्टर के बाद ही ये ट्रीटमेंट करवाएं। फिर भी, पहले अपने गायनोकोलॉजिस्ट की राय अवश्य लें।
रीबॉन्डिंग का सुरक्षित विकल्प: घरेलू उपाय
अगर आप हेयर स्ट्रेटनिंग नहीं करवा सकतीं, तो परेशान न हों। नारियल तेल, एलोवेरा जेल, अंडे और दही जैसे घरेलू उपाय बालों को पोषण भी देते हैं और उन्हें सॉफ्ट व स्मूद भी बनाते हैं। इसके अलावा नैचुरल हेयर मास्क और नियमित हेयर स्पा से भी बालों का टेक्सचर बेहतर हो सकता है। प्रेग्नेंसी में नेचुरल ब्यूटी रूटीन ही सबसे सुरक्षित और कारगर उपाय है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता । ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें । एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है ।
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