मौसम ने इस बार अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। दिल्ली में मॉनसून जहां अपनी सामान्य तिथि 27 जून के दो दिन बाद पहुंचा, वहीं देश के बाकी हिस्सों में यह 8 जुलाई की तय तारीख से पूरे नौ दिन पहले ही दस्तक दे चुका है। यह जानकारी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रविवार को साझा की। आंकड़ों के मुताबिक, 2020 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब मॉनसून ने इतनी तेजी से देश के कोने-कोने में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
क्या होगा असर – सिर्फ किसानों पर नहीं, आम आदमी पर भी पड़ेगा सीधा असर
भारत जैसे कृषि-प्रधान देश में मॉनसून महज मौसम नहीं, बल्कि जीवनरेखा माना जाता है। देश की 42% आबादी की रोज़ी-रोटी खेती से जुड़ी है और यह क्षेत्र GDP में करीब 18.2% का योगदान देता है। मॉनसून न केवल खेतों में हरियाली लाता है, बल्कि यह पेयजल और बिजली उत्पादन जैसी बुनियादी ज़रूरतों को भी सीधा प्रभावित करता है।
हालांकि रिकॉर्ड बताते हैं कि मॉनसून के जल्दी या देर से पहुंचने से कुल वर्षा की मात्रा पर सीधा असर नहीं होता, लेकिन यह खरीफ फसलों की बुवाई के फैसलों में अहम भूमिका निभाता है। किसान, सिंचाई चक्र और मौसम के मिजाज को देखकर धान, गन्ना, कपास जैसे फसलों का चयन करते हैं — और उनके लिए यह एक निर्णायक क्षण होता है।
कहां होगी झमाझम बारिश – अगले 7 दिन रहें सतर्क
IMD ने अपने बयान में कहा है कि 29 जून 2025 को मॉनसून राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा के बचे हिस्सों और पूरी दिल्ली में पहुंच गया। आने वाले सात दिनों तक देश के उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
खासतौर पर झारखंड में 29 और 30 जून, तथा ओडिशा में 29 जून को कुछ स्थानों पर अत्यधिक बारिश की चेतावनी जारी की गई है। ऐसे में इन राज्यों के नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे अलर्ट रहें और स्थानीय प्रशासन की सलाहों का पालन करें।
मॉनसून की टाइमिंग – इस साल सबसे जल्दी हुई एंट्री
आमतौर पर मॉनसून 1 जून को केरल में आता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। इसकी वापसी 17 सितंबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक पूरी होती है। लेकिन इस बार मॉनसून ने 24 मई को केरल में एंट्री की, जो कि 2009 के बाद सबसे जल्दी है — जब मॉनसून 23 मई को केरल पहुंचा था।
इस रफ्तार के पीछे अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव वाले क्षेत्र रहे, जिनकी वजह से मॉनसून ने 29 मई तक मुंबई, मध्य महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर भारत तक का सफर तय कर लिया था।
हालांकि 29 मई से 16 जून तक 18 दिनों की सुस्ती आई, लेकिन इसके बाद फिर से मॉनसून ने गति पकड़ी। दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में इसकी प्रगति चक्रवात-रोधी हवाओं के कारण थोड़ी बाधित रही।
दिल्ली में मॉनसून हर साल अलग-अलग तारीखों पर आता रहा है — जैसे 2024 में 28 जून, 2023 में 25 जून, 2022 में 30 जून, 2021 में 13 जुलाई और 2020 में 25 जून को।
बारिश का पूर्वानुमान – कुछ को राहत, कुछ को निराशा
IMD ने मई में ही कहा था कि इस बार जून से सितंबर के बीच सामान्य से 106% ज्यादा बारिश हो सकती है। आमतौर पर 87 सेंटीमीटर की औसत वर्षा को "सामान्य" माना जाता है, जो 96% से 104% के बीच होती है।
इस बार देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है, जो किसानों और जल संकट से जूझते इलाकों के लिए राहत की खबर है। हालांकि, कुछ हिस्सों को अभी भी निराशा हाथ लग सकती है — जैसे लद्दाख, हिमाचल से सटे क्षेत्र, पूर्वोत्तर, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु के कुछ इलाकों में भी कम बारिश का अनुमान है।
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