जयपुर। प्रदेश की 305 नगर निकायों के पुनर्गठन की प्रक्रिया अपने निर्णायक चरण में पहुंच गई है। संकेत मिल रहे हैं कि सोमवार को सरकार की ओर से इन सभी नगर निकायों के लिए अलग-अलग गजट फाइनल नोटिफिकेशन प्रकाशित किए जा सकते हैं। शनिवार और रविवार के सरकारी अवकाश के कारण यह नोटिफिकेशन पिछले सप्ताह जारी नहीं हो सका था, जिससे प्रक्रिया में कुछ देरी आई।
इसी दौरान जयपुर में उच्च प्रशासनिक स्तर पर महत्वपूर्ण बैठकें भी हुईं, जिनमें मुख्य सचिव सहित स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी शामिल रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों के साथ राज्य सरकार के आगामी शहर प्रशासन अभियान की तैयारियों की समीक्षा की गई। अभियान के लक्ष्यों, प्राथमिकताओं और ज़मीनी क्रियान्वयन को लेकर दिशा-निर्देश भी तय किए गए। इन बैठकों के चलते गजट प्रक्रिया सोमवार तक खिंच गई।
अब यह संकेत मिल रहे हैं कि आज सोमवार को प्रदेश के कुल 10,254 वार्डों के पुनर्गठन और सीमांकन से जुड़ा अंतिम गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। हर नगर निकाय का नोटिफिकेशन अलग-अलग जारी किया जाएगा, ताकि भविष्य में किसी तरह की कानूनी अड़चन से बचा जा सके।
पिछले कार्यकाल में जब एकसाथ सामूहिक गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था, तब कुछ पालिकाओं के निवासियों ने अपने क्षेत्र के पुनर्गठन को लेकर अदालत का रुख किया था, जिससे चुनाव प्रक्रिया बाधित हुई थी। उस अनुभव से सबक लेते हुए इस बार सरकार ने नई रणनीति अपनाई है, जिसके तहत हर नगर निकाय के लिए अलग गजट जारी होगा।
जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे प्रमुख शहरों में दो की जगह अब एक-एक नगर निगम गठित किया गया है। इसके चलते अब प्रदेश में 10 नगर निगम, 47 नगर परिषद और 242 नगर पालिकाएं अस्तित्व में रहेंगी, जिनके लिए आज अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी हो सकती हैं।
इस पूरी कवायद का अगला चरण पंचायतों के पुनर्गठन से जुड़ा हुआ है, जिसका गजट फाइनल नोटिफिकेशन अगले सप्ताह आने की संभावना है। इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं, ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। इन सारी तैयारियों के बीच यह संकेत स्पष्ट हैं कि राज्य सरकार दिसंबर में नगर निकाय और पंचायत चुनाव कराने की योजना पर काम कर रही है।
हाल ही में नगरीय विकास और स्वायत्त शासन विभाग की ओर से यह जानकारी दी गई है कि राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कार्यक्रम को लेकर पत्र भेजा जा चुका है। इसका सीधा अर्थ यह है कि दिसंबर से पहले चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत होने की संभावना नहीं है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों की गति तेज कर दी गई है।
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