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सस्ती हो सकती हैं करीब 200 महंगी दवाएं, कस्टम ड्यूटी में छूट देने की सिफारिश, कौन-कौन हैं लिस्ट में

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नई दिल्ली: एचआईवी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को कुछ राहत मिल सकती है। एक सरकारी पैनल ने करीब 200 जरूरी दवाओं पर कस्टम ड्यूटी में छूट देने की सिफारिश की है। इसमें कैंसर की कुछ दवाओं पर आयात शुल्क पूरी तरह खत्म करने की बात कही गई है। News18 की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। समिति ने पेमब्रोलीज़ुमाब (Keytruda), ओसिमर्टिनिब (Tagrisso) और ट्रास्तुज़ुमाब डेरुक्सटेकेन (Enhertu) को पूरी तरह कस्टम ड्यूटी से मुक्त करने की सिफारिश की है।



ये दवाएं कैंसर के इलाज में काम आती हैं। इनकी एक डोज की कीमत लाखों में होती है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग इन्हें खरीद नहीं पाते हैं। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अगस्त 2024 में एक पैनल बनाया था ताकि महंगी दवाओं पर राहत दी जा सके। पैनल ने कैंसर के अलावा ट्रांसप्लांट में काम आने वाली दवाओं, क्रिटिकल केयर मेडिसिन और एडवांस डायग्नोस्टिक किट पर भी छूट देने की सिफारिश की है। ये किट बाहर से मंगाई जाती हैं या भारत में मिलती नहीं हैं।





महंगी दवाएं

इस लिस्ट में कैंसर और सिकल सेल एनीमिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रॉक्सीयूरिया भी शामिल है। साथ ही Enoxaparin के नाम से बिकने वाली लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन को भी कस्टम ड्यूटी से मुक्त करने की बात कही गई है। इसका इस्तेमाल खून के थक्के जमने और डीप वेन थ्रोम्बोसिस को रोकने में होता है।



5% कस्टम ड्यूटी वाली लिस्ट में 74 दवाएं हैं जबकि पूरी छूट वाली लिस्ट में 69 दवाएं हैं। दुर्लभ बीमारियों के इलाज में काम आने वाली 56 दवाओं को भी कस्टम ड्यूटी से छूट देने की बात कही गई है। पैनल ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, गौचर डिजीज, फैब्री डिजीज, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर और वंशानुगत एंजाइम की कमी जैसी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने की सिफारिश की है। इनमें से कुछ दवाएं दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से हैं। इनके एक कोर्स की कीमत करोड़ों में होती है।





परमानेंट कमेटी

इस लिस्ट में Zolgensma, Spinraza, Evrysdi, Cerezyme और Takhzyro जैसी दवाएं भी शामिल हैं। ये सभी दवाएं बहुत महंगी हैं और ज्यादातर भारतीय मरीजों के लिए इन्हें खरीदना नामुमकिन है। Zolgensma को दुनिया की सबसे महंगी दवा माना जाता है जिसकी एक डोज 17 करोड़ रुपये की है। पैनल ने यह भी सिफारिश की है कि DGHS के तहत एक परमानेंट इंटर-डिपार्टमेंटल कमेटी बनाई जाए जो इन दवाओं की समीक्षा करे और डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू को सिफारिश दे।

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