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Hyderabad News: हैदराबाद में किराये की कोख का धंधा, बच्चा बेचने के रैकेट का भंडाफोड़, फर्टिलिटी क्लिनिक के मालिक समेत 8 अरेस्ट

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हैदराबाद: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अवैध तरीके से सरोगेसी (किराये का कोख) और बच्चे बेचने का काम कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह कमजोर वर्ग की महिलाओं को शिकार बनाता था और उनसे सरोगेसी करवाता था। बाद में इन बच्चों को जरूरतमंद कपल्स को बेच दिया जाता था। एक दंपती को डीएनए टेस्ट से पता चला कि सरोगेसी से पैदा हुआ बच्चा उनका नहीं है। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।



कैसे देते थे लालच?


हैदराबाद पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी डॉ ए नम्रता (64) अपने सहयोगियों और एजेंटों के साथ मिलकर कमजोर वर्ग की महिलाओं खासकर गर्भपात कराने की इच्छुक महिलाओं को अपना शिकार बनाती थी और उन्हें गर्भधारण जारी रखने का पैसे या अन्य प्रलोभन देती थी। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी-उत्तरी क्षेत्र) एस रश्मि पेरुमल ने बताया कि इन नवजात शिशुओं को सरोगेसी से गर्भधारण किए गए बच्चों के रूप में पेश किया जाता था और संभावित अभिभावकों को यह विश्वास दिलाया जाता था कि ये बच्चे जैविक रूप से उनके हैं।







पीड़ित ने शिकायत में क्या बताया?


पुलिस के अनुसार, उसे एक पीड़ित दंपती से शिकायत मिली थी कि उन्होंने प्रजनन और आईवीएफ परामर्श के लिए अगस्त 2024 में ‘फर्टिलिटी क्लिनिक’ से संपर्क किया था। दोनों पति-पत्नी डॉ नम्रता से मिले जिन्होंने प्रजनन संबंधी परीक्षण करने के बाद उन्हें सरोगेसी अपनाने की सलाह दी। डीसीपी ने बताया कि दंपती को नमूने लेने के लिए विशाखापत्तनम स्थित क्लिनिक की एक अन्य शाखा में भेजा गया और बताया गया कि सरोगेट (किराये का कोख देने वाली महिला) का प्रबंध क्लिनिक की ओर से किया जाएगा और भ्रूण को सरोगेट में प्रतिरोपित किया जाएगा।



35 लाख वसूलकर दे दिया दूसरे का बच्चा


नौ महीनों के दौरान दंपती ने क्लिनिक को कई भुगतान किए। इस साल जून में शिकायतकर्ता को बताया गया कि सरोगेट महिला ने विशाखापत्तनम में ऑपरेशन के जरिए एक लड़के को जन्म दिया है। पुलिस ने बताया कि क्लिनिक ने प्रक्रियाओं के नाम पर परामर्श शुल्क के रूप में दंपती से 35 लाख रुपये से अधिक की राशि ली। पुलिस ने बताया कि बच्चे को शिकायतकर्ता को उन दस्तावेजों के साथ सौंप दिया गया। इनमें दिखाया गया था कि बच्चे का पंजीकरण दंपती के बच्चे के तौर पर था।



डीएनए टेस्ट से खुला राज


रश्मि ने कहा कि बच्चे को सरोगेट मां से पैदा हुआ नहीं दिखाया गया था। इससे उन्हें संदेह हुआ। बाद में दंपती ने डीएनए परीक्षण कराया। तब पता चला कि बच्चे का डीएनए उनके डीएनए से मेल नहीं खाता। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब दंपती ने क्लिनिक से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्हें कोई भी दस्तावेज देने से मना कर दिया गया और धमकी दी गई। इसके बाद उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। रश्मि ने बताया कि बच्चे को बेचने के आरोप में उसके असली माता-पिता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि प्रक्रिया के अनुसार बच्चे को शिशु विहार को सौंप दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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