खांसी हर किसी को आती है और इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे वायरल या बैक्टिरियल इंफेक्शन या फिर अस्थमा। खांसी भी अलग अलग तरह से आती है जैसे कभी हमें सूखी खांसी आती है तो कभी कफ वाली तो कभी घरघराट वाली खांसी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी खांसी आपकी सेहत के बारे में बहुत कुछ बता सकती है। ज्यादातर लोगों को लगातार खांसी की समस्या हो जाती है ।
लेकिन कब यह गंभीर समस्या बन जाती है हमें पता भी नहीं चलता है। खांसी अलग अलग स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ी हो सकती है ऐसे में ठीक समय पर इस पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।डॉ पीयूष मिश्रा, जनरल फिजिशियन एंड इम्यूनाइजेशन ऑफिसर ,नॉर्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट, नई दिल्ली, के मुताबिक सूखी खांसी ज्यादा जिद्दी और खुश्क होती है, वहीं गीली खांसी में कफ होता है। यदि खांसी के साथ घरघराहट हो रही है तो यह सांस से जुड़ी तकलीफ भी हो सकती है।
अपनी खांसी को पहचानकर आप सेल्फ केयर और सही इलाज कर सकते हैं। इसके अलावा आप यह जान सकते हैं कि आपको कब डॉक्टर से स्लाह लेने की जरूरत है।आपकी खांसी आपके शरीर के बारे में क्या बताती है यह जानकर आप अपने लंग्स को सुरक्षित रख सकते हैं और कई गंभीर जटिलताओं से भी बच सकते हैं।(Photo credit):iStock
वायरल खांसी
वायरल खांसी ड्राई, जिद्दी और कभी-कभी दर्दनाक भी होती है। यह अचानक से होती है और ज्यादातर वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू, सर्दी या कोविड-19 की वजह से होती है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन की तरह वायरल खांसी में गाढ़ा कफ नहीं होता है। इस खांसी से बचने के लिए हाइड्रेटेड रहना जरूरी है। इसके अलावा गर्म तरल पदार्थों का भी सेवन, भरपूर आराम और धुएं आदि से बचना चाहिए।
बैक्टिरियल खांसी
बैक्टिरियल खांसी में पीले या हरे रंग का बलगम निकलता है। इस तरह की खांसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन का संकेत देती है जैसे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया। अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकती है। इसके लिए एंटीबायोटिक का सेवन किया जा सकता है। हालांकि ऐसी खांसी में बलगम का रंग चेक करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
काली खांसी
काली खांसी आसानी से फैल सकती है। इसे पर्टुसिस भी कहते हैं। यह बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। इस खांसी से ग्रस्त कई लोगों को गंभीर समस्याएं हो सकती है। खांसने के बाद सांस लेने पर अक्सर तेज आवाज निकलती है। वैसे तो यह ज्यादातर यह छोटे बच्चों को होती है लेकिन यह खांसी किशोरों और वयस्कों को भी प्रभावित करती है। महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान टीके का बूस्टर शॉट लगवाकर कर अपने बच्चे को सुरक्षित रख सकती हैं।
इन्फेक्शन के बाद की खांसी
कई बार शुरुआती इन्फेक्शन के खत्म होने के बाद भी खांसी बनी रहती है। इंफेक्शन के बाद की खांसी में बलगम निकल सकता है। इस तरह की खांसी खासतौर पर धूम्रपान करने वालों या फेफड़ों से जुड़ी किसी स्थिति वालों में ज्यादा होती है। हालांकि यह खतरनाक नहीं होती है लेकिन इसका इलाज करना जरूरी है नहीं तो कुछ मामलों में यह क्रॉनिक भी हो सकती है। हर्बल टी, स्टीम आदि इससे राहत पाने में मदद कर सकते हैं।
सुखी खांसी और गीली खांसी

सूखी खांसी में बलगम निकलता है जो लंग्स या सांस की नली में इंफेक्शन के कारण होती है। वहीं सुखी खांसी में बलगम नहीं निकलता है और यह वायरल इंफेक्शन, एलर्जी, डस्त या धुएं के कारण भी हो सकती है। खांसी के बीच में यह अंतर जानने से आपको अपनी खांसी का सही इलाज करने और सेल्फ केयर करने में मदद मिलेगी।
गंभीर समस्या का संकेत
खांसी के साथ अगर सांस लेने के समय आवाज आती है तो यह अस्थमा या ब्रोंकाइल स्थिति का संकेत हो सकता है। अस्थमा से जुड़ी खांसी एलर्जी, एक्सरसाइज या सांस के संक्रमण के कारण हो सकती है। यदि यह खांसी बार-बार हो रही है या सांस फूलने की समस्या लगातार बनी हुई है तो तुरंत इलाज के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता । ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें । एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है ।
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