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International Yoga Day: कैंसर, तलाक, डिप्रेशन जैसे मुश्किल समय में योग सेलेब्स के लिए बना थेरेपी, मिला सहारा

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भारत की इस प्राचीन विधा योग ने कोरोना के बाद नई पीढ़ी को भी अपनी ओर खींचा है। अब सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि सेलिब्रिटीज़ भी योग को ना सिर्फ फिटनेस का जरिया मानते हैं, बल्कि इसे अपने मानसिक सुकून और बैलेंस का राज भी बताते हैं। 'इंटरनेशनल योग डे' पर कुछ नामचीन चेहरे शेयर कर रहे हैं कि योग ने कैसे उनकी सोच, सेहत और लाइफस्टाइल को बदला।



बीस मिनट की ब्रीथिंग एक्सरसाइज दृष्टिकोण बदल सकती है: रवीना टंडन

पिछले कुछ वर्षों में योग मेरे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। यह केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका बन गया है। एक एक्टर, मां और इंसान के रूप में मेरी ज़िंदगी में कई भूमिकाएं हैं और योग ही है जो मुझे उन अलग-अलग रोल्स को निभाने की ताकत देता है। मेरे डेली योग रूटीन में आसन, प्राणायाम और ध्यान शामिल हैं। दिन की शुरुआत मैं हल्के स्ट्रेच और सूर्य नमस्कार से करती हूं फिर वृक्षासन, त्रिकोणासन और भुजंगासन जैसे आसनों के ज़रिए फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथ बनाए रखती हूं। मानसिक सुकून के लिए अनुलोम-विलोम और भ्रामरी जैसे प्राणायाम बेहद प्रभावी हैं। जब भी समय मिलता है, मैं 15-20 मिनट का मौन ध्यान भी करती हूं। जैसे सभी की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं, वैसे ही मेरे भी आए हैं, डिप्रेशन, सेल्फ डाउट और इमोशनल स्ट्रगल, इतना ज़रूर कह सकती हूं कि योग ने हर मुश्किल वक्त में मुझे संभाला है। केवल 20 मिनट का ध्यानपूर्वक सांस लेना भी कई बार दृष्टिकोण बदलने में मदद करता है। मेरे लिए योग एक सच्चा साथी है, जो खामोशी से मुझे संबल देता है, हील करता है और भीतर झांकने की ताकत देता है।





ध्यान और आसनों ने टूटने से बचाया: सई मांजरेकर

फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखना जितना रोमांचक है, उतना ही थकाने वाला भी। ऑडिशन का दबाव, लंबे शूट, आत्म-संदेह और हर दिन शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है। ऐसे में योग मेरी सबसे बड़ी ताकत बन गया। योग ने न सिर्फ मुझे फिट रखा, बल्कि मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन भी दिया। यह मेरे लिए हर दिन खुद को रीसेट करने का जरिया है। मैं सुबह 15-20 मिनट सूर्य नमस्कार और कुछ आसान स्ट्रेच से शुरुआत करती हूं, फिर वृक्षासन, भुजंगासन और नवासन जैसे आसनों से शरीर को मजबूती देती हूं। इसके बाद 10 मिनट प्राणायाम, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी और फिर कुछ पल ध्यान, कभी संगीत के साथ, कभी शांति में। कुछ साल पहले मैं मानसिक रूप से टूट चुकी थी। हर चीज भारी लगती थी, बर्नआउट के बेहद करीब थी। योग में सांसों से शुरुआत की, फिर धीरे-धीरे ध्यान और आसन जोड़े। कुछ ही हफ्तों में नींद सुधरी, चिंता घटी और थॉट्स क्लियर हुए। आज भी जब सब कुछ बिखरता-सा लगता है। योग ही है जो मुझे फिर से खुद से जोड़ देता है।



योग ने मुझे कैंसर से लड़ने की ताकत दी: हिना खानयोग हमेशा से मेरी ज़िंदगी का अहम हिस्सा रहा है, लेकिन जब मुझे ब्रेस्ट कैंसर का पता चला, तो इसने मेरे लिए असली ताकत बनकर काम किया। उस वक्त डॉक्टर ने सबसे पहले रॉकी (उनके पति) को बताया, मुझे नहीं। लेकिन अजीब बात ये है कि उसी दिन मैंने फालूदा मंगवाया,जैसे दिल ने कह दिया हो कि कुछ मीठा जरूरी है, सब ठीक हो जाएगा। ये पॉजिटिविटी योग से आई थी।अगर मैं मानसिक रूप से कमजोर होती, तो शायद ये लड़ाई लड़ ही नहीं पाती। हाल ही में हमारे एक रिश्तेदार की हड्डी टूट गई। जब डॉक्टर ने उन्हें बताया कि सर्जरी करनी पड़ेगी, तो डर के मारे उन्हें माइल्ड हार्ट अटैक आ गया और ICU में भर्ती करना पड़ा। वहीं मैंने महसूस किया कि अगर मन मजबूत न हो, तो शरीर कितना भी ठीक हो, टूट ही जाता है। मैं पहले भी योग करती थी, लेकिन पिछले दो महीने से मेडिटेशन भी करने लगी हूं। खासतौर पर ब्रीथिंग एक्सरसाइज, ये मेरी मेंटल हाइजीन है। सांसों पर काम करना मन और आत्मा को मजबूत करता है। आखिर जन्म और मृत्यु, दोनों में सांस ही सबसे पहली और आखिरी चीज होती है। हाल ही में मैंने सुदर्शन क्रिया, सहज समाधि और अंतर्ज्ञान जैसे अभ्यास भी शुरू किए हैं। सच कहूं तो, योग ने न सिर्फ़ मेरे शरीर को संभाला, बल्कि मेरी आत्मा को भी लड़ने की हिम्मत दी।





संघर्ष के दिनों में योग ने उबारा: पंकज त्रिपाठी

मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से योग करेगा, तो उसे उस वक्त तो पता नहीं चलेगा, मगर 6 महीने बाद वो जान जाएगा कि योग ने उसकी जिंदगी बदल दी है। योग चमत्कारिक चीज है, दुख, दर्द, पीड़ा, अवसाद और संघर्ष में ये संबल देने का काम करता है। आठ-दस साल जब मैं फिल्मों में संघर्ष कर रहा था, तब मेरा कुछ हो नहीं पा रहा था, मगर उस वक्त किसी तरह के अवसाद या नकारत्मकता ने अगर मुझे बचा के रखा,तो वो योग ही था। मुझे याद है,ऑडिशन से पहले नियमित योग करता था। मुझे जब-जब रिजेक्शन मिला और मेरा संघर्ष बढ़ा, योग ने मुझे स्थिर रखा, वरना कई बार लोग लगातार नकारे जाने के बाद टूट जातेहैं। योग आपके ब्रेन और बॉडी को सिंक कर देता है। बीच में काम के आधिक्य के कारण मेरा योग छूट गया था, मेरी नींद पूरी नहीं हो पा रही थी, मगर अब मैंने दोबारा योग करना शुरू किया है। आप एक बार योग को अपना साथी बना लेते हैं, तो वो जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव में आपको समभाव रखता है। हममें से आधे लोगों की खुद से मुलाकात ही नहीं हो पाती। हम सभी से मिलते हैं, मगर खुद से नहीं, तो योग खुद से मिलने का नाम है। आपको खुद से मिलना है, तो योग शुरू कर दीजिए।





मेरे डिवोर्स में योग, थेरेपी बना: शुभांगी अत्रे

आज योग मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। एक एक्सरसाइज के तौर पर शुरू हुआ सफर अब मेरा मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक संबल बन गया है। मैट पर कदम रखते ही ऊर्जा बदल जाती है। यह मेरी सिक्योर प्लेस है, जहां मैं खुद से जुड़ पाती हूं। मैं अक्सर प्राणायाम से शुरुआत करती हूं और फिर आसनों में उतरती हूं। सूर्य नमस्कार मेरा पसंदीदा है, यह पूरे शरीर पर काम करता है और मानसिक संतुलन भी देता है। कुछ दिन योग मेरे शरीर के लिए होता है, कुछ दिन मेरे मन के लिए। और हर सत्र का अंत मैं ध्यान से करती हूं, भले सिर्फ पांच मिनट के लिए क्यों न हो। ध्यान मुझे खुद से जुड़ने और भीतर की शांति तक पहुंचने में मदद करता है। योग और ध्यान एक गहरी, आंतरिक यात्रा है, जहां कोई संगीत नहीं, बस अपने शरीर की लय सुनाई देती है। कुछ साल पहले जब मेरा तलाक हुआ, वो मेरी ज़िंदगी का सबसे भावनात्मक रूप से टूटने वाला दौर था। उस वक्त योग मेरी थेरेपी बन गया। कभी बस चुपचाप चटाई पर बैठकर सांस लेना भी सुकून देता था। धीरे-धीरे, वो एक घंटा खुद के साथ बिताया वक्त, मेरे लिए शुद्ध उपचार बन गया। योग ने मेरा दर्द नहीं मिटाया, लेकिन उसे समझने, स्वीकार करने और उससे उबरने का रास्ता जरूर दिया।

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