प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब G7 सम्मेलन के लिए रवाना हुए थे, तो दो मुद्दों पर खासकर सभी की नजर थी - कनाडा के साथ रिश्ते किस तरह आगे बढ़ते हैं और आतंकवाद पर भारत अपना पक्ष किस तरह रखता है। एक ही मंच का इस्तेमाल कर देश ने दोनों को साध लिया। यह आयोजन भारत और कनाडा के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने का जरिया तो बना ही, नई दिल्ली ने दुनिया को आतंकवाद के प्रति भी चेता दिया कि इस मामले में दोहरे मापदंड नहीं चलेंगे।
रिश्ते सुधारने का मौका भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के यहां हाई कमिश्नर जल्द से जल्द बहाल करने का ऐलान किया है। यह उस गलती को सुधारने की दिशा में पहला कदम है, जो कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने की थी। राजनयिक संबंध बहाल होने से दूसरे द्विपक्षीय मामलों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिनमें पिछले साल टकराव के बाद से ठहराव आ गया था। इसमें प्रमुख है व्यापार और निवेश समझौता CEPA।
व्यापार बढ़ेगाएक विस्तृत इकॉनमिक एग्रीमेंट को लेकर दोनों देशों ने 2010 में बातचीत शुरू की थी। करीब एक दशक तक सब ठीक चला, लेकिन पहले कोरोना की रुकावट आई और फिर कूटनीतिक रिश्ते खराब हो गए। भारत और कनाडा के बीच वित्तीय वर्ष 2024 में 8.37 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। हालांकि दोनों की इकॉनमी को देखते हुए क्षमता और संभावनाएं कहीं ज्यादा हैं। आर्थिक समझौते से व्यापार आसान होगा, निवेश बढ़ेगा और अनुमान है कि द्विपक्षीय कारोबार में 6 बिलियन डॉलर तक का इजाफा होगा।
अलगाववाद का मुद्दा भारत और कनाडा के सामने शिक्षा, मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन एनर्जी, इंफ्रा, कृषि - तमाम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अपार मौके हैं। भारतीय छात्रों के लिए कनाडा Top foreign destination रहा है। बातचीत बढ़ने से student visa और वर्क परमिट आसान हो सकता है। पीएम मोदी और मार्क कार्नी की मुलाकात से जो रास्ता खुला है, उसका पूरा फायदा मिले, इसके लिए कनाडा को खालिस्तानी अलगाववादियों से जुड़ी भारत की चिंताओं पर ध्यान देना होगा। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर केस से जुड़े सवाल पर कार्नी का संतुलित जवाब बताता है कि उन्हें भी इसका ख्याल है।
आतंकवाद पर अपीलपीएम मोदी ने G7 के outreach session में आतंकवाद का मुद्दा उठाया और उनका सवाल बिल्कुल ठीक है कि आतंकवाद के प्रायोजक देश और पीड़ितों को एक तराजू में क्यों तौला जा रहा है। जब तक दुनिया के ताकतवर देश आतंकवाद को लेकर अपना नजरिया साफ नहीं करते और अपनी सहूलियत के अनुसार आतंक की परिभाषा तय करने की आदत नहीं छोड़ते, यह समस्या हल नहीं होने वाली।
रिश्ते सुधारने का मौका भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के यहां हाई कमिश्नर जल्द से जल्द बहाल करने का ऐलान किया है। यह उस गलती को सुधारने की दिशा में पहला कदम है, जो कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने की थी। राजनयिक संबंध बहाल होने से दूसरे द्विपक्षीय मामलों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिनमें पिछले साल टकराव के बाद से ठहराव आ गया था। इसमें प्रमुख है व्यापार और निवेश समझौता CEPA।
व्यापार बढ़ेगाएक विस्तृत इकॉनमिक एग्रीमेंट को लेकर दोनों देशों ने 2010 में बातचीत शुरू की थी। करीब एक दशक तक सब ठीक चला, लेकिन पहले कोरोना की रुकावट आई और फिर कूटनीतिक रिश्ते खराब हो गए। भारत और कनाडा के बीच वित्तीय वर्ष 2024 में 8.37 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। हालांकि दोनों की इकॉनमी को देखते हुए क्षमता और संभावनाएं कहीं ज्यादा हैं। आर्थिक समझौते से व्यापार आसान होगा, निवेश बढ़ेगा और अनुमान है कि द्विपक्षीय कारोबार में 6 बिलियन डॉलर तक का इजाफा होगा।
अलगाववाद का मुद्दा भारत और कनाडा के सामने शिक्षा, मैन्युफैक्चरिंग, ग्रीन एनर्जी, इंफ्रा, कृषि - तमाम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अपार मौके हैं। भारतीय छात्रों के लिए कनाडा Top foreign destination रहा है। बातचीत बढ़ने से student visa और वर्क परमिट आसान हो सकता है। पीएम मोदी और मार्क कार्नी की मुलाकात से जो रास्ता खुला है, उसका पूरा फायदा मिले, इसके लिए कनाडा को खालिस्तानी अलगाववादियों से जुड़ी भारत की चिंताओं पर ध्यान देना होगा। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर केस से जुड़े सवाल पर कार्नी का संतुलित जवाब बताता है कि उन्हें भी इसका ख्याल है।
आतंकवाद पर अपीलपीएम मोदी ने G7 के outreach session में आतंकवाद का मुद्दा उठाया और उनका सवाल बिल्कुल ठीक है कि आतंकवाद के प्रायोजक देश और पीड़ितों को एक तराजू में क्यों तौला जा रहा है। जब तक दुनिया के ताकतवर देश आतंकवाद को लेकर अपना नजरिया साफ नहीं करते और अपनी सहूलियत के अनुसार आतंक की परिभाषा तय करने की आदत नहीं छोड़ते, यह समस्या हल नहीं होने वाली।
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