Badrinath Temple Opening 2025 Date: बद्रीनाथ धाम के कपाट जल्द खुलने वाले हैं। बद्रीनाथ भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकंदा नदी के तट पर स्थित बद्रीनाथ को बद्रीविशाल भी कहते हैं। बद्रीनाथ में भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों को महज 6 माह का ही समय मिल पाता है। दरअसल, बद्रीनाथ के कपाट 6 महीने के लिए ही खोले जाते हैं। बता दें 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। अब बद्रीनाथ के कपाट खुलने का समय आ चुका है। आइए जानते हैं बद्रीनाथ के कपाट कब और किस समय खुल रहे हैं। कब खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट ?बदरीनाथ के कपाट 4 मई को सुबह 6 बजे खुल जाएंगे। बद्रीनाथ धाम मोक्ष स्थली माना गया है। मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु के दर्शन से व्यक्ति अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और उसे जन्म मरण के चक्र से छुटकारा मिलने का मार्ग मिलता है। चार धाम यात्रा में बद्रीनाथ को अंतिम पड़ाव माना गया है। इसे मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है। यहां दर्शन किए बिना चार धाम यात्रा अधूरी मानी जाती है। यह तीर्थ हर श्रद्धालु की यात्रा को पूर्णता प्रदान करता है। बद्रीनाथ धाम में कौन पूजा करता है बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी को "रावल" कहा जाता है। रावल केरल में नंबुद्री ब्राह्मण समाज से आते हैं यह शंकराचार्य के वंशज हैं। रावल स्वयं प्रतिदिन की पूजा नहीं करते, बल्कि वह मुख्य आचार्य होते हैं और पूजा संचालन के नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं। कपाट खुलने के दिन, रावल विशेष वैदिक मंत्रों और अनुष्ठानों के साथ भगवान बद्रीनारायण की मूर्ति का अभिषेक कर दर्शन का आरंभ करते हैं ।बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की पूजा वैदिक परंपरा के तहत की जाती है, जिसमें रावल, टिहरी राजघराना, वेदपाठी ब्राह्मण और स्थानीय तीर्थ पुरोहित शामिल होते हैं। कपाट खुलने से पहले नरसिंह मंदिर (जोशीमठ) से भगवान विष्णु की चल मूर्ति और पूजन सामग्री लेकर यात्रा की जाती है। तेल कलश (गर्भगृह दीप) जो नरसिंह मंदिर में रखा जाता है, उसे पुनः मुख्य मंदिर में स्थापित किया जाता है। बता दें कि 22 अप्रैल देर शाम को तेल कलश की पूजा-अर्चना और भोग के बाद महाराजा मनुजयेंद्र शाह ने तेल कलश को श्री बदरीनाथ धाम के लिए रवाना किया। तेल कलश पहले पड़ाव ऋषिकेश,सहित मुनिकीरेती, श्रीनगर , श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर, श्री गरुड़ मंदिर पाखी, श्री नृसिंह मंदिर ज्योर्तमठ, श्री योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर सहित विभिन्न पड़ावों से होकर 3 मई शाम को श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे। फिर 4 मई को प्रातः 6 बजे भगवान बदरी विशाल मंदिर के कपाट खुलेंगे।
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